भोपाल।दुकान में सामान मिलता है, लेकिन उसकी भी कीमत तय होती है, लेकिन भोपाल में एक दुकान ऐसी भी है, जहां खुशियां मिलती है. वह भी बिना कीमत की. आधा दर्जन लोगों ने मिलकर लोगों की खुशियां सहेजने और उन तक पहुंचाने के लिए एक दुकान की शुरूआत की और नाम रखा खुशी की दीवार...इस दुकान में एक तरफ लोग जरूरत का सामान दूसरों की मदद के लिए खुशी-खुशी दे जाते हैं, जो जरूरमंदों के लिए काम आता है. इस खुशी की दुकान में कपड़ों से लेकर बच्चों के खिलौने और वॉशिंग मशीन तक मौजूद है. जिसकी जैसी जरूरत होती है, वो यहां से मुफ्त में अपनी खुशियां समेट ले जाता है.
एक संस्था का गठन कर शुरू की दुकान:समिति के सचिव मनीष माथुर कहते हैं कि अपने कुछ दोस्तों के साथ चर्चा में अचानक यह बात निकली की कई बार घर के पुराने कपड़े निकलते हैं, जो पहनने लायक होते हैं, लेकिन उन्हें किसी को देने से पहले संकोच होता है कि कोई इसे लेगा या नहीं. इससे ही यह आइडिया आया कि क्यों न इस तरह का एक स्थान बना दिया जाए. जहां उनके लिए अनुपयोगी हो चुकी, लेकिन अच्छी स्थिति में हों, उन्हें दान दिया जा सके और जरूरतमंद वहां से बिना किसी से पूछे उन्हें ले जा सके. इसके बाद हमने एक संस्था का गठन किया और अपने ही खाली शो रूम के एक हिस्से में इसे शुरू कर दिया. शुरूआत में तो दान देने वालों और खुशियां लेने वालों की कमी रही, लेकिन अब यहां लेने वालों का तांता लगा रहता है.