कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय ने पिंक पुलिस अधिकारी द्वारा नाबालिग लड़की को पहुंचाए गए 'आघात' और 'आतंक' पर सख्ती दिखाई है. हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार नाबालिग लड़की को 1.75 लाख रुपये की राशि मुआवजे और मुकदमेबाजी की लागत के तौर पर देगी.
केरल की वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार को चोरी के मामले में पुलिस अधिकारी के गलत व्यवहार के कारण मुआवजा देना होगा. अदालत ने 'जज, ज्यूरी और जल्लाद' के तौर पर काम करने वाली पिंक पुलिस अधिकारी को नाबालिग लड़की को 'आघात पहुंचाने' और 'आतंकित' करने का दोषी माना है. न्यायमूर्ति रामचंद्रन ने दोषी अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का निर्देश भी दिया है.
अदालत ने कहा कि जब तक अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू और समाप्त नहीं हो जाती, तब तक अधिकारी को उन कार्यों से दूर रखा जाएगा जिसके लिए उसे आम जनता के साथ बातचीत करने की आवश्यकता होगी. अदालत ने निर्देश दिया कि अधिकारी को पारस्परिक व्यवहार पर आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए.
बुधवार को न्यायालय ने कहा कि राज्य की एक क्रांतिकारी पहल, पिंक गश्ती इकाई से बच्ची को 'सांत्वना और सुरक्षा' प्रदान करने की उम्मीद थी, लेकिन इसके बजाय उसके एक अधिकारी ने सार्वजनिक रूप से लड़की को 'आतंकित' कर दिया.
न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने कहा, 'उस समय बच्ची को जिस घोर लाचारी और निराशा से गुजरना पड़ा, उसका कभी भी ठीक से वर्णन नहीं किया जा सकता है और यह स्पष्ट है कि उसे गंभीर आघात और भय का सामना करना पड़ा. एक पुलिस अधिकारी द्वारा सार्वजनिक रूप से आतंकित किया जा रहा था जबकि उनसे यह उम्मीद थी कि वह उसे सांत्वना दें और उसकी रक्षा करें.'
अदालत को संज्ञान लेने की जरूरत
न्यायाधीश ने कहा, 'मुझे उम्मीद थी कि राज्य सरकार उसकी रक्षा के लिए आगे बढ़ेगी, क्योंकि वह उनकी भी बेटी है जितनी वह हमारी है, और उसे कुछ राशि की पेशकश करेगी.' न्यायमूर्ति रामचंद्रन ने कहा, 'लेकिन उनके मानसिक आघात को नहीं पहचान पाने पर निश्चित रूप से इस अदालत को संज्ञान लेने की आवश्यकता होगी.'
अधिकारी के कार्यों का बचाव करते हुए राज्य और पुलिस ने तर्क दिया था कि अधिकारी के कृत्य के कारण बच्ची को कभी भी किसी भी तरह की धमकी का सामना नहीं करना पड़ा और इसलिए, उसके किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं किया गया. उन्होंने दावा किया था कि अधिकारी की कार्रवाई उसके कर्तव्यों के निर्वहन में थी और उसका बच्ची या उसके पिता को डराने का कोई इरादा नहीं था.
मुकदमे की लागत 25 हजार रुपये