तिरुवनंतपुरम :राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेताओं ने आज (बुधवार) कहा, उन्हें अभी नहीं लगता कि केरल के वन मंत्री ए के शशींद्रन (Kerala Forest Minister AK Saseendran) ने कोई गैरकानूनी काम किया है. मंत्री पर कोल्लम में पार्टी की एक सदस्य से जुड़े यौन उत्पीड़न के मामले (sexual harassment case) में समझौता कराने की कोशिश करने का आरोप है.
इस बीच, शशींद्रन ने मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन से उनके आधिकारिक आवास पर मुलाकात की. बैठक के बाद उन्होंने मीडिया से कहा कि उन्होंने पूरे मामले और इसमें उनकी भूमिका के बारे में मुख्यमंत्री को बताया तथा विजयन ने उन्हें सुना. बहरहाल, शशींद्रन ने यह नहीं बताया कि मुख्यमंत्री का जवाब क्या था.
केरल में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के संयोजक और माकपा के केरल प्रदेश समिति के सचिव ए. विजयराघवन ने कहा कि उनकी पार्टी या राज्य सरकार ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है क्योंकि उनके पास मामले के संबंध में पूरी जानकारी नहीं है.
उन्होंने बताया कि अभी केवल उतनी ही जानकारी उपलब्ध है जितनी समाचार चैनलों पर दिखाई जा रही है और उसके आधार पर कोई फैसला नहीं लिया जा सकता है इसलिए वह इस पर टिप्पणी नहीं कर सकते कि शशींद्रन को इस्तीफा देना चाहिए या नहीं.
विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने शशींद्रन के इस्तीफा देने की अपनी मांग दोहराते हुए कहा, अगर वह इस्तीफा नहीं देते हैं तो मुख्यमंत्री को उन्हें हटा देना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर शशींद्रन इस्तीफा नहीं देते या उन्हें हटाया नहीं जाता तो यह मुद्दा विधानसभा में उठाया जाएगा जिसका दूसरा सत्र बृहस्पतिवार से शुरू होगा.
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कांग्रेस सांसद बेन्नी बेहानन ने केरल के राज्यपाल को बुधवार को लिखे अपने पत्र में भी यही मांग की. उन्होंने राज्यपाल से मुख्यमंत्री को राज्य के वन मंत्री को हटाने का निर्देश देने की मांग करते हुए कहा कि उन्होंने कोल्लम में राकांपा के एक अमीर नेता के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले में समझौता करने के लिए पीड़िता के पिता पर कथित तौर पर दबाव डालकर अपने पद की शपथ का उल्लंघन किया.
समाचार चैनलों में ये अटकलें लगायी गयी कि राज्य सरकार शशींद्रन का इस्तीफा नहीं लेगी. इसके बाद पीड़िता ने मीडिया से कहा कि वह इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री और उनकी सरकार के रुख से निराश हैं. उसने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने ऐसा रुख अपनाया है जिससे उनकी सरकार को फायदा हो और उनसे यह 'उम्मीद नहीं' थी.
पीड़िता ने कहा कि इससे राज्य में महिलाओं को गलत संदेश जाएगा कि उनकी सुरक्षा सरकार के लिए महत्वपूर्ण नहीं है. उसने कहा कि वह मंत्री के खिलाफ कार्रवाई के लिए अदालत जाने पर विचार कर रही है.