कूटीकल (केरल) :पश्चिमी घाट पर्वत श्रृंखला की तलहटी में स्थित एक बस्ती में रविवार की सुबह रोती-बिलखती एक बुजुर्ग महिला को बारिश के पानी से लबालब सड़कों पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के पास जाकर मदद मागंते देखा जा सकता है.
फटी-सी साड़ी पहने महिला ने जोर-जोर से रोते और इधर-उधर भागते हुए कहा, 'मैंने सब कुछ खो दिया है ... अपना सब कुछ... मैं कहा जाऊं? ... मुझे कौन आश्रय देगा?'
शनिवार को अचानक हुई मूसलाधार बारिश ने गांव के लोगों को झकझोर कर रख दिया. बारिश में बुजुर्ग महिला की जीवन भर की कमाई का एक-एक पैसा बह गया और वह अचानक बेघर हो गई.
महिला ने पत्रकारों से कहा, मैंने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन सर से 'कूरा' (झोपड़ी) बनाने के लिए दो सेंट जमीन देने की गुहार लगाई है. मेरे पास कोई चारा नहीं है. मेरी बेटियों के घर भी जलमग्न हो गए हैं. अब मैं ठिकाने की तलाश में गिरजाघर जा रही हूं.
केरल के कोट्टायम जिले में स्थित कूटीकल में कई असहाय परिवारों की कहानी भी ऐसी ही है, जो कल भारी बारिश के कारण हुए सिलसिलेवार भूस्खलन के कारण गंभीर संकट का शिकार हुए हैं और कई लोगों की जान तक जा चुकी है.
आज सुबह जब भीषण बारिश में थोड़ी कमी नजर आई, तो इस गांव में बड़ी संख्या में लोग एक झटके में ही विस्थापितों की जिंदगी जीने को मजबूर हो गए और पुनर्वास परिसर में बसर करने को मजबूर हो गए.
कई बुजुर्ग ग्रामीणों ने कहा कि उन्होंने दशकों पुराने जीवन में पहली बार इतनी गंभीर वर्षा देखी और इसे अनुभव किया.
यहां एक स्थानीय दुकानदार ने अपनी नयी कार की ओर इशारा किया, जो लगभग नष्ट हो चुकी है और लटकी हुई दिखाई दे रही, जिसके पिछले पहिए उनके घर के परिसर में एक टूटी हुई दीवार पर चिपके हुए हैं.
अधेड़ उम्र के इस व्यक्ति ने कहा, यह मेरी नयी कार थी, जो घर के सामने खड़ी थी. शनिवार दोपहर मैं घर पर नहीं था तभी अचानक बाढ़ का पानी घर के परिसर के अंदर चला गया. मेरी पत्नी और बच्चे किसी तरह पड़ोसी के घर भाग गए. उन्होंने भावुक होते हुए अपनी 'मुंडू' (धोती) दिखाई और कहा कि उन्होंने यह पड़ोसी से उधार ली है.
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