दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

वर्ल्ड राइनो डे: गैंडों के विषय में आपकी हर जिज्ञासा का जवाब है यहां - विश्व राइनो दिवस

दुनियाभर में विश्व राइनो दिवस हर वर्ष 22 सितंबर को मनाया जाता है. इस आयोजन का उद्देश्य दुनिया की पांच गैंडों की प्रजातियों के बारे में लोगों जागरूक करना है. इस साल की थीम 'फाइव राइनो स्पीशीज फॉरएवर' है. इस संबंध में पढ़ें यह रिपोर्ट..

World Rhino Day 2021
World Rhino Day 2021

By

Published : Sep 22, 2021, 4:01 AM IST

हैदराबाद : दुनियाभर में हर साल 22 सितंबर को विश्व राइनो दिवस मनाया जाता है. यह दिवस विशेष रूप से गैंडे की पांच प्रजातियों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है. यह पांच प्रजातियां हैं काला, सफेद, एक श्रंगी, सुमात्रा और जावा राइनो. इन गैंडों को बचाने का एकमात्र तरीका यह है कि वह जिस पर्यावरण में रहता है, उसे बचाना है, क्योंकि इसके और अन्य जानवरों के साथ-साथ पौधों दोनों की लाखों प्रजातियों के बीच पारस्परिक निर्भरता है.

इस साल की थीम
इस साल विश्व राइनो दिवस की थीम फाइव 'राइनो स्पीशीज फॉरएवर' है.

विश्व राइनो दिवस

पांच राइनो प्रजातियां
अफ्रीका और एशिया में पांच राइनो प्रजातियां रहती हैं. तीन प्रजातियों जैसे कि जवन गैंडों (गैंडा सोंडिकस), सुमाट्रन गैंडों (डाइसोरिनहिनस समेट्रेंसिस) और काले गैंडों (डाइसोरोस बाइकोर्निस) को इंटरनेशनल यूनियन ऑफ कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईसीयूएन) द्वारा गंभीर रूप से लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. पांच प्रजातियों में से एक सफेद गैंडे (सेराटोथेरियम सिमम) खतरे के करीब हैं और एक सींग वाले गैंडे (गैंडा यूनिकॉर्निस) भी विलुप्त होने की कगार है.

विश्व राइनो दिवस

विश्व राइनो दिवस की सर्वप्रथम घोषणा वर्ष 2010 में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-दक्षिण अफ्रीका द्वारा की गई थी. भारत में इस दिन, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (असम), मानस राष्ट्रीय उद्यान (असम) और लाओखोवा बुराचपोरी (असम) में जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया.

अफ्रीका और एशिया में रहने वाले दुनिया के पांच गैंडों की प्रजाति

  • जवन गैंडे (गैंडे सोंडिकस).
  • सुमाट्रान गैंडे (डिसरोरहिनस समेट्रेंसिस).
  • ब्लैक गैंडे (डाइसोरोस बाइकोर्निस).
  • सफेद गैंडे (सेराटोथेरियम सिमम).
  • ग्रेटर वन-हॉर्नड राइनोस (गैंडा यूनिकॉर्निस).

जश्न मनाने का अनूठा तरीका
विश्व राइनो दिवस हर साल 22 सितंबर को दुनिया की पांच गैंडों की प्रजातियों के जश्न और उनके सामने आने वाली चुनौतियों पर विचार करने के लिए मनाया जाता है. यह विशेष दिन कारण-संबंधित संगठनों, गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ), चिड़ियाघरों और सार्वजनिक क्षेत्रों में अपने स्वयं के अनूठे तरीकों से जश्न मनाने का अवसर प्रदान करते हैं.

राइनों.

विलुप्त होने के कगार पर राइनो
हाल के वर्षों में गैंडों के अवैध शिकार, शहरीकरण और प्रदूषण का मामला सामने आया, जिसने कुछ राइनो प्रजातियों को विलुप्त होने के कगार पर छोड़ दिया है, जबकि अन्य प्रजातियां गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं. भारतीय गैंडों की औसत लंबाई 12 फुट और ऊंचाई पांच से छह फुट तक होती है. मादा गैंडे का वजन 1500 किलो और नर गैंडे का वजन लगभग 2000 किलो तक होता है. भारत में गैंडे 1850 तक बंगाल और उत्तर प्रदेश के तराई इलाके में भी काफी संख्या में पाए जाते थे, परंतु अब केवल असम तक ही सिमटकर रह गए हैं. इन गैंडों को सामान्यतः लंबी घास के मैदानों में रहना पसंद है, लेकिन अगर आस-पास दलदली इलाका हो तो सोने पे सुहागा, क्योंकि इसे कीचड़ स्नान बहुत पसंद है. यह पूरी तरह शाकाहारी प्राणी है. वैसे तो गैंडा एक शांत प्राणी है. वह घायल होने पर भी एकदम आक्रमण नहीं करता. सामान्यतः गैंडा धीमी चाल चलता है, परंतु वह सरपट दौड़ भी सकता है.

राइनों.

