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Published : Jul 4, 2023, 5:31 PM IST

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Khalistan Conspiracy: विदेशी जमीन से नापाक साजिश रच रहे खालिस्तानी कट्टरपंथी

कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूके में खालिस्तानी खतरा बढ़ रहा है. कट्टरपंथी इन देशों में भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं. वह भारत विरोधी नारेबाजी कर रहे हैं, राजनयिकों को धमका रहे हैं, वाणिज्य दूतावासों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. खास रिपोर्ट.

Khalistan Conspiracy
खालिस्तानी कट्टरपंथी

नई दिल्ली :खालिस्तानी कट्टरपंथी विदेश में भारत के खिलाफ साजिश रच रहे हैं. वह भारत के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं, वाणिज्य दूतावास को नुकसान पहुंचा रहे हैं, भारतीय राजनयिकों को धमका रहे हैं. अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया से हाल में जो घटनाएं सामने आई हैं, उनसे साफ है कि वैश्विक मंच का ध्यान खींचने के लिए ऐसी घटिया हरकत कर रहे हैं. हालांकि भारत ने अपना रुख साफ कर दिया है कि कट्टरपंथी सोच किसी भी हाल में अच्छी नहीं है.

ताजा मामला अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को का है, जहां खालिस्तान समर्थकों ने भारत के वाणिज्य दूतावास को आग लगा दी. यही नहीं दुस्साहस ऐसा कि ट्वीटर पर इसका वीडियो भी पोस्ट कर दिया. वीडियो में 'हिंसा से हिंसा पैदा होती है' जैसे शब्दों के साथ कनाडा स्थित खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर की मौत से संबंधित समाचार लेख भी दिखाए गए हैं. गनीमत ये रही कि हमले में किसी कर्मचारी को नुकसान नहीं पहुंचा और इमारत को भी कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है.

सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे एक पोस्टर में कहा गया है कि 8 जुलाई को 'खालिस्तान फ्रीडम रैली' आयोजित की जाएगी जो बर्कले, कैलिफोर्निया से शुरू होगी और सैन फ्रांसिस्को में भारतीय दूतावास पर समाप्त होगी.

10 लाख के इनामिया निज्जर की हाल ही में हुई थी हत्या :दरअसल ये हमलाआतंकवादी संगठन खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर की मौत से जुड़ा है. 18 जून को सरे, ब्रिटिश कोलंबिया, कनाडा में उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. वह भारत के सबसे वांछित आतंकवादियों में से एक था. निज्जर पर 10 लाख रुपये का इनाम था. खालिस्तानी समूह निज्जर की मौत को भारतीय खुफिया एजेंसियों के काम से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं.

कट्टरपंथियों ने पोस्टर भी जारी किया :खालिस्तानी समूहों ने आगजनी के बाद अमेरिका में भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू पर निशाना साधते हुए एक पोस्टर भी जारी किया है. नए पोस्टर में संधू और सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय महावाणिज्य दूतावास के महावाणिज्यदूत टीवी नागेंद्र प्रसाद पर निज्जर की हत्या में भूमिका निभाने का आरोप लगाया गया है. निज्जर की हत्या के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में खालिस्तानी गतिविधि में और वृद्धि देखी गई है.

अमेरिका ने की निंदा :हालांकि अमेरिका ने भारतीय वाणिज्य दूतावास के खिलाफ बर्बरता, आगजनी के प्रयास की निंदा की है.अमेरिकी सरकार ने कड़ी निंदा की और इसे 'आपराधिक कृत्य' करार दिया.

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने ट्विटर पर लिखा, 'अमेरिका शनिवार को सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास के खिलाफ कथित बर्बरता और आगजनी के प्रयास की कड़ी निंदा करता है. अमेरिका में राजनयिक सुविधाओं या विदेशी राजनयिकों के खिलाफ बर्बरता या हिंसा एक आपराधिक अपराध है.'

