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सिंगल पेरेंट्स को यात्रा दस्तावेज में परेशानी पर अदालत ने पासपोर्ट अधिकारियों को लगाई फटकार - सिंगल पेरेंट्स को यात्रा दस्तावेज में परेशानी

केरल उच्च न्यायालय ने एक तलाकशुदा महिला की बेटी का पासपोर्ट फिर से जारी कराने के लिए उसके पिता की सहमति के बिना आवेदन पर आपत्ति जताए जाने और अदालत का आदेश प्राप्त करने के लिए कहे जाने के कारण एक सहायक पासपोर्ट अधिकारी पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया है.

Kerala HC
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Published : Mar 3, 2022, 11:00 PM IST

कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय ने तलाकशुदा या अलग हो चुके एकल अभिभावकों को अपने बच्चों के यात्रा दस्तावेज फिर से जारी कराने के लिए मुकदमेबाजी का सहारा लेने पर मजबूर करने के लिए पासपोर्ट अधिकारियों को फटकार लगाई. अदालत ने कहा कि संबंधित अधिकारियों का रुख 'व्यावहारिक और तार्किक' होना चाहिए. उच्च न्यायालय ने एक तलाकशुदा महिला की बेटी का पासपोर्ट फिर से जारी कराने के लिए उसके पिता की सहमति के बिना आवेदन पर आपत्ति जताए जाने और अदालत का आदेश प्राप्त करने के लिए कहे जाने के कारण एक सहायक पासपोर्ट अधिकारी पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया.

न्यायमूर्ति अमित रावल का यह आदेश एक महिला की याचिका पर आया, जिसने दावा किया कि पासपोर्ट अधिकारियों ने उसके आवेदन को आगे नहीं बढ़ाया. माता-पिता में से एक की सहमति नहीं होने की स्थिति में नियमों के तहत उसने एक हलफनामा भी दिया था कि बच्चे की जिम्मेदारी पूरी तरह से उसकी होगी क्योंकि तलाक का पहले ही आदेश आ गया था. महिला ने अपनी याचिका में कहा था कि उसने आवेदन के साथ तलाक के आदेश की एक प्रति भी जमा की थी.

पीठ ने कहा, 'यह अदालत रोज इसी तरह की मुकदमेबाजी का सामना करती है. ऐसे मामलों, जहां माता-पिता वैवाहिक कलह का सामना कर रहे हैं या पहले से ही अलग हैं, याचिकाकर्ता/आवेदक को प्रपत्र अनुलग्नक 'सी' भरने के बावजूद पासपोर्ट फिर से जारी कराने के लिए उचित आदेश को लेकर इस अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर किया जाता है.'

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कार्यवाही के दौरान पासपोर्ट अधिकारियों ने अदालत को बताया कि महिला के आवेदन पर कार्रवाई की गई है और यह एक सप्ताह में पूरी हो जाएगी. अदालत ने कहा कि महिला को अपनी शिकायत के निपटारे के लिए मुकदमे का खर्च उठाना पड़ा, इसलिए सहायक पासपोर्ट अधिकारी पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि आदेश 'उन सभी पासपोर्ट अधिकारियों को प्रसारित किया जाए जो इस तरह की आपत्तियां जता रहे हैं और प्रभावित पक्षों को बिना किसी वाजिब कारण के इस अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर कर रहे हैं.'

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