हैदराबाद : 6 लाख करोड़, जब भी वक्त मिले सोचिये कि इस आंकड़े में कितने शून्य होते हैं. 6 लाख करोड़ की बात इसलिये क्योंकि इतने की ही एक योजना भारत सरकार ने 23 अगस्त को लॉन्च की है. जिसे राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन कहा जा रहा है. इस योजना के बाद सियासी गलियारों में खूब हल्ला भी हो रहा है. मोदी सरकार पर देश की संपत्ति बेचने का आरोप भी लग रहा है. तो क्या सच में मोदी सरकार देश की संपत्ति बेचने जा रही है. आखिर क्या है ये मुद्रीकरण पाइपलाइन ?, इससे क्या फायदा होगा ?. ये जानने से पहले जानते हैं कि
क्या है राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन यानि NMP (National Monetisation Pipeline)
NMP को नीति आयोग द्वारा बनाया गया है. जिसके तहत वित्त वर्ष 2022 से लेकर 2025 तक की चार साल की अवधि में केंद्र सरकार की संपत्तियों के जरिये 6 लाख करोड़ रुपये जुटाने का अनुमान लगाया गया है. एनएमपी के तहत विभिन्न क्षेत्रों की सरकारी संपत्तियों में हिस्सेदारी बेचकर या संपत्ति को लीज पर देकर 6 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है.
सरकार के पास रेलवे से लेकर खनन समेत कई ऐसे संस्थान और संपत्तियां हैं जिनसे सरकार की कमाई नहीं हो रही है. इसलिये निजी निवेश के जरिये इन क्षेत्रों से सरकार की आय बढ़ेगी. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को एनएमपी को लॉन्च कर इसका खाका पेश किया. जिसके मुताबिक लीज पर देने की प्रक्रिया चार साल यानि साल 2025 तक सिलसिलेवार तरीके से चलेगी.
इस मुद्रीकरण पाइपलाइन में क्या-क्या शामिल है ?
आगामी चार सालों में एनएमपी के तहत 12 से ज्यादा संबंधित मंत्रालय और 22 से ज्यादा संपत्ति श्रेणियां शामिल हैं. जिसमें सड़क, बंदरगाह, हवाई अड्डे, रेलवे, प्राकृतिक गैस पाइपलाइन, बिजली उत्पादन, खनन, दूरसंचार, स्टेडियम से लेकर आवास तक शामिल हैं.
सरकार को रेलवे और सड़क से सबसे ज्यादा उम्मीद
एनएमपी का जो खाका नीति आयोग ने तैयार किया है वो बताता है कि सरकार को इस योजना के तहत सबसे ज्यादा उम्मीद सड़क और रेलवे से है. कुल 6 लाख करोड़ के अनुमानित लक्ष्य में से 33 फीसदी से अधिक विनिवेश की उम्मीद रेलवे और सड़क से ही है. सड़कों के 1,60,200 करोड़ और रेलवे से 1,52,496 करोड़ रूपये मुद्रीकरण के जरिये सरकार के खजाने में आने का अनुमान है.
क्या सरकार रेलवे, हवाई अड्डे समेत कई संपत्तियां बेच रही है ?
मोदी सरकार की इस योजना को लेकर अब सियासी विरोधी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. राहुल गांधी ने इस योजना के जरिये देश के सरकारी संसाधनों को बेचने का आरोप लगाया है. राहुल गांधी ने कहा कि 70 साल में जो भी देश की पूंजी बनी, मोदी सरकार ने उसे बेचने का काम कर रही है. नेशनल हाइवे से लेकर गैस पाइपलाइन और वेयरहाउस से लेकर माइनिंग, एयरपोर्ट और बंदरगाह तक सरकार बेच रही है.
खासकर रेलवे को लेकर सियासत खूब हो रही है, राहुल गांधी ने कहा कि रेलवे देश की रीढ़ है. गरीब आदमी एक शहर से दूसरे शहर रेलवे के बिना सफर नहीं कर सकता और सरकार ट्रेन से लेकर रेलवे स्टेशन और रेलवे ट्रैक तक बेच रही है.