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'सरकार ने विपक्षी सदस्यों को बदनाम करने और फंसाने के लिए महिला मार्शलों का इस्तेमाल किया' - मानसून सत्र

मानसून सत्र के दौरान अंतिम दिन के हंगामे पर राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार ने विपक्षी सदस्यों को फंसाने के लिए राज्यसभा में महिला मार्शलों का इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि एक पार्टी पर दोषारोपण सही नहीं, उम्मीद है कि राज्यसभा के हंगामे के मामले में फैसला निष्पक्ष होगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि संसद को लोकतांत्रिक तरीके से नहीं चला रही सरकार, दोनों सदनों में बहुमत के कारण अपना असली रंग दिखा रही है.

खड़गे
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Published : Aug 17, 2021, 7:24 PM IST

नई दिल्ली : राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge)ने मानसून सत्र (monsoon session)के आखिरी दिन उच्च सदन में हुए हंगामे को लेकर सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए मंगलवार को आरोप लगाया कि विपक्षी नेताओं को 'कसूरवार ठहराने और फंसाने' के लिए महिला मार्शलों का उपयोग किया गया.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता खड़गे ने 'पीटीआई-भाषा' को दिए साक्षात्कार में उम्मीद जताई कि राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू इस मामले में फैसला करते हुए निष्पक्ष रहेंगे क्योंकि एक पार्टी पर जिम्मेदारी डालना अनुचित होगा. उन्होंने यह भी कहा कि दोनों सदनों में बहुमत हासिल करने के बाद भाजपा अपना असली रंग दिखा रही है और विधेयकों को जबरन पारित कराकर तानाशाही तरीके से संसद को चलाना चाहती है.

खड़गे ने आरोप लगाया, 'सरकार ने विपक्ष को कसूरवार ठहराने और विपक्षी सांसदों को फंसाने के लिए महिला मार्शलों का इस्तेमाल किया.'उन्होंने यह दावा भी किया, 'सरकार का रवैया विपक्ष की छवि को धूमिल करने वाला था.'

कांग्रेस नेता के अनुसार, 11 अगस्त को राज्यसभा को सरकार ने एक 'किले' में तब्दील कर दिया था और बीमा संशोधन विधेयक को पारित कराने के लिए बल का प्रयोग किया क्योंकि वह सरकारी बीमा कंपनियों को अपने कारोबारी मित्रों के सुपुर्द करना चाहती है. यह पूछे जाने पर कि वह विपक्षी सांसदों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की सरकार की मांग के बारे में क्या सोचते हैं तो खड़गे ने कहा, 'जब कार्रवाई होगी तो हम देखेंगे. हमारे सदस्यों को चोट लगी है. हम सभापति से निष्पक्षता की उम्मीद करते हैं.'

साथ ही, उन्होंने आरोप लगाया, 'सरकार विपक्ष को कसूरवार ठहराना चाहती है और अगर किसी एक पार्टी पर जिम्मेदारी डाली गई तो फिर इसको लेकर निष्पक्ष दृष्टिकोण नहीं हो सकता.' सदन में कामकाज के मुद्दे पर खड़गे ने कहा, 'संप्रग सरकार के समय जब भाजपा विपक्ष में थी तो उस समय संसद में कामकाज इस बार से भी कम हुआ था.'उनके अनुसार, भाजपा सरकार में संसद में कामकाज 90 प्रतिशत है, जबकि संप्रग सरकार में यह 65 प्रतिशत था, जब भाजपा विपक्ष में थी.

गत 11 अगस्त की घटना को लेकर खड़गे ने कहा कि ओबीसी विधेयक पारित करने के बाद राज्यसभा की कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित की गई और फिर सरकार ने वहां 40-50 मार्शलों को इकट्ठा कर लिया जिनमें कुछ महिला मार्शल भी थीं जबकि सदन में बहुत अधिक हंगामा और हिंसा होने पर ही सभापति मार्शल बुलाते हैं.

यह भी पढ़ें-कांग्रेस का आरोप- झूठा प्रोपेगेंडा फैला रही केंद्र सरकार

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने विधायी कार्य को आगे बढ़ाने के लिए ताकत का इस्तेमाल किया. खड़गे ने कहा, 'यह स्पष्ट है कि सरकार सदन को लोकतांत्रिक ढंग से नहीं चला रही है. जब सदन में विपक्षी सदस्यों की संख्या ज्यादा थी तो उसने ऐसा नहीं किया था. संख्या ज्यादा होते ही भाजपा अपना असली रंग दिखा रही है.'

(पीटीआई भाषा)

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