नई दिल्लीः भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड (भारतीय पशु कल्याण बोर्ड) की ओर से 14 फरवरी को 'गौ आलिंगन दिवस' (काउ हग डे) के रूप में मनाने के संबंध 6 फरवरी 2023 को एक अपील जारी की गई है. बोर्ड के सचिव डॉ एस के दत्ता के हस्ताक्षर से इसके लिए एक पत्र जारी किया गया है. काउ हग डे के लिए अपील के बाद से कई सामाजिक कार्यकर्ता, वकील, राजनीतिक दल के नेताओं ने वैलेंटाइन डे के काट के रूप में 'Cow Hug Day' मानते हुए लगातार कमेंट कर रहे हैं. धीरे-धीर 'काउ हग डे' का मजाक उड़ाते हुए कई लोगों ने बीजेपी नेताओं को गाय के द्वारा लताड़ (पैर मारना) मारने और सांड के द्वारा हमले करने किये जाने के वीडियो के साथ सोशल साइट पर हैसटैग काउ हग डे पोस्ट करना शुरू कर दिया जो गूगल और ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है.
काउ हग डे वाले लेटर में क्या है
सचिव की ओर से कहा गया है कि हम सभी जानते हैं कि भारतीय संस्कृति और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. गाय हमारे जीवन को संवारती है. पशु धन और जैव विवधता का प्रतिनिधित्व करती है. मानवता को सर्वस्व प्रदान करने वाली मां के समान पोषक प्रकृति के कारण कामधेनु और गौमाता के रूप में जाना जाता है. दूसरे पैरा ग्राफ में लिखा गया है- समय के साथ पश्चिमी संस्कृति के प्रगति के कारण वैदिक परंपराएं लगभग विलुप्त होने के कगार पर हैं. पश्चिमी सभ्यता के चकाचौंध ने हमारी संस्कृति और विरासत को भुला सा दिया है.
'काउ हग डे मनायें और जीवन को खुशहाल बनाएं'
पत्र के तीसरे पैराग्राफ में लिखा गया है कि-गया के अपार लाभों को देखते हुए गाय को गले लगाने से भावनात्मक समृद्धि आएगी और हमारे व्यक्तिगत और सामूहिक सुखों में वृद्धि आएगी और हमारे व्यक्तिगत और सामूहिक सूखों में वृद्धि होगी. इसलिए सभी गौ प्रेमी मी भी गौ माता के महत्व को ध्यान में रखते हुए 14 फरवरी को गौ आलिंगन दिवस (काउ हग डे) के रूप में मनाएं और जीवन को खुशहाल और सकारात्मक उर्जा से भरपूर बनाएं. पत्र के चौथे और अंतिम पैराग्राफ में लिखा गया है कि-यह सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन और पशुपालन और डेयरी विभाग, मत्स्य पालन, पशु पालन और डेयरी मंत्रालय के निर्देश पर जारी किया गया है.
'गांठदार त्वचा रोग से गायों की मौतों पर कहां थे ये पशु प्रेमी'
एक वेबसाइट पर छपी रिपोर्ट के अनुसार डेयरी फार्मर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के नेता दयाभाई गजेरा ने कहा कि 'सिर्फ गुजरात में हजारों गायें गांठदार त्वचा रोग के कारण मर चुकी है. हाल में हमारी गायों की मृत्यु हुई थी तो भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड कहां थी. हमें मुआवजा के तौर पर कुछ नहीं मिला है. इस कारण दुग्ध उत्पादन में 15-20 फीसदी की कमी आई है.' दयाभाई गजेरा ने आगे कहा कि 'वे गायों पर प्यार दिखाते हैं. वह नकली है. यदि भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड वास्तव में मवेशियों का समर्थन करना चाहते हैं तो, उन्हें डेयरी किसानों का समर्थन करना चाहिए और डेयरी किसानों को गांठदार त्वचा रोग से हुए नुकसान के लिए मुआवजे के लिए समर्थन करना चाहिए.'
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