तिरुवनंतपुरम :केरल उच्च न्यायालय ने कोविड वैक्सीन विकसित करने वाली कंपनी भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट को नोटिस जारी किया है. टीकाकरण नीति को लेकर यह कार्यवाही की गई. हाई कोर्ट ने इस पर केंद्र सरकार से भी जवाब मांगा है.
अदालत ने सभी कोविड टीकों के लिए एक समान मूल्य की मांग के साथ ही 45 वर्ष से कम आयु के सभी नागरिकों का मुफ्त में टीकाकरण करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जवाब मांगा है.
याचिका में आरोप लगाया गया है कि विभिन्न टीकों के लिए अलग-अलग कीमत वसूलना भेदभाव है और 45 साल से कम उम्र के लोगों को मुफ्त टीके नहीं देना असंवैधानिक है.
याचिका में केंद्र सरकार से राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना के अनुसार वैक्सीनेशन संभालने की मांग की गई है. यह याचिका अखिल भारतीय वकील संघ के राज्य सचिव एडवोकेट सी. पी. प्रमोद ने दायर की थी.
केंद्र सरकार ने उच्च न्यायालय को सूचित किया कि ऐसा ही एक मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित है. याचिका पर अगले महीने फिर से सुनवाई की जाएगी.
बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने केंद्र, राज्यों और निजी अस्पतालों के लिए कोविड-19 रोधी टीके की अलग-अलग कीमत का संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को ऐसी मूल्य नीति के पीछे 'औचित्य और आधार' बताने को कहा है.
शीर्ष अदालत ने महामारी के दौरान आवश्यक सामानों की आपूर्ति एवं सेवाओं के वितरण से संबंधित मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र से यह भी पूछा कि वह एक मई से 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण की शुरुआत होने पर टीकों की अचानक बढ़ी मांग को कैसे पूरा करने वाला है.
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले में सुनवाई के लिए शुक्रवार का दिन तय किया. पीठ ने कहा, केंद्र को अपने हलफनामे में टीकों के मूल्य के संबंध में स्वीकृत आधार और औचित्य को स्पष्ट करना होगा.