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भारत-पाक में कैसे बनी सीजफायर एग्रीमेंट पर सहमति, जानें क्या रही बड़ी वजह

22 फरवरी को भारत-पाक के बीच 2003 के सीजफायर एग्रीमेंट पर सहमति बनी है. जिससे दोनों देशों के सरहदी गावों के लोगों ने राहत की सांस ली है. हालांकि, इस मुद्दे पर कई बार चर्चा भी की गई है. लेकिन पाक अक्सर ही इस एग्रीमेंट का उल्लंघन करता नजर आया है. लेकिन हालिया परिस्थितियों के चलते पाक को इस मुद्दे पर मंजूरी देनी पड़ी.

ceasefire agreement
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Published : Mar 3, 2021, 9:18 PM IST

Updated : Mar 3, 2021, 9:56 PM IST

हैदराबाद :जब कभी भी भारत-पाक के संबंधों की चर्चा होती है, तो हमारे जहन में अक्सर ही गोलीबारी, बमबारी, और मानव हिंसा की तस्वीरें आती हैं. फिलहाल बार्डर से कुछ ऐसी खबर आई हैं, जिससे दोनों मुल्कों की जनता में खुशी की लहर दौड़ गई है. 22 फरवरी को दोनों देशों के बीच 2003 के सीजफायर एग्रीमेंट पर सहमति बनी है. जिससे दोनों देशों के सरहदी गावों के लोगों ने राहत की सांस ली है.

2003 के सीजफायर एग्रीमेंट पर अमल करने का इतिहास

2003 के सीजफायर एग्रीमेंट का एक विचित्र इतिहास है. दरअसल, नवंबर 2003 से नवंबर 2008 तक दोनों देशों के संबंधों में काफी शांति थी. लेकिन 26/11 के मुंबई हमले के बाद से पाक अक्सर ही इस एग्रीमेंट का उल्लंघन करता नजर आया है. हालांकि, साल 2012 तक हालात कुछ हद तक बेहतर थे. लेकिन 2012 के बाद से ये हालात लगातार बिगड़ते चले गए. खास तौर पर 2016 के बाद से पाक अक्सर ही इस एग्रीमेंट का उल्लंघन करता रहा है.

अगर हम आकड़ों पर नजर डालें, तो साल 2018 से साल 2021 को दौरान पाक ने 10,752 बार इस एग्रीमेंट का उल्लंघन किया है. जिसमें खासतौर पर 2020 में 5,133 बार पाक के द्वारा इस एग्रीमेंट का उल्लंघन किया गया.

स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कई बार हुए प्रयास

भारत-पाक के संबंधों को बेहतर बनाने के लिए कई बार प्रयास किए गए. साल 2013 में दोनों देशों के डीजीएमओ ने दो बार प्रयास किए. लेकिन हालातों पर नियंत्रण पाना काफी मुश्किल था.

इतना ही नहीं साल 2018 में भी 2003 के सीजफायर एग्रीमेंट पर दोनों देशों के डीजीएमओ ने प्रयास किया, लेकिन ये प्रयास भी विफल हुआ.

कैसे हुआ दोनों देशों के बीच का समझौता

2003 के सीजफायर एग्रीमेंट पर सहमति बनना कोई नई बात नहीं है. दरअसल, खबरों के अनुसार बीते तीन महीनों से दोनों देशों के बीच इस एग्रीमेंट पर सहमति बनाने की बात चल रही है. हालांकि, भारत की तरफ से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल इस मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार थे. लेकिन पाक की तरफ से नाम की पुष्टि नहीं हो पा रही थी. लेकिन पाक की ओर से इस मुद्दे पर सहमति के कयास लगाए जा रहे थे.

इन दिनों दोनों देशों की तरफ से इस सीजफायर एग्रीमेंट पर सहमति के लिए लगातार पहल की जा रही थी. यहां तक की पाक के जनरल क़मर जावेद का कहना था की 'पाकिस्तान आपसी सम्मान और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के आदर्श के लिए प्रतिबद्ध है और यह सभी दिशाओं में शांति का हाथ बढ़ाने का समय है.'

गौरतलब है कि इस समझौते पर सहमति बनने के बाद भारत की ओर से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को श्रीलंका जाने के लिए भारतीय हवाई क्षेत्र से जाने की अनुमति मिल गई है.

कैसे बनी पाक की ओर से सहमति?

अगर बीते 2 सालों की बात करें, तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान बहुराष्ट्रीय मंचों पर अक्सर ही कश्मीर के मुद्दों पर चर्चा करते नजर आते हैं और भारत के कई फैसलों पर सावल खड़े करते रहते हैं.

फिर ऐसा क्या हुआ जो पाक को इस एग्रीमेंट पर सहमति बनानी पड़ी? कारण है पाक का बढ़ाता हुआ कर्ज और लगतार गर्त में जाती अर्थव्यवस्था.

दरअसल, भारत और चीन के खराब होते संबंधों और भारत का एक आत्मनिर्भर देश बनकर उभराना, बलूचिस्तान में परेशानी और अमेरिका में सत्ता परिवर्तन और बाइडेन प्रशासन का आना ऐसे कारक हैं, जिन्होंने भारत के साथ युद्ध विराम के लिए पाकिस्तान को मजबूर कर दिया.

पढ़ें: भारत-पाक के बीच क्यों होता है युद्धविराम का उल्लंघन, डी. एस. हुड्डा ने बताई वजह

क्या पड़ेगा दोनों मुल्कों के सरहदी गावों पर प्रभाव?

2003 के सीजफायर एग्रीमेंट पर सहमति बनने से दोनों देशों के सरहदी गांव के लोगों में काफी खुशी है. दरअसल, इन लोगों ने दोनों देशों की लड़ाई में अपनों को खोया है. लगातार हो रही बमबारी के चलते इन लोगों का जीवन नरकीय हो गया है.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार बीते तीन सालों में 70 लोगों की मौतें हुई हैं और 341 लोग घायल हुए हैं. अब ये फैसला गांव वालों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.

Last Updated : Mar 3, 2021, 9:56 PM IST

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