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राकेश अस्थाना: रिटायरमेंट से 3 दिन पहले दिल्ली पुलिस कमिश्नर बनने पर क्यों उठ रहे सवाल ?

दिल्ली के नए कमिश्नर राकेश अस्थाना को रिटायरमेंट से महज 3 दिन पहले दिल्ली के पुलिस कमिश्नर की जिम्मेदारी संभाली. सियासी गलियारों से लेकर सोशल मीडिया तक उनकी पोस्टिंग पर सवाल भी उठा रहे हैं. बाहरी कैडर से लेकर सरकार से नजदीकियों और उनके पुराने विवादों को लेकर सवाल उठ रहे हैं. क्या है राकेश अस्थाना से जुड़ा वो इतिहास जिसने उन्हें सुर्खियों में बनाया हुआ है. जानने के लिए पढ़िये पूरी ख़बर

rakesh asthana
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Published : Jul 29, 2021, 4:23 PM IST

Updated : Jul 29, 2021, 5:06 PM IST

हैदराबाद: सोचिये कि आप 4 दिन बाद रिटायर होने वाले हैं, जिंदगी के 60 बसंत गुजारने के दौरान मोटी तनख्वाह वाली नौकरी करने के बाद आप रिटायरमेंट की प्लानिंग करने लगते हैं. लेकिन तभी पता चलता है कि आपको एक साल का एक्सटेंशन मिल रहा है और तैनाती दिल्ली पुलिस कमिश्नर की कुर्सी पर हो रही है. ये कहानी है दिल्ली के नए नवेले पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना की, जिन्होंने रिटायरमेंट से महज 3 दिन पहले कुर्सी संभाली. विवादों से उनका पुराना नाता है और इस एक्सटेंशन ने एक और मौका सवालों को सिर उठाने का दे दिया है.

राकेश अस्थाना से मिलिए

9 जुलाई 1961 को रांची में पैदा हुए राकेश अस्थाना गुजरात कैडर के 1984 बैच के आईपीएस अफसर हैं. हाल फिलहाल तक BSF (Border Security Force) के डीजी और NCB (narcotics control bureau) के चीफ रहे राकेश अस्थाना 31 जुलाई को रिटायर होने वाले थे. लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उन्हें 27 जुलाई को नई जिम्मेदारी की जानकारी दी. राकेश अस्थाना को तुरंत रिलीव करके दिल्ली पुलिस कमिश्नर के रूप में ज्वाइनिंग के आदेश दे दिए गए.

राकेश अस्थाना (दायें) ने नए पुलिस कमिश्नर की जिम्मेदारी संभाली

बाहरी कैडर के दूसरे कमिश्नर, AGMUT मे रोष और सियासी शोर

राकेश अस्थाना बाहरी कैडर के दूसरे ऐसे आईपीएस हैं जिन्हें दिल्ली का पुलिस कमिश्नर बनाया गया है. इससे पहले जुलाई 1999 से जून 2002 तक यूपी कैडर के अजय राज शर्मा को दिल्ली के पुलिस कमिश्नर की जिम्मेदारी दी गई थी. गौरतलब है कि तब भी केंद्र में एनडीए की ही सरकार थी और बीजेपी के अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे.

राकेश अस्थाना और और अजय राज शर्मा में सिर्फ इतना फर्क है कि कमिशनर बनते वक्त अजय राज शर्मा के रिटायर होने में 3 साल का वक्त था और राकेश अस्थाना 3 दिन बाद रिटायर होने वाले थे. राकेश अस्थाना के दिल्ली पुलिस कमिश्नर बनने से AGMUT कैडर में काफी रोष है क्योंकि दिल्ली का कमिशनर चुनते वक्त दूसरी बार इस कैडर को दरकिनार किया गया. इस मामले पर सियासत भी हो रही है, दिल्ली विधानसभा के स्पीकर रामनिवास गोयल ने गुजरात कैडर के राकेश अस्थाना को दिल्ली का पुलिस कमिश्नर बनाने पर कहा कि 'क्या पूरा देश गुजरात कैडर को सौंप दिया जाएगा'

दिल्ली के पुलिस कमिश्नर बनने वाले कैडर के दूसरे आईपीएस हैं अस्थाना

क्या है ये AGMUT कैडर ?

दरअसल देश में कुल 25 कैडर हैं, जिनमें दो ज्वाइंट कैडर भी शामिल हैं. ज्वाइंट कैडर में असम-मेघालय और AGMUT आते हैं जिसमें अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिज़ोरम और केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं.

