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असद को ढेर करने वाले डिप्टी एसपी नवेंदु कुमार के नाम से कांपते थे मुख्तार के गुर्गे और चंबल के डकैत

गुरुवार को झांसी में हुए एनकाउंटर में असद और गुलाम को मार गिराने वाली टीम को डिप्टी एसपी नवेंदु कुमार और विमल ने लीड किया. नवेंदु कुमार को राष्ट्रपति वीरता पदक और राष्ट्रपति पराक्रम पदक से सम्मानित किया जा चुका है.

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Published : Apr 13, 2023, 3:46 PM IST

लखनऊ : प्रयागराज में उमेश पाल की दिन दहाड़े हत्याकर सनसनी मचाने वाले असद और गुलाम को यूपी एसटीएफ ने मुठभेड़ में मार गिराया है. इस एनकाउंटर को डिप्टी एसपी नवेंदु कुमार और विमल ने लीड किया. करीब डेढ़ माह से पुलिस के लिए चुनौती बने अतीक के बेटे असद और गुलाम का आखिरकार अध्याय समाप्त हो गया. यूपी की कानून व्यवस्था को चुनौती देने वाले असद को मार गिराने वाले डिप्टी एसपी नवेंदु कुमार का नाम तेज तर्रार और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अधिकारियों में शुमार है. सब इंस्पेक्टर से डिप्टी एसपी बने नवेंदु कुमार के नाम से मुख्तार के गुर्गे और चंबल के डकैत कांपते थे. आइए जानते हैं, कौन हैं असद का एनकाउंटर करने वाले डिप्टी एसपी नवेंदु कुमार?

राष्ट्रपति पदक से नवाजे जा चुके हैं :मूलरूप से बिहार के रहने वाले नवेंदु कुमार 2018 में डिप्टी एसपी के पद पर प्रोन्नत हुए और उन्हें प्रयागराज एसटीएफ यूनिट का प्रभार सौंपा गया. नवेंदु कुमार को राष्ट्रपति पुरस्कार, राष्ट्रपति वीरता पदक 2008 में और राष्ट्रपति पराक्रम पदक 2014 में सम्मानित किया जा चुका है. नवेंदु चंबल के उस डैकट के एनकाउंटर टीम में शामिल थे, जिसने चार दिन अकेले चार सौ पुलिस कर्मियों से मोर्चा लिया और आखिर में मार गिराया गया. इस एनकाउंटर के दौरान नवेंदु के हाथ और गले में गोली लगी थी. बावजूद इसके वो डकैत से लोहा लेते रहे.

गोली लगने के बाद भी लेते रहे लोहा : दरअसल, चित्रकूट के राजापुर थाना क्षेत्र जमौली गांव में 16 जून 2009 पुलिस को सूचना मिली थी कि गांव में 50 हजार का इनामी डकैत घनश्याम केवट छिपा हुआ है. डकैत को घेरने के लिए सिर्फ कुछ थानों की फ़ोर्स को बुलाया गया था, लेकिन खाकी को भी आने वाले खौफनाक मंजर का इल्म न था. एनकाउंटर शुरू हुआ और दोनों ही तरफ से गोलियां चलने लगीं. घनश्याम घर की खिड़की से एक-एक कर पुलिसकर्मियों को निशाना बनाने लगा. ऐसे में दूसरे दिन 17 जून को चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर, कौशाम्बी से पुलिस फोर्स बुलाई गई. ददुआ, ठोकिया जैसे खूंखार डकैतों को ठिकाने लगाने वाली एसटीएफ टीम को भी घनश्याम से निपटने के लिए लगाया गया, जिसमें तत्कालीन इंस्पेक्टर नवेंदु कुमार भी शामिल थे. तीन दिन एनकाउंटर चला. 17 से लेकर 18 जून 2009 के बीच दस्यु घनश्याम की गोलियों का निशाना बनते हुए खाकी के चार जाबांज जवान शहीद हो गए, वहीं नवेंदु कुमार के हाथ और गले में डकैत घनश्याम की गोली जा धंसी. नवेंदु गंभीर रूप से घायल हो चुके थे, बावजूद इसके वो टस से मस नहीं हुए, हालांकि तत्कालीन डीआईजी सुशील कुमार के समझाने पर वो इलाज के लिए वहां से चले गए. नवेंदु की इस बहादुरी के लिए वर्ष 2014 में राष्ट्रपति पराक्रम पदक से नवाजा गया था.


मुख्तार के खूंखार शूटर्स को किया था ढेर :नवेंदु कुमार एसटीएफ प्रयागराज यूनिट के प्रभारी हैं और मुख्तार व अतीक अंसारी जैसे माफिया के गुर्गों पर शिकंजा कसने के मिशन पर लगे हुए थे. इस दौरान वर्ष 2013 में वाराणसी के तत्कालीन डिप्टी जेलर अनिल कुमार त्यागी की मुख्तार अंसारी के इशारों पर हत्या करने वाले इनामी बदमाश वकील पांडे और अमजद प्रयागराज में एक बार फिर किसी हत्याकांड को अंजाम देने के लिए पहुंचे थे. खबर नवेंदु कुमार को लगी और फिर इन्हें घेरने के लिए टीम रवाना हुई. इसी दौरान प्रयागराज के अरैल पुल के पास के जंगलों में दोनों ही शूटर्स की मौजूदगी होनी की जानकारी मिली तो एसटीएफ की टीम जंगल में प्रवेश कर गई. इसी दौरान वकील पांडे ने फायर झोंक दी जो सीधे नवेंदु कुमार को जा लगी. बुलेट प्रूफ जैकट पहने होने की वजह से नवेंदु कुमार की जान बच गई. इसके बाद जवाबी फायरिंग में नवेंदु कुमार और उनकी टीम ने वकील पांडे और अमजद को ढेर कर दिया.

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