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जानें क्या है आटा-साटा प्रथा, शादी के नाम पर लड़कियों की अदला-बदली - रेगिस्तानी इलाकों में आटा साटा परंपरा

रेगिस्तानी इलाकों में लड़कियों की घटती संख्या ने शादी की इस नई परंपरा को जन्म दिया है. यहां आटा-साटा प्रथा के मुताबिक, दुल्हन के परिवार वाले अपनी बेटी की शादी तब तक नहीं करवाते हैं जब तक कि दुल्हे के परिवार की कोई लड़की उनके परिवार के सदस्य से शादी के बंधन में न बंध जाए. इस प्रथा में लड़की की उम्र का ध्यान नहीं रखा जाता है.

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'आटा-साटा'

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Published : Jul 8, 2021, 9:46 PM IST

Updated : Jul 8, 2021, 10:06 PM IST

नई दिल्ली :भारत के कई हिस्सों में अब तक सदियों पुरानी ऐसी कई गलत परंपराएं जिंदा है जिसका विरोध करना बेहद मुश्किल हो जाता है. कई बार इन कुप्रथाओं के कारण लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ जाती है और यह अब लोगों के लिए अभिशाप बनते जा रहे हैं. देश में गलत परंपरा के कारण जान गंवाने का ताजा मामला राजस्थान से सामने आया है. यहां लंबे समय से चली आ रही 'आटा-साटा' (aata sata) परंपरा को दोष देते हुए एक 21 साल की युवती ने आत्महत्या कर ली. युवती नागौर जिले की रहने वाली थी और उसने कुछ दिन पहले हेमपुरा गांव में एक कुएं में कूदकर अपनी जान दे दी.

  • युवती ने सुसाइट नोट में क्या लिखा

युवती ने अपनी जान देने से पहले एक सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें उसने 'आटा-साटा' प्रथा को छोड़ने की अपील करते हुए लिखा कि अगर समाज की नजर में तलाक लेना और परिवार के खिलाफ शादी करना गलत है तो फिर 'आटा-साटा' भी गलत है. युवती ने आगे लिखा, "आज इस प्रथा के कारण लड़कियों की जिंदगी और परिवार पूरे बर्बाद हो गए हैं, इस प्रथा के कारण पढ़ी-लिखी लड़कियों की जिंदगी खराब हो रही है, इसी प्रथा के कारण 17 साल की लड़की की शादी एक 70 साल के बुजुर्ग के साथ कर दी जाती है, और यह केवल अपने स्वार्थ के लिए किया जाता है."

  • क्या है 'आटा-साटा' प्रथा?

रेगिस्तानी इलाकों में लड़कियों की घटती संख्या ने शादी की इस नई परंपरा को जन्म दिया है. यहां आटा-साटा प्रथा के मुताबिक, दुल्हन के परिवार वाले अपनी बेटी की शादी तब तक नहीं करवाते हैं जब तक कि दुल्हे के परिवार की कोई लड़की उनके परिवार के सदस्य से शादी के बंधन में न बंध जाए. इस प्रथा में लड़की की उम्र का ध्यान नहीं रखा जाता है. यह प्रथा राजस्थान के सूखाग्रस्त इलाकों में आम बात बन गई है. यह सबसे ज्यादा राज्य के तीन जिलों झुंझुनू, चुरू और सीकर में फैली हुई है. अगर परंपरा में आसान भाषा में इस तरीके से समझ सकते हैं कि यहां पति की बहन को अपनी भाभी के परिवार के किसी सदस्य से साथ शादी करनी होती है. बतौर रिपोर्ट, यह परंपरा क्षेत्र में लड़कियों के लिंगानुपात में कमी का नतीजा है.

  • ताजा मामले से जुड़ी अहम जानकारी

जानकारी के मुताबिक, खुदकुशी करने वाली युवती का पति शादी के बाद उसे छोड़कर विदेश चला गया था. शादी के 8 महीने बाद युवती भी मायके वापस आ गई. हालांकि पीड़िता के परिजनों ने आरोप लगाया है कि मृतक की दिमागी हालत ठीक नहीं थी.

