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खालिस्तानियों ने बीजेपी के इन बड़े नेताओं को दी धमकी

खालिस्तानी समर्थक गुरपतवंत पन्नू ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के अलावा हिलाचल के सीएम जयराम ठाकुर और हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर को स्वतंत्रता दिवस के दिन तिरंगा नहीं फहराने की चेतावनी दी है.

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Published : Aug 3, 2021, 6:05 PM IST

शिमला/चंडीगढ़ :स्वतंत्रता दिवस के नजदीक आते ही एक बार फिर से खालिस्तानी अलगाववादी सुर्खियों में हैं. खालिस्तानियों ने फिर चेतावनी दी है. ताजा खबर खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू से जुड़ा है. पन्नू ने हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर को धमकी दी है कि वो स्वतंत्रता दिवस की दिन तिरंगा न फहराएं. यही उनके लिए अच्छा होगा. खालिस्तानी ने हिमाचल के सीएम जयराम ठाकुर और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को भी धमकी दी है.

खालिस्तान समर्थक एवं सिख फॉर जस्टिस संगठन के कर्ताधर्ता गुरपतवंत सिंह पन्नू ने यह धमकी पत्रकारों के माध्यम से दी है. इस संबंध में कई पत्रकारों को अंतरराष्ट्रीय कॉल आई. इसमें रिकॉर्डिंग संदेश के माध्यम से कहा गया है कि किसानों की मौत के लिए जेपी नड्डा जिम्मेदार हैं, क्योंकि वह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. बावजूद इसके किसानों के हितों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है. गौर रहे पन्नू के खिलाफ शिमला के साइबर थाने (Cyber Police Station of Shimla) में पहले ही एफआईआर दर्ज है. इस मामले की जांच साइबर पुलिस कर रही है. अब जांच का दायरा और बढ़ जाएगा.

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा.

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही कॉल

खालिस्तानी समर्थक गुरपतवंत पन्नू की तरफ से रिकॉर्ड की गई एक रेंडम फोन कॉल इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है. जिसमें पन्नू सीएम मनोहर लाल को धमकी दे रहे हैं कि वो 15 अगस्त के दिन न घर से बाहर निकलें और न ही तिरंगा झंडा फहराएं.

हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर.

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) ने कहा कि खालिस्तान समर्थक (Khalistan supporters) एवं सिख फॉर जस्टिस संगठन (Sikh for Justice Organization) के कर्ताधर्ता गुरपतवंत सिंह पन्नू की धमकी बाद हिमाचल सरकार ने इस बारे में केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को सूचित कर दिया है. विधानसभा में मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल के साथ लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा (international border) पर निगरानी बढ़ा दी गई है. प्रदेश की सीमाओं पर भी सख्ती बढ़ाई गई है.

हिमाचल के सीएम जयराम ठाकुर.

भारत को अस्थिर करने की कोशिश

विधानसभा में सीएम जयराम ने वायरल ऑडियो के बारे में कहा कि पूरे देश के साथ हिमाचल प्रदेश 15 अगस्त को हर्षोल्लास के साथ मनाता है, लेकिन इन दिनों इस प्रकार के संदेश मिलना निंदनीय है. सदन में इसपर बोलते हुए नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री (Leader of Opposition Mukesh Agnihotri) ने कहा कि विपक्ष के सदस्यों ने उस दिन भी मुख्यमंत्री से बात की थी जब उनको धमकी दी गई थी. उन्होंने कहा कि विपक्ष के विधायकों को भी विदेशों के नंबर से घमकियां आई हैं.

सीएम ठाकुर ने की निंदा.

नेता विपक्ष ने कहा कि ये अलगाववादी ताकतें हैं. इनको पंजाब में भी कोई टॉलरेट नहीं करता. ये लोग विदेशों में रहकर लगातार भारत को अस्थिर करने की कोशिश करते हैं. उन्होंने हैरानी जताई और कहा कि पंजाब में इस प्रकार की धमकियां दे तो समझ आता है, लेकिन हिमाचल जैसे शांतिप्रिय प्रदेश में इस प्रकार की बातें हैरान करने वाली हैं.

