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केरल के राज्यपाल ने वित्त मंत्री को हटाने के लिए लिखा पत्र, सीएम ने आरोपों को किया खारिज

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (kerala governor Arif Mohammad Khan) ने वित्त मंत्री केएन बालगोपाल (kerala finance minister k n balagopal) के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है. वहीं, केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने राज्यपाल की मांग को खारिज कर दिया है.

Kerala governor Arif Mohammad Khan
आरिफ मोहम्मद खान

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Published : Oct 26, 2022, 5:51 PM IST

तिरुवनंतपुरम:केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Kerala governor Arif Mohammad Khan) ने मुख्यमंत्री पी. विजयन को पत्र लिखकर वित्त मंत्री केएन बालगोपाल (kerala finance minister k n balagopal) के खिलाफ संविधान के अनुसार कार्रवाई करने की मांग की है. उन्होंने यह मांग बालगोपाल द्वारा कथित तौर पर 'राष्ट्रीय एकता को कमतर' करने वाला भाषण देने के मामले में की है. राज्यपाल की इस मांग को मुख्यमंत्री ने खारिज कर दिया है. खान ने विजयन को पत्र लिखकर कहा कि बालगोपाल के पद पर बने रहने को लेकर वह 'खुश नहीं हैं'.

आधिकारिक सूत्र ने बताया कि मुख्यमंत्री ने जवाबी पत्र लिखकर राज्यपाल की बालगोपाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग खारिज कर दी है. उन्होंने बालगोपाल के प्रति अपने विश्वास को दोहराया और कहा कि वह 'कम नहीं हुआ' है. राज्यपाल ने अपने पत्र में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) मंत्रिमंडल से बालगोपाल को हटाने या बर्खास्त करने की मांग नहीं की है लेकिन विजयन को लिखे पत्र का संदेश यही है.

उच्च पदस्थ सूत्र ने बताया कि विजयन ने अपने जवाब में कहा कि देश के संविधान, लोकतांत्रिक मूल्यों एवं परंपरा के मुताबिक बयान राज्यपाल के मंत्री के प्रति विश्वास का आधार नहीं हो सकता. सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल स्वीकार करेंगे कि इस मामले में आगे किसी कार्रवाई की जरूरत नहीं है.

'बालगोपाल ने भारत की अखंडता को कमतर किया'
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में राज्यपाल ने आरोप लगाया कि 18 अक्टूबर को विश्वविद्यालय परिसर में बालगोपाल ने भाषण दिया, जिसमें उन्होंने धार्मिकता और प्रांतीयता की भावनाओं को उकसाने की कोशिश की और भारत की अखंडता को कमतर किया. राज्यपाल ने कहा कि उनके पास यह बताने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है कि वित्त मंत्री के पद पर बने रहने से वह प्रसन्न नहीं हैं. सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल ने कहा कि बालगोपाल का बयान उनके द्वारा ली गई शपथ के उल्लंघन जैसा है और विजयन को संविधान के अनुरूप कार्रवाई का निर्देश दिया.

राजभवन के जनसंपर्क अधिकारी द्वारा 17 अक्टूबर को किए गए ट्वीट के बाद राज्यपाल की ओर से इस तरह का उठाया गया यह पहला ऐसा कदम है. राजभवन अधिकारी ने ट्वीट किया था कि मुख्यमंत्री और मंत्री परिषद को राज्यपाल को परामर्श देने का अधिकार है, लेकिन मंत्रियों के व्यक्तिगत बयान राज्यपाल के कार्यालय की प्रतिष्ठा को कम करते हैं और ऐसे मामलों में कृपा वापसी सहित अन्य कार्रवाई की जा सकती है.

'बालगोपाल का भाषण राज्यपाल की छवि को धूमिल करने वाला'
राज्यपाल ने 19 अक्टूबर को अखबार में छपी खबर का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि केरल विश्वविद्यालय के परिसर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बालगोपाल और उच्च शिक्षा मंत्री आर बिंदू द्वारा दिया गया भाषण स्पष्ट रूप से राज्यपाल की छवि को धूमिल करने वाला और राज्यपाल कार्यालय की प्रतिष्ठा को कमतर करने वाला था. राज्यपाल ने अपने पत्र में कहा, 'लेकिन सबसे अधिक परेशान करने वाली बात वित्त मंत्री का भाषण है जो धार्मिकता और प्रांतवाद की आग को भड़काना चाहते हैं और अगर इसे रोका नहीं गया तो यह हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता पर प्रतिकूल असर डाल सकती है.'

पत्र में अखबार की खबर का हवाला दिया गया है जिसके मुताबिक बालगोपाल ने कार्यक्रम में कथित तौर पर कहा था कि जो उत्तर प्रदेश जैसे स्थानों से आ रहे हैं उनके लिए केरल के विश्वविद्यालयों को समझना मुश्किल है. पूर्व राज्यसभा सदस्य बालगोपाल ने आगे कहा, 'काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति के सुरक्षा कर्मियों ने पांच छात्रों को गोली मार दी. तब मैं सांसद था और वहां गया था. कुलपति की सुरक्षा में 50 से 100 गार्ड थे. वहां के कई विश्वविद्यालयों में इस तरह की स्थिति है.'

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राज्यपाल ने कहा, 'उपरोक्त उल्लेखित वित्त मंत्री की टिप्पणी केरल और भारतीय संघ के अन्य राज्यों के बीच खाई पैदा करती है और गलत धारणा प्रस्तुत करती है कि भारत के अलग-अलग राज्यों में उच्च शिक्षा की अलग-अलग प्रणाली है.' खान ने कहा कि खबर में बालगोपाल के बयान की दी गई जानकारी उनके द्वारा ली गई शपथ का उल्लंघन है. राज्यपाल ने यह भी कहा कि लगता है कि बालगोपाल को पता नहीं कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय केंद्रीय विश्वविद्यालय है और उत्तर प्रदेश सरकार के प्रशासन क्षेत्र में नहीं आता है और उसके अधिकतर कुलपति दूसरे राज्यों से थे जिनमें दक्षिण भारतीय भी शामिल हैं. (पीटीआई-भाषा)

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