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फ्लेक्स फ्यूल इंजन और इथेनॉल मतलब आम के आम और गुठलियों के दाम, समझिये कैसे ? - फ्लेक्स फ्यूल और फ्लेक्स फ्यूल इंजन के नुकसान

क्या आप फ्लेक्स फ्यूल, इथेनॉल के बारे में जानते हैं ? क्या आपको फ्लेक्स फ्यूल इंजन की जानकारी है ? दरअसल नितिन गडकरी ने कहा है कि वो जल्द ही फ्लेक्स फ्यूल इंजन को अनिवार्य करने वाले हैं. ये फ्लेक्स फ्यूल इंजन क्या है और आपको इसका क्या फायदा होग. जानने के लिए पढ़िये ईटीवी भारत एक्सप्लेनर (etv bharat explainer)

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Published : Oct 28, 2021, 8:22 PM IST

हैदराबाद: बीते दिनों केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि "आने वाले दिनों में इथेनॉल की डिमांड खूब बढ़ेगी और आगामी 6 महीने में देश में फ्लेक्स इंजन जरूरी करने जा रहा हूं." जिसके बाद से इथेनॉल और फ्लेक्स इंजन की चर्चा जोरों पर है. लेकिन क्या है ये फ्लेक्स इंजन और इथेनॉल ? ये आपके लिए कैसे फायदेमंद है ? इससे जुड़ी हर बात जानने के लिए पढ़िये ईटीवी भारत एक्सप्लेनर (etv bharat explainer)

पहले समझिये फ्लेक्स फ्यूल क्या है ? (Flex fuel)

फ्लेक्स फ्यूल यानि ईंधन का वो विकल्प जिससे आपकी कार चल सकेगी. इथेनॉल इसी तरह का एक फ्लेक्सी फ्यूल है. अपनी कार को आप इथेनॉल या फिर मिश्रित ईंधन यानि पेट्रोल और इथेनॉल मिक्स करके भी चला सकते हैं. कच्चे तेल के बढ़ते दामों का असर पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर पड़ता है, जिसका बोझ आम आदमी की जेब पर रोज़ बढ़ता जा रहा है. पेट्रोल के दाम जहां भारत के कुछ शहरों में 120 रुपये प्रति लीटर पहुंच गए हैं वहीं इथेनॉल के दाम 65 से 70 रुपये के बीच हैं.

फ्लेक्स फ्यूल इंजन में इथेनॉल और पेट्रोल का इस्तेमाल हो सकेगा

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ये फ्लेक्स इंजन क्या है ? (Flex fuel engine)

फ्लेक्स इंजन या फ्लेक्स फ्यूल इंजन मतलब ऐसा इंजन जो आसानी से किसी दूसरे ईंधन पर भी चल सकता है. मौजूदा वक्त में पेट्रोल इंजन वाली गाड़ियां सिर्फ पेट्रोल से चलती हैं, लेकिन फ्लेक्स फ्यूल इंजन में पेट्रोल के अलावा इथेनॉल से भी गाड़ी चलेगी. दुनिया के कुछ गिने चुने देशों में फ्लेक्स इंजन वाली गाड़ियां और उनमें बायो फ्यूल ईंधन के रूप में इस्तेमाल होता है. कुल मिलाकर ये एक तरीके से टू इन वन तकनीक से काम करेगा.

मौजूदा वक्त में हम जिन गाड़ियों का इस्तेमाल करते हैं वो ज्यादातर एक ही ईंधन का इस्तेमाल होता है. एलपीजी या सीएनजी किट लगने पर आपके विकल्प जरूर बढ़ जाते हैं, लेकिन इसके लिए आपको पेट्रोल के अलावा सीएनजी या एलपीजी के लिए अलग से किट लगवानी पड़ती है. लेकिन फ्लेक्सी इंजन वाली गाड़ियों में आप एक ही फ्यूल टैंक में अलग-अलग फ्यूल पेट्रोल, इथेनॉल या दोनों का मिक्स इस्तेमाल कर सकते हैं.

फ्लेक्स इंजन को लेकर गडकरी ने क्या कहा ?

"पूरी दुनिया में हर ऑटोमोबाइल कंपनी पेट्रोल इंजन बनाती है. ब्राजील, कनाडा, अमेरिका जैसे देशों में उपभोक्ताओं के पास ये च्वाइस है कि वो गाड़ी में पेट्रोल डाले या फिर एक अन्य ईंधन बायो इथेनॉल डाले. इथेनॉल का भाव 65 रुपये है जबकि देश में पेट्रोल के दाम 115 से 120 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच चुके हैं. इथेनॉल सस्ता होगा तो लोग इथेनॉल खरीदेंगे जिससे लोगों को फायदा होगा."