नेता विपक्ष ने कहा कि जहां भी मंत्री झंडा फहराएंगे वहां कांग्रेस के नेता भी मौजूद रहेंगे. कांग्रेस पार्टी भी इस घटना की निंदा करती है, जो लोग भी इन धमकियों के पीछे हैं उनको विदेशों से लाकर देश में सजा दी जानी चाहिए.

खालिस्तान आंदोलन का इतिहास

साल 1947 में अंग्रेज भारत को दो देशों में बांटने की योजना बना रहे थे, तभी कुछ सिख नेताओं ने अपने लिए अलग देश खालिस्तान की मांग की. उन्हें लगा कि अपने अलग मुल्क की मांग करने के लिए ये सबसे उपयुक्त समय है. आजादी के बाद इसे लेकर हिंसक आंदोलन चला. जिसमें कई लोगों की जान भी गई.1966 में भारत सरकार ने पंजाब को अलग राज्य बनाने की मांग मान ली. भाषा के आधार पर हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और केंद्र शाषित प्रदेश चंडीगढ़ की स्थापना हुई.

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अलग सिख देश की आवाज लगातार उठती रही.1971 में जगजीत सिंह चौहान ने अमेरिका जाकर वहां के अखबार में खालिस्तान राष्ट्र के तौर पर एक पेज का विज्ञापन प्रकाशित कराया और इस आंदोलन को मजबूत करने के लिए चंदा मांगा. बाद में 1980 में उसने खालिस्तान राष्ट्रीय परिषद बनाई और उसका मुखिया बन गया. लंदन में उसने खालिस्तान का देश का डाकटिकट भी जारी किया. इससे पहले 1978 में जगजीत सिंह चौहान ने अकालियों के साथ मिलकर आनंदपुर साहिब के नाम संकल्प पत्र जारी किया, जो अलग खालिस्तान देश को लेकर था.

80 के दशक में पूरे उभार पर था खालिस्तान आंदोलन

80 के दशक में खालिस्तान आंदोलन पूरे उभार पर था. उसे विदेशों में रहने वाले सिखों के जरिए वित्तीय और नैतिक समर्थन मिल रहा था. इसी दौरान पंजाब में जनरैल सिंह भिंडरावाले खालिस्तान के सबसे मजबूत नेता के रूप में उभरा. उसने स्वर्ण मंदिर के हरमंदिर साहिब को अपनी गतिविधियों का केंद्र बनाया. उसने अपने साथियों के जरिए पूरे पंजाब में इस आंदोलन को खासा उग्र कर दिया. तब ये स्वायत्त खालिस्तान आंदोलन अकालियों के हाथ से निकल गया. जरनैल सिंह भिंडरावाला के बारे में कहा जाता है कि वो सिख धर्म में कट्टरता का समर्थक था. सिखों के शराब पीने, बाल कटाने जैसी चीजों के वो सख्त खिलाफ था. जब भिंडरावाले ने पूरे पंजाब में अपनी पकड़ बनानी शुरू की तो अराजकता का दौर भी शुरू हो गया.

जानें क्या है ऑपरेशन ब्लू स्टार

पहले 'ऑपरेशन सनडाउन' बनाया गया, 200 कमांडोज को इसके लिए ट्रेनिंग दी गई. बाद में आम नागरिकों को ज्यादा नुकसान की आशंका के चलते इस ऑपरेशन को खत्म कर दिया गया. एक जून 1984 को भारत सरकार ने ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम देकर सैन्य कार्रवाई की और इस आंदोलन को कुचल दिया. उस दौरान स्वर्ण मंदिर में पानी और बिजली की सप्लाई काट दी गई. स्वर्ण मंदिर के अंदर 6 जून 1984 को व्यापक अभियान चलाया गया, भारी गोलीबारी के बाद जरनैल सिंह भिंडरवाला का शव बरामद किया गया. सात जून 1984 को स्वर्ण मंदिर पर आर्मी का कंट्रोल हो गया. हालांकि इससे सिख समुदाय में इंदिरा सरकार के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा भी बरपा. महज 4 महीने बाद ही 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उनके ही 2 सिख सुरक्षाकर्मियों ने कर दी.

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