कोच्चि : केरल हाई कोर्ट राज्य में आबकारी आयुक्तालय और बेवरेजेज कॉरपोरेशन (BEVCO) के सुझाव के अनुसार शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाने के खिलाफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वी. एम. सुधीरन (V M Sudheeran) की याचिका पर सुनवाई के लिए मंगलवार को राजी हो गया.
न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री से कहा कि वह सुधीरन की पुनरीक्षण याचिका पंजीकृत करे और इसे 25 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करे. आबकारी आयुक्तालय की ओर से वरिष्ठ सरकारी अधिवक्ता एस कन्नन ने संक्षिप्त सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि राज्य में शराब की दुकानों का संचालन करने वाले बेवको और कंज्यूमरफेड को ग्राहकों के लिए पार्किंग क्षेत्र और 'वॉक-इन' विकल्प जैसी अधिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए 'सख्त' निर्देश दिए गए हैं.
आबकारी आयुक्तालय द्वारा दाखिल एक बयान में कहा गया है कि 175 और आउटलेट स्थापित करने के बेवको के अनुरोध पर भी सरकार विचार कर रही है. अदालत ने बयान पर गौर करने के बाद कहा कि पार्किंग क्षेत्रों के अलावा, सार्वजनिक मूत्रालय भी उपलब्ध कराए जाने चाहिए, क्योंकि इन दुकानों से शराब खरीदने के लिए कतार में खड़े लोग अक्सर सड़क के किनारे पेशाब करते पाए जाते हैं, जिससे महिलाओं और बच्चों का वहां से गुजरना मुश्किल हो जाता है.
न्यायमूर्ति रामचंद्रन ने कहा, 'मैं आपके (सरकार) द्वारा उठाए गए कदमों से चिंतित नहीं हूं, मुझे केवल परिणाम चाहिए. मैं इस बात से अधिक चिंतित हूं कि जो लोग शराब नहीं पीते हैं, या महिलाओं और बच्चों को परेशानी नहीं होनी चाहिए.'
सुधीरन ने अधिवक्ता कलीस्वरम राज के माध्यम से दायर याचिका में दावा किया है कि शराब की दुकानों की संख्या बढ़ने से जनता की परेशानी बढ़ेगी.