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kerala Girl Donate liver part to Father : शाबाश बेटी! 12वीं की छात्रा ने पिता को दान किया लिवर का हिस्सा, बचाई जान

केरल में एक सत्रह वर्षीय लड़की ने अपने बीमार पिता की जान बचाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी. कोर्ट से इजाजत मिलने के बाद उसने पिता को लिवर का हिस्सा डोनेट किया. इसके साथ ही वह सबसे कम उम्र की डोनर बन गई है (Youngest Organ Donor). पढ़ें पूरी खबर .

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Published : Feb 19, 2023, 10:31 PM IST

Devananda with father
पिता के साथ देवानंदा

त्रिशूर: केरल की एक 17 वर्षीय लड़की ने अपने पिता को लिवर का हिस्सा डोनेट किया (Organ Donor Gives Part Of Liver To Father). वह भारत की सबसे कम उम्र की अंग दाता बन गई है (Youngest Organ Donor). 12वीं कक्षा की छात्रा देवानंदा (Devananda) ने केरल उच्च न्यायालय से इजाजत मांगी थी, क्योंकि देश में कानून नाबालिगों को अंग दान करने की अनुमति नहीं देता है.

अदालत की मंजूरी मिलने के बाद देवानंदा ने 9 फरवरी को अपने बीमार पिता प्रथीश (Pratheesh) को बचाने के लिए अपने लिवर का पार्ट दान किया. त्रिशूर में कैफे चलाने वाले 48 साल के प्रथीश (Pratheesh) लिवर की बीमारी से पीड़ित थे.

देवानंदा ने खुद को फिट रखने के लिए डाइट में बदलाव किया, साथ ही जिम ज्वाइन किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसके लिवर का पार्ट दान के लिए सबसे अच्छी स्थिति में हो.

सर्जरी अलुवा के राजागिरी अस्पताल में की गई. देवानंदा ने पिता की जान बचाने के लिए जो कोर्ट की लड़ाई लड़ी उसके लिए अस्पताल ने सर्जरी के खर्चों को माफ कर दिया. एक सप्ताह अस्पताल में रहने के बाद देवानंदा को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है और उसका कहना है कि वह 'गर्व, खुश और राहत महसूस कर रही है.'

प्रथीश का जीवन अचानक बदल गया जब पता चला कि उन्हें लिवर की बीमारी के साथ-साथ कैंसर का घाव भी है. परिवार को उपयुक्त डोनर नहीं मिलने के बाद देवानंदा ने अपने लिवर का पार्ट पिता को दान करने का फैसला किया.

मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम (1994) के प्रावधानों के मुताबिक अवयस्कों के अंगों के दान की इजाजत नहीं है. इस पर देवानंदा ने सभी संभावनाओं का पता लगाया. यह जानने के बाद कि इसी तरह के एक मामले में अदालत ने एक नाबालिग को अंग दान की अनुमति दी थी, उसने केरल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. न्यायमूर्ति वी.जी. अरुण ने विशेषज्ञों की टीम की सिफारिश के बाद देवानंदा को हरी झंडी देते हुए सभी बाधाओं के खिलाफ लड़ने के लिए उसकी तारीफ की.

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