  • प्रथा को लेकर क्या कहते हैं समाजसेवी संस्थाएं

राजस्थान में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता के मुताबिक, इस प्रथा के प्रचलित होने के पीछे कई कारण हैं. डॉ. वीरेंद्र विद्रोही बताते हैं कि ग्रामीण इलाकों के लोग अपने समुदाय की लड़कियों से शादी करना पसंद करते हैं. अगर उन्हें शादी के लिए लड़कियां न मिले और लड़कियों के कमी होने पर वह असम, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश से दुल्हनें खरीद कर लाते हैं जो एक मानव तस्करी है.

  • एक्टिविस्टों के मुताबिक, प्रथा से लाभ-नुकसान

इस प्रथा के मुताबिक, जब एक लड़की की शादी दूसरे परिवार के लड़के से होती है तो उसका भाई उसके पति की बहन से शादी करता है. यह महिलाओं के लिए कई मायनों में सही लगता है, लेकिन इसमें लड़कियों की सहमति जरुरी नहीं होती. बतौरएक्टिविस्ट, इससे दहेज प्रथा से बचा जा सकता है, लेकिन इसका एक दुष्परिणाम भी है. वह यह है कि यदि एक पक्ष दुल्हन को प्रताड़ित किया जाता है कि तो दूसरा पक्ष भी दुल्हन को प्रताड़ित करने लगता है. यदि एक लड़की अपने पति से अलग होगी तो दूसरी को भी उसके पति से अलग कर दिया जाता है.

  • राजस्थान में ऐसे ही कुछ अन्य केस- छोटे बेटे की शादी के लिए पोतियों की अदला बदली तक आई बात

ग्रामीण राजस्थान में रहने वाली राधा सेन के बड़े बेटे की शादी 8 साल पहले हुई थी और उनकी 5 और 3 साल की 2 पोतियां हैं. वह अपने छोटे बेटे के लिए कोई लड़की नहीं खोज पाई हैं क्योंकि उनके वंश में ऐसी कोई लड़की नहीं है जिसे बहु के बदले में दिया जा सके. राधा सेन कहती हैं, "छोटे बेटे की शादी के लिए मुझसे कहा जा रहा है कि मैं अपनी पोतियों की अदला बदली करुं, मैं ऐसा नहीं कर सकती, भले ही मेरा बेटा कुंवारा ही क्यों न रहे."

  • आटा साटा के लिए लड़की नहीं, बिन शादी के बीत रहा जीवन

राधा सेन के छोटे बेटे का तरह है राज्य के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले महेंद्र सिंह के भाई की शादी उनके परिवार में आटा-साटा के लिए लड़की नहीं होने के कारण रुकी पड़ी है. महेंद्र का भाई 35 साल से ज्यादा उम्र का हो गया है. महेंद्र बताते हैं, "विस्तृत परिवारों के साथ कोई जाखिम नहीं उठा सकता है, अगर किए गए वादे को मानने से इनकार किया गया तो वे दुल्हन को ले जाएंगे, मेरे समुदाय में ऐसे कई मामले सामने आए हैं."

  • कृषि भूमि को बाहरी लोगों से सुरक्षित रखने के लिए परंपरा को मिल रहा बढ़ावा

आंकड़ों के मुताबिक, इन इलाकों में संपत्ति और विशेष रुप से कृषि भूमि को बाहरी लोगों से सुरक्षित रखने की चिंता के कारण आटा-साटा परंपरा को बढ़ावा मिला है. हालांकि, राजस्थान में 2011 के बाद से लिंगानुपात में सुधार हुआ है और कन्या भ्रूण हत्याएं काफी हद तक कम हुई हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 2011 में लिंगानुपात प्रति 1000 पुरुषों में 888 महिलाओं तक के चिंताजनक स्थर तक पहुंच गया था, लेकिन आज राजस्थान का लिंगानुपात 948 तक पहुंच गया है.

Last Updated : Jul 8, 2021, 10:06 PM IST

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