अहमदाबाद : पोरबंदर (Porbandar) भगवान कृष्ण (Lord Krishna) के मित्र सुदामा (Sudama) की कर्मभूमि है और महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) यानी भारत के राष्ट्रपिता (Father of the Nation) मोहनदास करमचंद गांधी (Mohandas Karamchand Gandhi) की जन्मस्थली है. साबरमती के वह संत जिन्होंने सत्य और अहिंसा के अस्त्र से विश्व को वश में कर लिया. जिस स्थान पर उनका जन्म हुआ. वह आज कीर्ति मंदिर (Kirti Mandir) के नाम से जाना जाता है.
यह स्थान दो खंडों में विभाजित है, एक वह स्थान है जहां महात्मा गांधी का जन्म हुआ था और दूसरा कीर्ति मंदिर है, जो बापू को श्रद्धांजलि देने के लिए बनाया गया स्थान है. गांधीजी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर में इसी स्थान पर हुआ था. पुराने घर को महात्मा गांधी के परदादा हरजीवन गांधी (great-grandfather Harjivan Gandhi) ने 1777 में पोरबंदर की एक ब्राह्मण महिला से खरीदा था.
गांधीजी के दादा उत्तमचंद गांधी (Uttamchand Gandhi), जिन्हें ओटा गांधी (Ota Gandhi) के नाम से जाना जाता था. उन्होंने इमारत का विस्तार तीन मंजिलों तक किया. ओटा गांधी पोरबंदर राज्य के दीवान थे. गांधी जी 7 साल तक पोरबंदर में रहे, फिर वे पढ़ाई के लिए राजकोट गए और 1882 में मोहनदास गांधी जी का विवाह 13 साल की उम्र में पोरबंदर के नागरशेत गोकुलदास माकनजी (Nagarshet Gokuldas Makanji) की बेटी कस्तूरबा से हो गया.
गलियारे में एक बड़ा टैंक है, जिसमें बारिश का पानी जमा होता है, साथ ही दरवाजे में नक्काशी और कास्ट आर्ट (carvings and cast art) भी है. जिस स्थान पर बापू का जन्म हुआ था, उस स्थान पर एक स्वास्तिक बनाया गया है और ऊपर रैंटियो (चरखा) के साथ उनका एक ऑयल पिरक्चर (oil picture) रखा गया है.
साथ ही विपरीत दिशा में पिता करमचंद और माता पुतली बाई की 3डी तस्वीर (D picture of father Karamchand and mother Putli Bai) भी लगाई गई है. मां पुतली बाई वैष्णववाद की सख्त अनुयायी थीं और वह अपने अलग रसोई में खाना बनाती थीं जबकि ऊपर एक और रसोई थी. कमरों को सजाया और रंगा हुए हैं.
1944-45 में जब बापू को आगा खान पैलेस (Aga Khan Palace) की कैद से रिहा किया गया, तो पोरबंदर के राजारत्न सेठ नानजी कालिदास मेहता (Rajaratna Seth Nanji Kalidas Mehta) ने उनसे पंचगिनी में रहने का अनुरोध किया.
इस बीच पोरबंदर के महाराज नटवरसिंहजी (Maharaj Natwarsinhji of Porbandar ) ने लोगों की भावनाओं को व्यक्त किया और बापू के जन्म स्थान के पास एक सुंदर स्मारक बनाने की बात कही.
बापू मान गए और 1947 में दरबार साहब गोपाल दास देसाई (Darbar Saheb Gopal Das Desai) ने स्मारक की आधारशिला रखी. कीर्ति मंदिर दो साल में ₹5 लाख की लागत से बनाया गया था.
जब गांधीजी की मृत्यु हुई, तो वे 79 वर्ष के थे, गरीबी और अंधकार को मिटाने के लिए उनके आजीवन संघर्ष के प्रतीक के रूप में 79 दीयों के आकार के ऊपर मिट्टी के बर्तन बनाए गए थे.