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कौन थे साइरस मिस्त्री और क्यों था टाटा से उनका विवाद, जानें - former chairman of Tata sons Cyrus Mistry is dead

टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री और उद्योगपति रतन टाटा के बीच पारिवारिक संबंध होने के बावजूद दोनों के बीच विवाद इतना बढ़ा कि मामला कोर्ट तक चला गया. फैसला टाटा के पक्ष में आया. साइरस 2006 में टाटा संस से जुड़े थे. 2012 में उन्हें रतन टाटा की जगह टाटा संस का चेयरमैन बना दिया गया था. हालांकि, चार साल बाद यानी 2016 में उन्हें अचानक ही पद से हटा दिया गया. इसके बाद रतन टाटा और साइरस मिस्त्री के बीच कानूनी लड़ाई शुरू गई.

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रतन टाटा, साइरस मिस्त्री

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Published : Sep 4, 2022, 5:25 PM IST

Updated : Sep 4, 2022, 7:40 PM IST

मुंबई : साइरस मिस्त्री 2006 में टाटा संस से जुड़े थे. 2012 में उन्हें रतन टाटा की जगह टाटा संस का चेयरमैन बना दिया गया था. हालांकि, चार साल बाद यानी 2016 में उन्हें अचानक ही पद से हटा दिया गया. इसके बाद रतन टाटा और साइरस मिस्त्री के बीच कानूनी लड़ाई शुरू गई.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक - टाटा ग्रुप और एसपी ग्रुप (शापूरजी ग्रुप) के बीच विवाद की कई वजहें हैं. इनमें चुनाव में कैसे चंदा दें, कौन से प्रोजेक्ट में निवेश करें, अमेरिकी फास्ट फूड चैन से जुड़ना है या नहीं और साइरस द्वारा बिना बताए ही टाटा संस के शेयर को गिरवी रख देना शामिल है. कहा जाता है कि रतन टाटा इस बात से खासे नाराज थे कि साइरस ने बिना बताए ही टाटा संस के शेयर को उन्होंने अपनी कंपनी बचाने के लिए गिरवी रख दी थी.

परिवार वालों के साथ साइरस मिस्त्री

एक बिजनेस अखबार के अनुसार टाटा ने डिफेंस से जुड़े कॉन्ट्रैक्ट और टाटा पावर-वेल्सपन के बीच की डील पर साइरस की राय को नजरअंदाज कर दिया था. कहा जाता है कि साइरस 2014 में ओडिशा विधानसभा चुनाव के दौरान 10 करोड़ रु. का चंदा देना चाहते थे. रतन टाटा ने इस पर आपत्ति जताई थी. साइरस ने कहा कि ओडिशा में लोहा अयस्क है, इसलिए यहां पर चंदा देना सही होगा. रतन टाटा ने कहा कि हम जो भी चंदा देते हैं वह ट्रस्ट के जरिए देते हैं. वह भी मुख्य रूप से संसद के चुनाव के दौरान. रतन टाटा ने साइरस को ताकीद भी की थी कि आगे से इस तरह का कोई प्रस्ताव उनके पास न लाया जाए. मिस्त्री के करीबी बताते हैं कि मिस्त्री चाहते थे कि चंदा देने का फैसला उस राज्य की कंपनियों पर छोड़ दिया जाए. उनके अनुसार मिस्त्री यह भी चाहते थे कि चंदा इलेक्टोरल ट्रस्ट के जरिए हो. वह यह भी चाहते थे कि इसकी जानकारी सार्वजनिक हो.

रतन टाटा के मिलते साइरस मिस्त्री

जब साइरस टाटा संस के चेयरमैन बने थे, तब कंपनी का कारोबार 100 अरब डॉलर का था. मिस्त्री ने भरोसा दिया था कि वह 2022 तक टाटा संस को 500 अरब डॉलर वाली कंपनी बनाएंगे. लेकिन 2016 में ही उन्हें चलता कर दिया गया. तब टाटा के हवाले से यह खबर आई थी कि साइरस के आने से कंपनी के विकास की दर धीमी हो गई. कंपनी की साख पर आंच आई है. एनसीएलटी में विवाद पहुंचा. यहां पर साइरस ने कहा कि टाटा संस की प्रगति के बाधक खुद रतन टाटा और उनका प्रबंधन है.

