नई दिल्ली :केरल सरकार ने मिशन अरीकोम्बन पर केरल उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शनिवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया. हाईकोर्ट ने कहा था कि जंगली हाथी से लोगों की जान-माल को खतरा हो सकता है. राज्य सरकार ने जंगली टस्कर अरीकोम्बन को राज्य के दूसरे जंगल में स्थानांतरित करने के उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.
राज्य ने आरोप लगाया है कि एचसी ने लोगों की सुरक्षा पर विचार नहीं किया और अधिकारियों को मुख्य वन्य जीवन वार्डन के आदेश के अनुसार हाथी को शांत करने से रोक दिया.
राज्य ने कहा कि वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 11(1) के अनुसार मुख्य वन्य प्राणी वार्डन को मानव जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाले वन्य जीवों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है. मानव जीवन और इस अधिकार के आधार पर वार्डन ने हाथी को शांत करने और उसे प्रशिक्षण केंद्र में स्थानांतरित करने की अनुमति दी थी.
याचिका में कहा गया है कि 'हालांकि हाईकोर्ट ने इस मामले में दखल देकर गलती की और कार्रवाई रोक दी.' राज्य ने अदालत को बताया है कि अरिकोम्बन ने 2017 में 7 लोगों की हत्या की है और 52 घरों और दुकानों को नुकसान पहुंचाया है. पिछले तीन महीनों में इसने 22 घरों, 3 राशन की दुकानों और 6 अन्य दुकानों को नुकसान पहुंचाया है.
राज्य ने तर्क दिया कि उसे लोगों के जीवन और संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है. इसी वजह से मुख्य वन्य जीवन वार्डन ने हाथी को किसी अन्य स्थान/जंगल में स्थानांतरित करना उचित नहीं समझा.