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लोकसेवक के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले में केरल हाई कोर्ट का अहम फैसला - Criminal Proceedings

केरल हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि सरकार के खिलाफ आदेश जारी करने पर लोकसेवक के खिलाफ भ्रष्टाचार की कार्रवाई शुरू नहीं की जा सकती है. जब तक यह आरोप नहीं हो कि लोकसेवक का आदेश जारी करने में कोई परोक्ष मकसद था.

Public Servant
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Published : Jul 12, 2021, 7:38 PM IST

कोच्चि :केरल हाई कोर्ट ने सोमवार को कहा कि किसी लोकसेवक (Public Servant) या सांविधिक प्राधिकार द्वारा जारी किया गया गलत या सरकार के पक्ष में नहीं दिया गया आदेश उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला व आपराधिक कार्यवाही (Criminal Proceedings) शुरू करने की पर्याप्त वजह नहीं हो सकती है. बिक्री कर सहायक आयुक्त के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप और संबद्ध कार्यवाही निरस्त करते हुए हाई कोर्ट ने यह आदेश जारी किया.

बिक्री कर सहायक आयुक्त के खिलाफ इस आधार पर कार्यवाही की गई थी कि एक कंपनी द्वारा फाजिल कर के रूप में जमा की गई 50,18,606 रुपये उसे लौटाने का निर्देश देने संबंधी उनके आदेश से सरकार को नुकसान हुआ.

वाणिज्यिक कर आयुक्त की शिकायत पर अधिकारी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू की गई थी.

हाई कोर्ट ने कहा कि लोकसेवक का आदेश सरकार के पक्ष में नहीं होना भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत लोकसेवक के खिलाफ अभियोजन का आधार नहीं हो सकता, जब तक कि यह आरोप नहीं हो कि लोकसेवक का आदेश जारी करने में कोई परोक्ष मकसद था.

न्यायमूर्ति आर नारायण पिशारदी ने कहा, 'इस मामले में अभियोजन ने ऐसा कोई आरोप नहीं लगाया है कि याचिकाकर्ता (सहायक आयुक्त) ने रिश्वत ली थी या उनके द्वारा जारी आकलन आदेश अप्रासंगिक था.'

अदालत ने कहा कि अधिकारी के अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया की पवित्रता को लेकर भ्रमित नहीं होना चाहिए.

(पीटीआई-भाषा)

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