A- Arunachal Pradesh

G- Goa

M- Mizoram

UT- Union Territories

इस AGMUT कैडर के अधिकारियों की नियुक्ति इन्हीं राज्यों में होती है. दिल्ली भी इसी AGMUT का हिस्सा है. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था और दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का गठन किया था. जिसके बाद इसी साल जम्मू-कश्मीर कैडर को खत्म कर इसे AGMUT कैडर में शामिल किया गया है. अब जम्मू कश्मीर के IAS, IPS अधिकारी AGMUT कैडर का हिस्सा होंगे. अब उनका तबादला भी दूसरे राज्यों में हो पाएगा, जबकि इससे पहले जम्मू-कश्मीर कैडर के अधिकारियों की नियुक्ति दूसरे राज्यों में नहीं होती थी, हालांकि उनकी नियुक्ति AGMUT के तहत आने वाले राज्यों में ही हो पाएगी.

पुलिस कमिश्नर बनने से पहले बीएसएफ के डीजी थे

मोदी-शाह के करीबी और सीबीआई में स्पेशल पोस्टिंग

गुजरात कैडर के राकेश अस्थाना को पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है. नरेंद्र मोदी के गुजरात के सीएम रहते हुए ही अस्थाना उनके खास पुलिस अधिकारियों की सूची में आ गए थे. इस दौरान राज्य के कई बड़े मामलों की जांच की जिम्मेदारी भी राकेश अस्थाना को मिली.

जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो राकेश अस्थाना को गुजरात से दिल्ली लाए और उन्हें सीबीआई में स्पेशल डायरेक्टर के पद पर नियुक्ति दी गई. सीबीआई में अस्थाना के लिए ये खास पद बनाने को लेकर पीएम मोदी और अमित शाह सियासी विरोधियों के निशाने पर भी आए थे.

मोदी-शाह के करीबी माने जाते हैं राकेश अस्थाना

राकेश अस्थाना से जुड़ी सुर्खियां और विवाद

राकेश अस्थाना का नाम देश के सबसे चर्चित आईपीएस अधिकारियों में शुमार हैं. कई चर्चित मामलों में भूमिका के चलते वो अखबार, टीवी और सोशल मीडिया की सुर्खियां बनते रहे.

1) जब पहली बार सुर्खियों में आए

राकेश अस्थाना सबसे पहले तब सुर्खियों में आए जब उनकी टीम ने खदान सुरक्षा महानिदेशालय के महानिदेशक को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा था. देशभर में इस स्तर के अधिकारी को रिश्वत लेते हुए पकड़ने का उस वक्त ये पहला मामला था.

2) जब सवालों में आ गई थी सीबीआई

सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर रहते हुए वो तब सुर्खियों में आए जब तत्कालीन सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने उनके खिलाफ कथित रूप से रिश्वत लेने के आरोप में मामला दर्ज किया था. राकेश अस्थाना ने भी सीबीआई डायरेक्टर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. देश की सबसे बड़ी जांच एंजेसी के शीर्ष अधिकारियों का विवाद ने सियासत से लेकर सोशल मीडिया तक सुर्खियों में रहा. जिसके बाद केंद्र सरकार को बीच में आना पड़ा और दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेजा गया.

3) मीट निर्यात करने वाले व्यापारी ने लगाया था रिश्वत का आरोप

दरअसल सीबीआई के तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा के निर्देश पर राकेश अस्थाना के खिलाफ सीबीआई ने कथित भ्रष्टाचार से संबंधित मामले दर्ज किए गए. जिनमें से एक मामला एक मीट निर्यात करने वाले आरोपी से जुड़ा है. हैदराबाद के व्यवसायी सतीश सना के बयान पर दर्ज एक मामले में आरोप लगाया गया कि अस्थाना ने मांस का निर्यात करने वाले मोइन कुरैशी से रिश्वत ली थी. हालांकि इन मामलों को बाद में कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

राकेश अस्थाना और आलोक वर्मा

4) सुशांत सिंह राजपूत के मौत से जुड़ा ड्रग केस

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के चीफ रहते हुए ही सुशांत सिंह राजपूत से जुड़े ड्रग्स मामले की जांच शुरू हुई थी. इस मामले में दो एफआईअर भी दर्ज की गई थी, जिसके बाद बॉलीवुड में हलचल मच गई थी और कई बड़े सितारों से इस मामले में पूछताछ भी हुई थी.

5) चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव से 6 घंटे की पूछताछ की

राकेश अस्थाना धनबाद में सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधी शाखा के एसपी भी रहे. बिहार में हुए चारा घोटाले के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव सवालों में थे और उनसे सवाल पूछने की जिम्मेदारी राकेश अस्थाना की थी. साल 1997 में राकेश अस्थाना ने चारा घोटाले को लेकर लालू प्रसाद यादव से 6 घंटे लंबी पूछताछ की थी. जिसके बाद वो सुर्खियों में आए.

6) गोधरा की जांच

राकेश अस्थाना ने गोधरा कांड की भी जांच की थी. केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से गृह कैडर गुजरात लौटने पर उन्हें पहला बड़ा मामला गोधरा स्टेशन के पास ट्रेन में आग लगने की घटना की जांच का मिला. इसमें 59 कार सेवकों की मौत हुई थी. मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन हुआ जिसकी अगुवाई की जिम्मेदारी वडोदरा के तत्कालीन आईजी राकेश अस्थाना को दी गई थी.

7) अहमदाबाद बम धमाकों की जांच

26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में सीरियल ब्लास्ट हुए, जिसमें 56 लोगों की मौत हो गई जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट का जिम्मा भी राकेश अस्थाना को सौंपा गया था.

8) इशरत जहां एनकाउंटर केस में संगीन आरोप

इशरत जहां एनकाउंटर मामले में एक आईपीएस अधिकारी सतीश वर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि गुजरात सरकार के प्रभाव में आकर राकेश अस्थाना ने सबूतों से छेड़छाड़ की और ऐसा करने के लिए उन्होंने फॉरेंसिक अधिकारी पर दबाव डाला था.

9) आसाराम मामले की जांच की जिम्मेदारी

आसाराम बापू के मामले की जांच की जिम्मेदारी भी राकेश अस्थाना को सौंपी गई थी. जोधपुर पुलिस ने आसाराम को गिरफ्तार किया था जिसके बाद आसाराम के बेटे नारायण साईँ पर भी मानव तस्करी रैकेट चलाने जैसे कई गंभीर आरोप लगे थे. राकेश अस्थाना की अगुवाई वाली गुजरात पुलिस की टीम ने ही नारायण साईं को हरियाणा से गिरफ्तार किया था.

10) बेटी की शादी में खर्च को लेकर उठे थे सवाल

साल 2016 में राकेश अस्थाना की बेटी की शादी वडोदरा में हुई थी. उस दौरान ये शादी पूरे गुजरात में चर्चा का विषय बनी रही. हफ्ते भर तक चले कार्यक्रम में अतिथियों का फाइव स्टार स्वागत सत्कार हुआ था. इस शादी में हुए खर्च को लेकर भी सवाल उठे थे. दरअसल अस्थाना का नाम स्टर्लिंग बायोटैक कंपनी के एक मामले में भी सामने आया था, जब ईडी ने कंपनी के ठिकानों पर छापेमारी की थी. जांच में आरोप लगे थे कि कंपनी के मालिक संदेसरा बंधुओं से राकेश अस्थाना के पारिवारिक रिश्ते थे और उन्होंने ही राकेश अस्थाना की बेटी की शादी का खर्च उठाया था.

सुर्खियों के साथ विवादों में भी आया नाम

आसान नहीं है अस्थाना की डगर

राकेश अस्थाना को रिटायरमेंट से 3 दिन पहले एक साल का एक्सटेंशन मिलने पर सवाल खड़े हो रहे हैं. दिल्ली पुलिस की सबसे ऊंची कुर्सी को कुछ लोग मलाईदार पद का तोहफा भी बता रहे हैं लेकिन दिल्ली पुलिस की कुर्सी कांटो से भरा ताज भी है.

  • दिल्ली को पिछले करीब 8 महीनों से कृषि कानूनों की खिलाफत कर रहे किसानों ने घेरा हुआ है.
  • देश की राजधानी होने के नाते धरने, प्रदर्शनों का दौर लगा ही रहता है.
  • देश की राजधानी दिल्ली की कानून-व्यवस्था हमेशा सवालों और सुर्खियों में रहती है.
  • दिल्ली पुलिस गृह मंत्रालय के तहत आती है ऐसे में दिल्ली में आप सरकार और कांग्रेस के निशाने पर भी रहेंगे.
  • दिल्ली का क्राइम रेट हर साल सुर्खियां बटोरता है.
  • वीआईपी मूवमेंट से लेकर बड़े सियासी और राष्ट्रीय स्तर के आयोजनों के कारण कानून-व्यवस्था बनाए रखना बड़ी चुनौती होती है.

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Last Updated : Jul 29, 2021, 5:06 PM IST

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