चेन्नई: गृह मंत्री अमित शाह ने आज दिल्ली में ऐलान किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नवनिर्मित संसद भवन राष्ट्र को समर्पित करेंगे. इस मौके पर उन्होंने घोषणा की कि 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने पर जो सेंगोल या राजदंड का प्रतीक भारत को दिया गया था, उसे भी नए संसद भवन में रखा जाएगा. यह राजदंड 1947 में तमिलनाडु से दिल्ली कैसे पहुंचा, इसे भेजने वाले तिरुवातुतुरई अधीनम के वारिसों ने बताया है.
स्वतंत्रता दिवस पर पिछले साल तिरुवातुतुरई अधीनम के 24वें गुरु, अंबालावन देसिका परमाचार्य स्वामी ने मीडिया को दिए एक साक्षात्कार में इसके बारे में जानकारी दी थी. उनके साक्षात्कार के अनुसार, 'अगस्त 1947 में भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए कानूनी प्रक्रिया चल रही थी. उस समय, ब्रिटिश वायसराय माउंटबेटन ने नेहरू को बुलाया और कहा, 'हम भारत को स्वतंत्रता देने जा रहे हैं. आप इसे कैसे प्राप्त करने जा रहे हैं? उन्होंने पूछा.'
नेहरू स्वतंत्रता की घोषणा करने और इस मौके पर आधिकारिक समारोह आयोजित करने के लिए दृढ़ थे. वह कर्मकांडों और धर्मों के लिए अनिच्छुक है. ऐसा तमिलनाडु कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी राजगोपालाचारी उर्फ राजाजी ने कहा. राजाजी ने तुरंत कहा, 'चिंता मत करो, तमिलनाडु में जब शासन परिवर्तन होता था तो पुजारी नए राजा को राजदंड देते थे. इसी तरह हम एक राजदंड बनाएंगे. उन्होंने कहा कि हम इसे अपने एक पुजारी के जरिए अंग्रेजों से प्राप्त करेंगे. नेहरू ने इसपर सहमति जताई.