एर्नाकुलम: उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह कृत्रिम गर्भाधान कराने वाले जोड़ों के लिए निर्धारित आयु सीमा पर पुनर्विचार करे. महिला की उम्र 50 और पुरुष की उम्र 55 है. जस्टिस वीजी अरुण ने केंद्र सरकार को कृत्रिम गर्भाधान पर सलाह देने वाले नेशनल असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी एंड सरोगेसी बोर्ड को तीन महीने में केंद्र सरकार के ध्यान में लाने का आदेश दिया है.
एकल पीठ का फैसला कुछ दंपतियों की दलीलों पर आया है जो बच्चा पाने के लिए इलाज करा रहे हैं. 25 जनवरी 2022 को आए नए नियम में अधिकतम आयु सीमा तय की गई. जैसा कि इसका पालन नहीं किया जा सकता है, कई लोगों को अपना इलाज जारी रखना असंभव लगता है. याचिका में कहा गया है कि यह संविधान द्वारा प्रदत्त व्यक्तिगत स्वतंत्रता के भी खिलाफ है.
बच्चों को जन्म देना और परिवार का पालन-पोषण करना एक मौलिक अधिकार है. एक आयु सीमा उस अधिकार को कम कर देगी. वर्तमान में इलाज करा रहे लोगों को रियायत नहीं देने वाला नियम तानाशाही है और अतार्किक भी. हाईकोर्ट ने कहा कि जब नियम लागू हुआ तो कई का इलाज चल रहा था.