गैंडों को बचाने की कोशिश जारी
2011 में एक लिसा जेन कैंपबेल ने राइनोजा के एक ईमेल को बंद कर दिया, जो गैंडों के एक साथी प्रेमी थे, जो दुनिया में गैंडों की पांच प्रजातियों को देखना चाहते थे और भविष्य की पीढ़ियों का आनंद लेने के लिए निरंतर कार्य कर रहे थे. अभी भी काम करना बाकी है, क्योंकि दुनिया में अभी लगभग 100 सुमित्रन और 60-65 जावन गैंडे बचे हुए हैं, जबकि अफ्रीका की राइनो आबादी अच्छा काम कर रही है, अभी भी बचाना बाकी है.

जानें कैसे मनाया जाता है विश्व राइनो दिवस
विश्व राइनो दिवस मनाना हमारी आधुनिक दुनिया में गैंडों की दुर्दशा पर खुद को शिक्षित करने से शुरू होता है और आप उन लोगों को बचाने में मदद करने के लिए क्या कर सकते हैं. गैंडे ताकत, लचीलापन और तप के ऐसे प्रभावशाली प्रतीक हैं, उन प्रतीकों का इस तरह विलुप्त होना एक शर्मसार कर देने वाली बात होगी, क्योंकि वे एक ऐसी प्रजाति बन गए हैं जो अस्तित्व में थी. इन शानदार प्रजातियों को दुनिया से गायब न होने दें, मित्रों और परिवार के साथ मिलें और देखें कि आप उनकी रक्षा के लिए धन का निर्माण करने में क्या मदद कर सकते हैं.

2500 गैंडों की सीगों को नष्ट असम सरकार
विश्व राइनो दिवस पर असम सरकार जागरूकता बढ़ाने के लिए 2500 गैंडों की सीगों को नष्ट करेगी. काजीरंगा नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व (केएनपीटीआर) के पास राज्य के कोषागारों में रखे गए राइनो की 2,479 सींगों के टुकड़ों को नष्ट करने की तैयारी चल रही है.

विचरण करते गैंडे.

20वीं सदी के शुरुआती दौर में अफ्रीका और एशिया में करीब 500,000 राइनों पाए जाते थे. 1970 तक गैंडों की संख्या में भारी गिरावट आई और गैंडों की संख्या घटकर लगभग 70,000 रह गई. अब दुनियाभर के जंगलों में की संख्या 27,000 है.

भारत में राइनो
वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर-इंडिया (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया), जो कि एक वैश्विक वन्यजीव वकालत है, के अनुसार 1905 में बमुश्किल 75 की आबादी से 2012 तक 2,700 से अधिक भारतीय गैंडे (गैंडा एकोकोर्न) थे. 2020 में यह आंकड़ा अब 3600 के पार चला गया है. देश में एक सींग वाले राइनों ज्यादातर पश्चिम बंगाल, बिहार और असम में पाए जाते हैं.

राइनो दिवस

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, 2012 में असम में 91 प्रतिशत से अधिक भारतीय गैंडे रहते थे. असम के भीतर, पोबीटारा वन्यजीव अभयारण्य में कुछ के साथ काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के भीतर गैंडे केंद्रित हैं. काजीरंगा असम के 91 प्रतिशत से अधिक गैंडों का घर है और भारत की 80 प्रतिशत से अधिक की गिनती काजीरंगा पार्क अधिकारियों द्वारा 2015 की जनगणना से पार्क के भीतर 2,401 गैंडों का पता चलता है.

पार्क अपनी वहन क्षमता तक पहुंच गया है और हो सकता है कि वह किसी और गैंडे का समर्थन करने में सक्षम न हो. खतरे की टृष्टि से काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और पाबितोरा वन्यजीव अभयारण्य जैसे भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों से गैंडों को अन्य संरक्षित क्षेत्रों में ले जाया जा रहा है, जहां वे प्रजनन कर सकते हैं.

आईआरवी 2020 के तहत 2008 और 2012 के बीच मानस राष्ट्रीय उद्यान में 18 गैंडों को स्थानांतरित किया गया था. गैंडों को स्थानांतरित करने का प्रयास तब से जारी है. गैंडों की बढ़ती आबादी अधिक से अधिक एक सींग वाले राइनो के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए बढ़ते प्रयासों का संकेत है.

भारत में जगह-जगह एक सींग वाले गैंडे

  • दुधवा नेशनल पार्क, उत्तर प्रदेश
  • मानस नेशनल पार्क, भूटान
  • ओरंग नेशनल पार्क, दारंग और सोनितपुर जिला असम
  • काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, कंचनजुरी जिला असम
  • पोबितोरा वन्यजीव अभयारण्य, गुवाहाटी
  • जलदापारा नेशनल पार्क, पश्चिम बंगाल
  • गोरूमारा नेशनल पार्क, पश्चिम बंगाल
  • चितवन नेशनल पार्क - नेपाल

प्रकृति का संरक्षण बहुत ही आवश्यक है. धरती पर पलने वाले जीव-जंतु का होना आवश्यक है. इनके विलुप्त होने से धरती पर कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाएंगी. इसलिए हमें धरती पर रहने वाले प्रत्येक जीव-जंतुओं की रक्षा करनी होगी.

ABOUT THE AUTHOR

...view details