नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 66 विधानसभा सीटों पर पार्टी की संभावनाओं को आगे बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश में विशेष पर्यवेक्षकों के रूप में चार वरिष्ठ नेताओं को तैनात किया है. दरअसल इस राज्य में 66 विधानसीटों पर सबसे पुरानी पार्टी वर्षों से हार रही है.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, खड़गे ने दिल्ली इकाई के पूर्व प्रमुख सुभाष चोपड़ा, गुजरात इकाई के पूर्व प्रमुख अर्जुन मोधवाडिया, हिमाचल प्रदेश इकाई के पूर्व प्रमुख कुलदीप सिंह राठौड़ और उत्तराखंड के प्रदीप टम्टा जैसे वरिष्ठ लोगों को 66 विधानसभा सीटों का सर्वेक्षण करने के लिए तैनात किया है ताकि संभावित उम्मीदवारों की पहचान करें और उन जिलों में पार्टी को मजबूत किया जा सके.
एआईसीसी के एक पदाधिकारी ने कहा, 'ये वो सीटें हैं जिन्हें हम पिछले तीन चुनावों से नहीं जीत पाए हैं. जाहिर है, वहां कुछ दिक्कतें हैं. इन वरिष्ठ नेताओं के दौरे से स्थानीय कार्यकर्ताओं को बढ़ावा मिलेगा, वह उठाए जाने वाले सुधारात्मक कदमों पर एआईसीसी को फीडबैक प्रदान करेंगे. इससे पार्टी आलाकमान को संभावित उम्मीदवारों की पहचान करने में भी मदद मिलेगी.'
बहुमत का आंकड़ा 116 सीट :उन्होंने कहा कि 'इन मुश्किल सीटों में से आधे से ज्यादा जीतने का विचार है. अगर हम ऐसा कर पाए तो राहुल गांधी द्वारा दिए गए 150 सीटों के लक्ष्य को आसानी से पूरा कर लिया जाएगा.' मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के लिए आवश्यक साधारण बहुमत 230 सीटों वाले सदन में 116 सीटों का है. 2018 में कांग्रेस 114 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी और छोटे दलों और कुछ निर्दलीयों के समर्थन से सरकार बनाने में सफल रही थी. बीजेपी के पास 104 सीटें थीं.
हालांकि, 2020 में वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल हो गए और कमलनाथ सरकार के पतन का कारण बने क्योंकि 20 से अधिक विधायकों ने ग्वालियर के पूर्व शाही परिवार के प्रभाव में विश्वास मत में कांग्रेस के खिलाफ मतदान किया.