अगले 6 महीने में फ्लेक्स फ्यूल इंजन अनिवार्य करेंगे- गडकरी

इथेनॉल क्या है ?

इथेनॉल एक जैविक ईंधन है, आपको शायद जानकारी ना हो कि अभी भी आपकी गाड़ी में जो पेट्रोल इस्तेमाल होता है उसमें अधिकतम 8.5% तक इथेनॉल मिला हुआ होता है. यानि ये इथेनॉल अभी भी गाड़ियों में ईंधन के तौर पर इस्तेमाल होता है. इथेनॉल स्टार्च और शुगर के फर्मेंटेशन से बनता है और इसके लिए आम तौर पर गन्ना, मक्का जैसे पौधों का इस्तेमाल होता है. इसलिये ये पेट्रोल के मुकाबले सस्ता होता है.

आने वाले दिनों में इथेनॉल से चलेगी आपकी कार

इथेनॉल एक, फायदे अनेक

1) सस्ता- पेट्रोल की मौजूदा कीमतों को देखते हुए तो ये इथेनॉल का सबसे बड़ा फायदा कहा जा सकता है. जहां पेट्रोल देश में 110 से 120 रुपये प्रति लीटर में बिक रहा है वहीं इथेनॉल की कीमत इससे 40 से 50 फीसदी तक कम है.

2) किसानों के लिए फायदे का सौदा- इथेनॉल एक बायो फ्यूल है, इसे बनाने के लिए मुख्य रूप से फसलों के अवशेष का इस्तेमाल होता है. जैसे कपास के डंठल, पराली, खोई, भूसा, बांस आदि. भविष्य में इथेनॉल की डिमांड बढ़ने पर इसका सीधा फायदा किसानों को मिलेगा. नितिन गडकरी के मुताबिक आने वाले समय में इथेनॉल की खूब आवश्यकता है, उसमें कोई कमी नहीं है. अभी 465 करोड़ इथेनॉल देश में मिलता है, मांग बढ़ने पर इसका उत्पादन बढ़ेगा, जो किसानों की आय में इजाफा करेगा.

3) प्रदूषण कम होगा- इथेनॉल का इस्तेमाल करने पर प्रदूषण का स्तर भी कम होगा. देश में बढ़ते प्रदूषण की बड़ी वजहों में से एक है गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ. फ्लेक्सी इंजन और फ्लेक्सी फ्यूल के इस्तेमाल से प्रदूषण का स्तर कम होगा. जानकारों के मुताबिक इथेनॉल के इस्तेमाल से 30 से 40 फीसदी कार्बन मोनोऑक्साइड के साथ बड़ी मात्रा में सल्फर डाईऑसक्साइड, कार्बन आदि का उत्सर्जन कम होगा. जो पर्यावरण और हमारे दोनों के लिए फायदेमंद होगा.

पेट्रोल के बढ़ते दाम जला रहे हैं जेब

4) कच्चे तेल पर निर्भरता कम- इथेनॉल का इस्तेमाल बढ़ने से कच्चे तेल पर निर्भरता भी कम होगी. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक भारत फिलहाल 8 लाख करोड़ रुपये का कच्चा तेल आयात करता है, अगर खपत इसी तरह से बढ़ती रही तो आने वाले 5 सालों में 25 लाख करोड़ रुपये का तेल आयात होगा. कच्चे तेल पर निर्भरता कम होगी तो तेल का आयात कम होगा जिससे अरबों रुपये तेल खरीद की बजाय अन्य विकास कार्यों में लगाया जा सकेगा.

5) सरप्लस अनाज का इस्तेमाल- आज देश में मक्का, चीनी और गेहूं का उत्पादन सरप्लस में है. देश के गोदामों में अनाज अटा पड़ा है. हर छ महीने में कई फसलें इन गोदामों में पहुंचती है, जहां भंडारण की व्यवस्था सीमित है. इस अतिरिक्त अनाज का इस्तेमाल भी इथेनॉल बनाने में हो सकता है. देश में हर साल मक्के और गन्ने की बंपर फसल होती है, जो इथेनॉल के उत्पादन में मददगार साबित हो सकती है.