मार्च में भी हुआ था सैन फ्रांसिस्को में हमला :कुछ महीनों के भीतर यह दूसरी बार है जब सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर खालिस्तानी समर्थकों ने हमला किया है.

19 मार्च को खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला किया और उसे क्षतिग्रस्त कर दिया. खालिस्तान समर्थक नारे लगाते हुए, प्रदर्शनकारियों ने शहर पुलिस द्वारा लगाए गए अस्थायी सुरक्षा अवरोधों को तोड़ दिया और वाणिज्य दूतावास परिसर के अंदर दो तथाकथित खालिस्तानी झंडे लगा दिए. हालांकि वाणिज्य दूतावास के दो कर्मियों ने जल्द ही इन झंडों को हटा दिया.

कनाडा में भी पोस्टर के जरिए दुष्प्रचार : उधर, कनाडा में कट्टरपंथियों ने भारत के खिलाफ दुष्प्रचार की साजिश रची. कथित तौर पर सिख चरमपंथियों द्वारा प्रसारित 'किल इंडिया' शीर्षक वाले पोस्टर में कनाडा में दो भारतीय राजनयिकों को भी निशाना बनाया गया. उन पर आतंकवादी निज्जर की मौत में भूमिका निभाने का आरोप लगाया गया. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पोस्टर में ओटावा में भारत के उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और टोरंटो में महावाणिज्यदूत अपूर्व श्रीवास्तव की तस्वीरें थीं. उनकी तस्वीरों के ऊपर कैप्शन में लिखा था, 'टोरंटो में शहीद निज्जर के हत्यारों के चेहरे.'

पोस्टरों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कनाडा ने मंगलवार को कहा कि वह 'राजनयिकों की सुरक्षा के संबंध में अपने दायित्वों को बहुत गंभीरता से लेता है.'

कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने एक बयान में कहा, 'कनाडा राजनयिकों की सुरक्षा के संबंध में वियना कन्वेंशन के तहत अपने दायित्वों को बहुत गंभीरता से लेता है. 8 जुलाई को प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन के संबंध में ऑनलाइन प्रसारित हो रही कुछ प्रचार सामग्री को लेकर कनाडा भारतीय अधिकारियों के साथ निकट संपर्क में है, जो अस्वीकार्य हैं.'

कनाडा के मंदिरों में तोड़फोड़ :पिछले महीने, कनाडा के ब्रैम्पटन में 'नगर कीर्तन' जुलूस के दौरान पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का महिमामंडन करने वाली एक विवादास्पद झांकी के प्रदर्शन ने व्यापक आक्रोश फैलाया. कनाडा में कई मौकों पर खालिस्तानी समर्थक नारों के साथ हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ और अपवित्रता की गई है. पिछले साल सिख फॉर जस्टिस ने खालिस्तान जनमत संग्रह भी आयोजित किया था.

ऑस्ट्रेलिया और यूके में भी घटनाएं :खालिस्तानी खतरा ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन में भी सामने आ चुका है. मार्च में ब्रिस्बेन में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला हुआ था और पिछले कुछ महीनों में देश भर में भारत विरोधी भित्तिचित्रों के साथ कई मंदिरों में तोड़फोड़ की गई थी. मार्च में लंदन में भारतीय उच्चायोग पर हमले को नाकाम कर दिया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हालिया यात्रा के दौरान अपने समकक्ष एंथनी अल्बानीज़ के साथ खालिस्तानी मुद्दे पर चर्चा की थी.

जयशंकर ने दी चेतावनी :सोमवार को ही भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे अपने साझेदार देशों से 'चरमपंथी खालिस्तानी विचारधारा' को जगह नहीं देने को कहा था. उन्होंने कहा कि यह संबंधों के लिए 'अच्छा नहीं' है.

