हैदराबाद : देश में श्वेत क्रांति (white revolution) के जनक कहे जाने वाले डॉ. वर्गीज कुरियन (dr verghese kurien ) की आज 100वीं जयंती है. डेयरी उद्योग में डॉ. वर्गीज कुरियन का अमूल्य योगदान है. इस वजह से 26 नवंबर को हर साल राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जाता है.
डॉ. वर्गीज कुरियन पूरे देश के लिए मिल्कमैन ऑफ इंडिया के नाम से जाने जाते हैं, मगर अमूल से उनका खास रिश्ता रहा है. कॉपोरेटिव सोसायटी से शुरू हुए अमूल को आइडिया और उसूलों के बदौलत डॉ. वर्गीज कुरियन ने करोड़ों में तब्दील कर दिया. अमूल और आणंद से कुरियन इमोशनली ताउम्र जुड़े रहे. 2012 में वर्गीज कुरियन नहीं रहे, मगर अमूल कंपनी आज भी उन्हें अपने फाउंडर चेयरमैन के रूप में बड़ी शिद्दत से याद करती है.
डॉ वर्गीज कुरियन की 90वें जन्मदिन का अमूल पोस्टर. photo courtesy: Amul twitter डॉ. कुरियन का जन्म 26 नवम्बर 1921 में कालीकट में हुआ था. उन्होंने मिशिगन यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मास्टर्स की डिग्री हासिल की थी. 1949 में सरकार ने डॉ. वर्गीज कुरियन को गुजरात के आणंद की सरकारी डेयरी में भेजा. उन्हें आणंद में रहने की इच्छा नहीं थी, मगर पढ़ाई के दौरान मिली स्कॉलरशिप के नियमों के तहत वह मना नहीं कर सके.
आणंद में रहने के दौरान डॉ कुरियन की मुलाकात गांधीवादी किसान नेता त्रिभुवनदास पटेल से हुई. त्रिभुवनदास ने 14 दिसंबर 1946 को कैरा जिला सहकारी दूध उत्पादक यूनियन (KDCMPUL) की स्थापना की थी, जिससे इलाके के किसान जुड़े थे. उन्होंने वर्गीज कुरियन की पेशेवर क्षमता की पहचान की और आणंद में रहने के लिए उन्हें राजी किया.
डॉ वर्गीज कुरियन की 99वीं जयंती पर ऐसे याद किया. photo courtesy: Amul twitter 1950 में डॉ कुरियन कैरा जिला सहकारी दूध उत्पादक संघ लिमिटेड के महाप्रबंधक के रूप में शामिल हुए. इसके बाद तो डॉ. कुरियन ताउम्र आणंद में ही रहे. उन्होंने दुग्ध संघ का नाम बदल दिया, अमूल (Anand Milk Union Limited). जानकारी के मुताबिक 1952 तक अमूल 20,000 लीटर दूध का प्रबंधन कर रहा था. उन्हें लगा कि इसकी मात्रा बढ़ जाएगी तो डेयरी के बेहतर प्रबंधन करने के लिए उन्होंने न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में प्रशिक्षण लिया. साथ ही किसानों से दूध लेने, उसकी गुणवत्ता जांच करने और बेचने का मॉडल भी विकसित किया.
1955 में डॉ. कुरियन के साथी एचएम दलाया ने भैंस के दूध से स्किम्ड मिल्क पाउडर और कंडेस्ड मिल्क बनाने का तरीका ढूंढ लिया. इससे पहले तक सिर्फ गाय के दूध से ही दूध का पाउडर बनाया जा रहा था. इस खोज ने भारतीय दुग्ध उद्योग में क्रांति ला दी. आणंद में ही अमूल ने भारत का पहला मिल्क पाउडर प्लांट स्थापित किया. 1956 में अमूल रोजाना 1 लाख लीटर दूध प्रोसेस करने लगा.
डॉ वर्गीज कुरियन की 98वीं जयंती का स्पेशल पोस्टर. photo courtesy: Amul twitter 1964 तक अमूल गुजरात में काफी लोकप्रिय हो गया था. भैंस के स्कीम्ड मिल्क के कारण उसकी ख्याति दुनियाभर में फैल गई. मगर डॉ. वर्गीज कुरियन का काम अभी भी अधूरा था. तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री एक बार आणंद में अमूल का कामकाज देखने गए. वह इतने प्रभावित हुए कि डॉ. कुरियन को देशभर में इसी मॉडल को दोहराने की जिम्मेदारी सौंप दी. लाल बहादुर शास्त्री ने 1965 में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की स्थापना की, डॉ कुरियन को इसका प्रमुख बनाया गया.
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के चेयरमैन के पास सबसे बड़ी समस्या बजट की थी. उस दौर में भी वर्ल्ड बैंक शर्तों के साथ लोन देता था. 1969 में विश्व बैंक के अध्यक्ष भारत आए तो डॉ कुरियन ने उनसे मुलाकात की. अपनी योजना के बारे में बताया. साथ ही उनसे 'पैसे देने और इसके बारे में भूल जाने' को कहा. आश्चर्यजनक तरीके से वर्ल्ड बैंक ने लोन मंजूर कर लिया.
फिर आया 1970 का दौर, जब डॉ. वर्गीज कुरियन ने देश में ऑपरेशन फ्लड यानी श्वेत क्रांति की नींव रखी. 1950-51 में देश का दूध उत्पादन केवल 1.7 करोड़ टन था. 2019 तक एक करोड़ 90 लाख दुग्ध सहकारी समितियां भारत में थी. भारत ने वर्ष 2019-20 के दौरान 19.84 करोड़ टन दूध का उत्पादन किया.
भारत के प्रथम राष्ट्रपति श्री राजेन्द्र प्रसाद ने 1955 में अमूल डेयरी का शिलान्यास किया. संस्थापक त्रिभुवनदास पटेल के साथ डॉ वर्गीज कुरियन. photo courtesy: Amul twitter 1976 में फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल ने दूध की सहकारी समितियों पर आधारित फिल्म मंथन बनाने का फैसला किया. उन्होंने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड से फंडिंग की गुजारिश की. डॉ वर्गीज सहमत हो गए, मगर इतना पैसा देना आसान नहीं था. कुरियन ने पांच लाख किसानों से फिल्म के खर्च के लिए दो रुपये का टोकन देने को कहा और फिल्म बन गई. यह फिल्म काफी सराही गई.
डॉ कुरियन को दुनियाभर के विश्वविद्यालयों से 12 मानद उपाधियां दी गईं. उन्हें 1999 में पद्म विभूषण, 1993 में इंटरनेशनल पर्सन ऑफ द ईयर अवार्ड, 1989 में वर्ल्ड फूड प्राइज और 1963 में रेमन मैग्सेसे अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था.
डॉ वर्गीज कुरियन की 96वीं जयंती.
डॉ कुरियन ने अपनी जीवनी 'आई टू हैड अ ड्रीम' में लिखा है कि वह पूरी जिंदगी दूध का कारोबार करते रहे, मगर वह कभी दूध नहीं पीते थे.