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मुंबई महापंचायत : भाजपा को हराने का आह्वान, क्या चुनावी मैदान में भी उतरेंगे किसान संगठन ?

किसान संगठनों ने मुंबई में रविवार को आयोजित महापंचायत में आगामी सभी विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को हराने का आह्वान किया है. महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब एमएसपी के समर्थक थे और किसानों के हितों की गारंटी सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी कानून चाहते थे.

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राकेश टिकैत

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Published : Nov 28, 2021, 8:02 PM IST

मुंबई :मुंबई में रविवार को आयोजित किसान महापंचायत में आगामी सभी विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को हराने का आह्वान किया गया और अन्य मांगों के लिए लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया गया. इनमें फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी के लिए कानून, बिजली संशोधन विधेयक वापस लेने, लखीमपुर खीरी कांड को लेकर केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा की गिरफ्तारी की मांग शामिल है.

भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत ने संसद सत्र की शुरुआत की पूर्व संध्या पर दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में संयुक्त शेतकरी कामगार मोर्चा (SSKM) के बैनर तले आयोजित किसानों की महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब एमएसपी के समर्थक थे और किसानों के हितों की गारंटी सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी कानून चाहते थे.

टिकैत ने मोदी नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर इस मुद्दे पर बहस से भागने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा, 'केंद्र को किसानों को एमएसपी की गारंटी देने के लिए एक कानून लाना चाहिए. कृषि और श्रम क्षेत्रों से जुड़े कई मुद्दे हैं, जिन पर ध्यान देने की जरूरत है और हम उन्हें उजागर करने के लिए पूरे देश में यात्रा करेंगे.'

टिकैत ने यह भी मांग की कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर के विरोध प्रदर्शन में जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों को वित्तीय सहायता दी जाए.

एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि समाज सुधारक ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि पर आयोजित महापंचायत ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए केंद्र पर किसानों की जीत की सराहना की और शेष मांगों के लिए संघर्ष का संकल्प लिया. इसमें कहा गया है कि पूरे महाराष्ट्र के किसान, मजदूर, खेतिहर मजदूर, महिलाएं, युवा और सभी धर्मों और जातियों के छात्र इस सम्मेलन में शामिल हुए.

विज्ञप्ति में कहा गया है, 'महापंचायत ने कृषि कानूनों को निरस्त कराने में भाजपा-आरएसएस सरकार पर साल भर से चले आ रहे किसानों के संघर्ष की ऐतिहासिक जीत का जश्न मनाया और बाकी मांगों के लिए लड़ने का संकल्प भी जताया. इन मांगों में एमएसपी एवं खरीद की गारंटी के लिए एक केंद्रीय कानून, विद्युत संशोधन विधेयक को वापस लेना, लखीमपुर खीरी घटना के लिए केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा की कैबिनेट से बर्खास्तगी और गिरफ्तारी, चार श्रम संहिताओं का निरसन, निजीकरण के माध्यम से देश को बेचने का अंत आदि शामिल है.'

विज्ञप्ति में कहा गया है, 'वह डीजल, पेट्रोल और रसोई गैस की कीमतें कम करने के लिए भी संघर्ष करेगा. अन्य मांगों में मनरेगा के तहत काम के दिनों और मजदूरी को दोगुना करना और इस योजना को शहरी क्षेत्रों में विस्तारित करना शामिल है.'

विज्ञप्ति में कहा गया है कि महापंचायत ने आगामी सभी विधानसभा चुनावों और महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा को हराने का आह्वान किया.

इस मौके पर सभा को राकेश टिकैत, दर्शन पाल, हन्नान मुल्ला सहित एसकेएम नेताओं ने संबोधित किया. साथ ही योगेंद्र यादव, मेधा पाटकर, युद्धवीर सिंह, तजिंदर सिंह विर्क, अतुल कुमार अंजान, राजाराम सिंह और अन्य ने भी संबोधन दिया.

विज्ञप्ति में कहा गया है कि लखीमपुर खीरी के किसान पीड़ितों की 'शहीद कलश यात्रा' 27 नवंबर को छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा, मुंबई में बाबासाहेब आंबेडकर की चैत्य भूमि, शहीद बाबू जेनू स्मारक और महात्मा गांधी की प्रतिमा तक भी पहुंची. यह यात्रा 27 अक्टूबर को पुणे से शुरू हुई थी और यह महाराष्ट्र के 30 से अधिक जिलों से गुजरी है.

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संयुक्त शेतकरी कामगार मोर्चा के अशोक धवले ने कहा कि यह यात्रा रविवार को 1950 के दशक के संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन के 106 शहीदों के स्मारक हुतात्मा चौक भी पहुंची. उन्होंने बताया कि शहीदों की अस्थियां एक विशेष कार्यक्रम में गेटवे ऑफ इंडिया के पास अरब सागर में विसर्जित की गईं.

इस महीने की शुरुआत में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के सरकार के फैसले की घोषणा की थी.

कई किसान तीन कृषि कानूनों- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020- के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर नवंबर 2020 से ही प्रदर्शन कर रहे हैं.

केंद्र ने प्रदर्शनकारी किसानों के साथ कई दौर की बातचीत की थी. उसका कहना था कि कानून किसानों के हित में हैं, जबकि प्रदर्शनकारियों का दावा था कि कानूनों के कारण उन्हें कॉर्पोरेट घरानों की दया पर छोड़ दिया जाएगा.

(पीटीआई-भाषा)

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