जयशंकर ने कहा 'हम पहले ही अपने साथी देशों जैसे कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया से अनुरोध कर चुके हैं कि वे खालिस्तानियों को जगह न दें, जहां कभी-कभी खालिस्तानी गतिविधियां होती हैं. क्योंकि उनकी (खालिस्तानियों की) कट्टरपंथी, चरमपंथी सोच न तो हमारे लिए अच्छी है, न उनके लिए और न ही हमारे संबंधों के लिए.'

भारतीय प्रतिष्ठानों के लिए अलर्ट जारी :हालिया हमले के बाद, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम और विशेष रूप से सैन फ्रांसिस्को में भारतीय प्रतिष्ठानों को खालिस्तानी विरोध प्रदर्शनों के संबंध में सतर्क रहने के लिए कहा गया है. जांच एजेंसी पहले से ही मार्च में सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले की जांच कर रही थी. अब वह हालिया हमले की जांच भी अपने हाथ में ले सकती हैं.

कौन हैं खालिस्तान समर्थक :खालिस्तान आंदोलन एक अलगाववादी समूह है जो पंजाब से सिखों के लिए अलग संप्रभु राज्य स्थापित करना चाहता है. इस प्रस्तावित राज्य में पंजाब (भारत) और पंजाब (पाकिस्तान) का क्षेत्र शामिल होगा, जिसकी राजधानी लाहौर होगी. यह आंदोलन ब्रिटिश साम्राज्य के पतन के बाद शुरू हुआ और 1970 और 1980 के दशक में सिख प्रवासी लोगों के वित्तीय और राजनीतिक समर्थन की मदद से गति पकड़ी. 1990 के दशक में विभिन्न कारणों से उग्रवाद में कमी आई. हालांकि हाल की जो घटनाएं सामने आई हैं उनमें सिख प्रवासियों से इस आंदोलन को कुछ समर्थन मिला है.

कैसे पनपा आंदोलन : 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन से सिखों को बड़े पैमाने पर दरबदर होना पड़ा. उनकी जमीन और घर छूट गए. इसी को लेकर उनमें नाराजगी थी. पंजाबी सूबा आंदोलन ने भाषाई आधार पर पंजाब के पुनर्गठन की मांग की, जिसके परिणामस्वरूप पंजाब को पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में विभाजित किया गया. आनंदपुर साहिब संकल्प ने सिख जुनून को फिर से जगाया और खालिस्तान आंदोलन के बीज बोए, पंजाब के लिए स्वायत्तता की मांग की, एक अलग राज्य के लिए क्षेत्रों की पहचान की और अपना संविधान बनाने का अधिकार मांगा.

बाद में जरनैल सिंह भिंडरावाले जैसे कट्टरपंथी नेताओं ने खालिस्तान आंदोलन को तेज करते हुए रूढ़िवादी सिख धर्म की वापसी की वकालत की. भिंडरावाले को पकड़ने के लिए चलाए गए ऑपरेशन ब्लू स्टार के परिणामस्वरूप भारत विरोधी भावना प्रबल हो गई.

1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या ने सिख विरोधी दंगों और भारत के खिलाफ अधिक भावना को बढ़ावा दिया. खालिस्तान लिबरेशन फोर्स, खालिस्तान कमांडो फोर्स और बब्बर खालसा जैसे चरमपंथी समूहों ने प्रमुखता हासिल की और युवाओं को कट्टरपंथी बनाया.

पाकिस्तान की आईएसआई ने चरमपंथी समूहों का समर्थन करके हिंसा भड़काने की कोशिश की. सिख फॉर जस्टिस ने भारत से आजादी के लिए वैश्विक सिख समुदाय के बीच एक गैर-बाध्यकारी जनमत संग्रह कराने की मांग करते हुए रेफरेंडम 2020 की घोषणा की. मैनचेस्टर में विश्व कप सेमीफाइनल में खालिस्तानी समर्थकों को रेफरेंडम 2020 टी-शर्ट के साथ देखा गया था.

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(अतिरिक्त इनपुट एजेंसी)

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