अयोध्या: राम की नगरी में सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में शुमार है प्राचीन हनुमानगढ़ी का मंदिर. अयोध्या आने वाले श्रद्धालु भगवान राम के दर्शन से पहले हनुमान के दर्शन करना नहीं भूलते. यह मंदिर अयोध्या में एक सबसे ऊंचे टीले पर है और श्रद्धालुओं को हनुमान के दर्शन करने के लिए 76 सीढ़ियां चढ़कर जाना होता है. इस मंदिर में विराजमान हनुमान पर अयोध्या वासियों को ही नहीं, बल्कि देश-दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं की भी अगाध श्रद्धा है.
हनुमानगढ़ी के मुख्य पुजारी महंत राजू दास कहते हैं, 'महाबली हनुमान राजा के रूप में यहां विराजमान हैं. लाखों राम भक्त यहां बजरंगबली की शरण में आते हैं. लोगों की हर एक मनोकामना भगवान हनुमान पूर्ण करते हैं. कहा जाता है कि कहीं आपको राम के चरणों में बैठे हनुमान मिलेंगे, लेकिन हनुमान राजा के रूप में यहां पर ही विराजमान हैं. जब माता सीता लंका में थीं, तो सबसे पहले शुभचिंतक के रूप में हनुमान ही पहुंचे थे. लंका जलाने के बाद वह माता सीता का आशीर्वाद लेने आते हैं, तो माता सीता ने उन्हें अमरत्व का आशीर्वाद दिया था. पहले राज घरानों में ज्येष्ठ पुत्र का ही राज्याभिषेक होता था. तब माता सीता के कहने पर हनुमान का यहां राज्याभिषेक हुआ था. हनुमान यहां आज भी विराजमान हैं. यहां आने वाले भक्तों की मनोकामना हनुमान पूर्ण करते हैं.
जगतगुरु रामानंदाचार्य रामदिनेशाचार्य बताते हैं, 'जब भगवान राम इस धराधाम को छोड़कर जाने लगे तो हनुमान ने उनसे कहा कि हम भी आपके साथ चलेंगे, पर क्या वहां पर आपकी कथा सुनने को मिलेगी. तो भगवान ने कहा, नहीं मिलेगी. तब हनुमान ने कहा कि मैं धरती पर ही रहूंगा. तब भगवान राम ने उन्हें अयोध्या राज्य का उत्तराधिकारी बनाया, क्योंकि माता सीता ने उन्हें अपना मानस पुत्र माना था. इसीलिए यहां एक दुर्ग पर हनुमान विराजमान हैं और ठीक राम जन्मभूमि के पहले हैं. यहां विराजमान हनुमान संपूर्ण अयोध्या की रक्षा करते हैं.'