कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय ने मालप्पुरम जिले के तानुर इलाके में दो दिन पहले हुई नौका दुर्घटना को वीभत्स और भयावह बताते हुए नौका संचालन में नियमों के उल्लंघन की जांच के लिए मंगलवार को स्वत: संज्ञान लिया. रविवार शाम हुई इस दुर्घटना में 15 बच्चों समेत 22 लोगों की मौत हुई है. विपक्ष सहित विभिन्न तबकों की ओर से की जा रही आलोचनाओं के बीच नौका मालिक के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किए जाने के साथ ही केरल सरकार ने जांच को तेज कर दिया. मामले में स्वत: संज्ञान लेकर इसपर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू करते हुए उच्च न्यायालय ने मालप्पुरम के जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि वह मलप्पुरम जिले के तानुर क्षेत्र में हुई घटना की रिपोर्ट सौंपें.
न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन और न्यायमूर्ति शोभा अन्नम्मा एपेन की पीठ ने हादसे को वीभत्स और भयावह करार देते हुए कहा कि उनका दिल रो रहा है और बेजान बच्चों को देखने के बाद उनकी रातों की नींद उड़ गई है. पीठ ने कहा कि 1924 के बाद से नियमित अंतराल पर राज्य में इस तरह की नौका त्रासदी हो रही है, जो डराने वाली है. वर्ष 1924 में कोल्लम से कोट्टयम जाने वाली एक नौका के पालना में डूबने की घटना में केरल ने महाकवि कुमारन आशान को खो दिया था, जो केरल के जाने माने कवियों में से एक थे.
अदालत ने कहा कि यह दुर्घटना निष्ठुरता, लालच और आधिकारियों की उदासीनता का घातक परिणाम है. इसने केरल सरकार, मालप्पुरम की जिला पर्यटन संवर्धन परिषद, जिले के पुलिस प्रमुख और जिलाधिकारी, तानुर नगर निकाय, बंदरगाह अधिकारी, अलप्पुझा और वरिष्ठ बंदरगाह संरक्षक, बेपोर को जनहित याचिका में शुरुआती प्रतिवादी बनाया है. याचिका पर अगली सुनवाई 12 मई को होगी. अदालत ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए स्वत: संज्ञान ले रही है कि ऐसी घटना दोबारा न हो. नौका रविवार शाम करीब साढ़े सात बजे थूवलथीरम तट के निकट डूब गई थी. जिले के अधिकारियों के अनुसार, हादसे में मारे गए लोगों में से 15 बच्चे थे, जिनकी उम्र आठ महीने से लेकर 17 वर्ष तक थी और बताया जाता है कि नौका में 37 लोग सवार थे.