कार्यक्रम में जाते साइरस मिस्त्री

साइरस चाहते थे कि टाटा अपने नैनो यूनिट को बंद कर दे. इंडियन होटल्स की महंगी खरीददारियों और टाटा डोकोमो के व्यवसाय से जुड़े साइरस ने जो फैसले लिए, रतन टाटा खुश नहीं थे. दरअसल, मिस्त्री चाहते थे कि टाटा ग्रुप पर जो कर्ज है, उसे कम करने के लिए कुछ परिसंपत्तियों की बिक्री आवश्यक है, इसलिए वह बहुत सी संपत्तियों को बेचना चाहते थे.

साइरस मिस्त्री

आपको बता दें कि आज से चार दिन पहले टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस की एजीएम की बैठक हुई थी. इसमें साइरस मिस्त्री की कंपनी शापूरजी पलोंजी ग्रुप और टाटा ग्रुप के बीच टकराव दिखाई दिया था. इस बैठक में टाटा संस ने चेयरमैन की नियुक्ति से संबंधित नियमों में बदलाव को मंजूरी प्रदान कर दी. हालांकि शापूरजी ग्रुप ने इसमें हुई वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया.

साइरस मिस्त्री (फाइल फोटो)

शापूरजी ग्रुप की टाटा संस में 18.4 फीसदी हिस्सेदारी है. इसके पास सबसे बड़ा माइनोरिटी स्टेकहोल्डर है. दरअसल, बैठक में शापूरजी ग्रुप ने और ज्यादा डिविडेंड की मांग उठाई थी. पाठकों को बता दें कि दोनों के बीच कानूनी लड़ाई में कोर्ट ने टाटा के पक्ष में फैसला सुनाया था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शापूरजी ग्रुप पर भारी कर्ज है और उसने टाटा संस के कुछ शेयरों को गिरवी रख दिया.

साइरस मिस्त्री

टाटा ने अपनी एजीएम बैठक में यह सुश्चिति करने का फैसला किया कि आगे से ऐसा कुछ न हो, इसलिए संशोधन को पास किया. इसका मतलब है कि आगे से मिस्त्री जैसे विवाद उत्पन्न हो, टाटा ने इसे सुनिश्चित कर लिया. अब कोई व्यक्ति एक साथ टाटा संस और टाटा ट्रस्ट का चेयरमैन नहीं बन सकता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे भविष्य में मिस्त्री जैसे विवाद से बचने में मदद मिलेगी. यह सुनिश्चित होगा कि ग्रुप में किसी एक व्यक्ति का दबदबा नहीं रहेगा.

साइरस पलोनजी मिस्त्री का जन्म 4 जुलाई 1968 को हुआ था. वह 28 दिसंबर 2012 को टाटा समूह के अध्यक्ष बने थे. टाटा ग्रुप ने 24 अक्टूबर 2016 को साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया था. मिस्त्री ने मुंबई में कैथेड्रल एवं एंड जॉन कॉनन स्कूल में पढ़ाई की थी. उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में बीएस के साथ इंपीरियल कॉलेज, लंदन से स्नातक की उपाधि और लंदन बिजनेस स्कूल से प्रबंधन में विज्ञान में एक मास्टर डिग्री हासिल की थी.

एक नजर

साइरस मिस्त्री उद्योगपति पलोनजी शापूरजी मिस्त्री के बेटे थे. पालोनजी ने आयरिश महिला से शादी की थी. उन्होंने आयरलैंड की नागरिकता हासिल की थी. साइरस का जन्म भी आयरलैंड में ही हुआ था. उनके भाई का नाम शापूर है. उनकी दो बहनें हैं. लैला और अल्लू. पलोनजी शापूरजी की बेटी अल्लू की शादी नोएल टाटा से हुई. नोएल रतन टाटा के सौतेले भाई हैं.

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Last Updated : Sep 4, 2022, 7:40 PM IST

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