6) पराली से मुक्ति-पंजाब, हरियाणा से लेकर यूपी समेत कई राज्यों के किसान पराली की समस्या से हर साल जूझते हैं. जिससे पार पाने के लिए किसान इसे जलाते हैं, जो प्रदूषण की वजह बनते हैं. हर साल सर्दियों में दिल्ली में प्रदूषण के लिए पराली का जलना भी जिम्मेदार है. इस पराली का इस्तेमाल बायो फ्यूल या इथेनॉल बनाने के लिए हो सकता है. ऐसे में जिस पराली को वो जलाते हैं वो उनकी कमाई का जरिया बन सकता है.

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इथेनॉल के नुकसान भी हैं ?

भारत में भी पेट्रोल पंप पर पेट्रोल डीजल के साथ मिलेगा इथेनॉल ?

1) इंजन में बदलाव- फिलहाल देश में फ्लेक्स इंजन वाली गाड़ियां उपलब्ध नहीं है. सिंगल फ्यूल इंजन को फ्लेक्स इंजन बनाने के लिए फ्यूल सिस्टम और इंजन में बदलाव करने होंगे. जिसके लिए आपको अपनी जेब ढीली करनी पड़ेगी. जानकार मानते हैं कि फ्लेक्स इंजन वाली गाड़ियों के दाम भी अधिक हो सकते हैं. हालांकि केंद्रीय मंत्री नितन गडकरी के मुताबिक दोनों तरह के इंजन में कीमत का कोई अंतर नहीं है.

2) गाड़ी की माइलेज माइलेज- ऑटो एक्सपर्ट मानते हैं कि पेट्रोल-डीजल के मुकाबले इथेनॉल की क्षमता कम होती है. जिसका असर गाड़ी की माइलेज पर पड़ना लाजमी है. गाड़ी में जितना ज्यादा इथेनॉल भरवाएंगे माइलेज पर उसका फर्क दिखेगा.

3) उपलब्धता- नितिन गडकरी की सोच है कि आने वाले दिनों में पेट्रोल पंप पर जब आप ईँधन भरवाने जाएं तो पेट्रोले डालने वाली मशीन के साथ इथेनॉल की भी मशीन हो और आप जितना चाहें इथेनॉल या पेट्रोल या दोनों को मिक्स करके अपनी गाड़ी में डाल सकते हैं. लेकिन शुरुआत में इस तरह की उपलब्धता तो बहुत मुश्किल है लेकिन ये भी देखना होगा कि अभी फ्लेक्स इंजन वाली गाड़ियां भी नहीं है.

दूर की कौड़ी है लेकिन फ्यूचर है फ्लेक्स फ्यूल

नितिन गडकरी ने एक कार्यक्रम में कहा कि आगामी 6 से 8 महीने में फ्लेक्स इंजन की शुरुआत कर देंगे. उनके मुताबिक कुछ कंपनियां इस तरह के इंजन बना भी रही है. लेकिन भारत जैसे देश में ये सब रातों रात नहीं होने वाला लेकिन हां ये जान लीजिये कि भविष्य यही है और पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों से दिल और जेब नहीं जलानी तो फ्लेक्स इंजन, इथेनॉल, इलेक्ट्रिक वाहनों का रुख करना ही होगा.

एक ईंधन के रूप में प्रचलित करने के लिए सरकार को इथेनॉल के उत्पादन से लेकर ट्रांसपोर्टेशन और पेट्रोल पंप के जरिेये उपभोक्ताओं तक पहुंचाने का पूरा खाका तैयार करना होगा. जिसे बनाने के बाद इतने देश में लागू करने में अच्छा खासा वक्त लगेगा. इसके बाद लोगों को फ्लेक्स फ्यूल और इंजन के प्रति जागरुक करने के अलावा ऐसे इंजन वाले वाहनों के उत्पादन को भी बढ़ावा देने की नीति बनानी होगी. साथ ही ये भी ध्यान देना होगा कि इस तरहके ईंधन और इंजन वाले वाहनों की कीमत अधिक ना हो.

इथेनॉल का इस्तेमाल बढ़ने से किसानों की आय भी बढ़ेगी

इथेनॉल के फायदे और नुकसान दोनों का आंकलन करने के बाद कहा जा सकता है कि इथेनॉल हर हाल में फायदे का सौदा है. ये एक तरह से आम के आम और गुठलियों के दाम जैसा है, किसानों की उपज से इथेनॉल बनने से उनकी आय बढ़ेगी और आपको भी कम कीमत पर एक ऐसा ईंधन मिलेगा जो सस्ता होगा और कम प्रदूषण फैलाएगा.

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