नई दिल्ली:उत्तर भारत सहित दिल्ली एनसीआर में मंगलवार रात 6.6 तीव्रता वाला भूकंप महसूस किया गया है. इससे लोगों में अफरा-तफरी का माहौल बन गया. हालांकि इससे अभी तक जानमाल के नुकसान होने की खबर नहीं है लोग इसे लेकर अभी भी घबराए हुए हैं. बात करें दिल्ली एनसीआर क्षेत्र की, तो यह सिस्मिक जोन 4 में आता है जो काफी खतरनाक माना जाता है. आइए आपको बताते हैं सिस्मिक जोन के साथ भूकंप आने के कारण उस दौरान करने वाले बचाव के बारे में.
सिस्मिक जोन का अर्थ वह भूकंपीय क्षेत्र है जहां भूकंप आने की संभावना सबसे अधिक होती है. भूकंप की संवेदनशीलता के अनुसार भारत को 2 से 5 जोन में बांटा गया है. क्षेत्र की संरचना के अनुसार भूकंप को लेकर इलाके को कम खतरनाक से लेकर खतरनाक जोन में बांटा गया है. इसमें जोन 2 जहां सबसे कम खतरनाक माना जाता है, वहीं जोन 5 सबसे अधिक खतरनाक माना जाता है.
सिस्मिक जोन 2:इस जोन को सबसे कम खतरनाक जोन माना जाता है जहां 4.9 तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है. इसमें गोरखपुर, मुरादाबाद, चंडीगढ़ जैसे शहर आते हैं.
सिस्मिक जोन 3: इसमें आने वाले भूकंप की तीव्रता 7 या उससे कम होती है. इस जोन के अंतर्गत उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पंजाब, राजस्थान, बिहार, झारखंड जैसे राज्य आते हैं.
सिस्मिक जोन 4: इस जोन में भूकंप की तीव्रता 7.9 से 8 तक हो सकती है, जिसके चलते इसे भी बहुत खतरनाक माना जाता है. सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, दिल्ली-एनसीआर, यूपी-बिहार और पश्चिम बंगाल के उत्तरी क्षेत्र, गुजरात के कुछ क्षेत्र, पश्चिमी तट से सटा राजस्थान और महाराष्ट्र के इलाके, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश के कुछ इलाके आते हैं.
सिस्मिक जोन 5: इसे सबसे खतरनाक जोन माना जाता है. इसके अंतर्गत उत्तर बिहार, उत्तराखंड के कुछ क्षेत्र, पूर्वोत्तर इलाका, कच्छ, हिमाचल और कश्मीर का कुछ हिस्सा और अंडमान निकोबार द्वीप आता है.
भूकंप आने का कारण: मुख्य तौर पर धरती कुल चार परतों से बनी हुई है. इसे इनर कोर, आउटर कोर, मैंटल और क्रस्ट कहते हैं. क्रस्ट और मैंटल को लिथोस्फेयर के नाम से जाना जाता है. ये 50 किलोमीटर मोटी परत कई वर्गों में बटी हुई है, जिन्हें टेक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है. वैसे तो यह प्लेट्स हिलती रहती हैं, लेकिन जब ये प्लेट्स बहुत अधिक हिल जाती हैं तो भूकंप के झटके महसूस होते हैं, जिसके दौरान एक प्लेट दूसरी के नीचे आ जाती है. इसे मापने के लिए रिक्टर पैमाने का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे भूकंप की तीव्रता का पता चलता है.
भूकंप आने पर करने चाहिए ये उपाय-
- अगर आप किसी बिल्डिंग में मौजूद हैं तो तुरंत वहां से निकलकर खुले स्थान में आएं.
- किसी इमारत के आसपास न खड़े हों.
- इमारत से नीचे आने के लिए लिफ्ट का इस्तेमाल न करें और सीढ़ियों से नीचे आएं.
- खिड़कियों और दरवाजों को खुला रखें.
- बिजली के सभी स्विच ऑफ कर दें.
- अगर बिल्डिंग से उतर पाना संभव न हो तो वहां किसी मेज, बेड या चौकी के नीचे छिपें.
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