सागर। एमपी के सागर शहर में झांसी रोड पर स्थित ऐतिहासिक गढ़पहरा किले के शीशमहल पर केरल की फैशन माॅडल रेशमी आर नायर के फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड होने के बाद जमकर वायरल हो रहा है. फैशन माॅडल अपने सेमीन्यूड फोटोशूट के लिए जानी जाती है. सोशल मीडिया पर उनके इस तरह के कई फोटोशूट अपलोड है. खास बात ये है कि शीशमहल में जहां ये फोटोशूट किया गया है, वह ऐतिहासिक स्थान तो है ही, साथ में यहां पर हनुमान जी का प्राचीन मंदिर और अनगढ देवी का मंदिर भी है, जिसमें स्थानीय लोगों की अटूट आस्था है. फोटोशूट वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना हो रही है.
जुलाई माह का बताया जा रहा है फोटोशूट: अगर फैशन माॅडल रेशमी आर नायर की ऑफिशियल सोशल मीडिया एकाउंट पर इन फोटों की तलाश करें तो ज्यादातर फोटो जुलाई माह की शुरूआत में अपलोड किए गए हैं. सोशल मीडिया पर अपलोड दूसरे फोटो से पता चलता है कि रेशमी आर नायर अपने पति के साथ इंडिया टूर पर निकली थी और उन्होंने देश के कई पर्यटक और धार्मिक स्थानों पर फोटोशूट किया है. जिसमें सेमीन्यूड और बिकनी फोटोग्राफ्स के अलावा कई अश्लील फोटोग्राफ्स हैं. अंदाजा लगाया जा रहा है कि अपने इंडिया टूर के दौरान फैशन माॅडल रश्मि आर नायर NH-44 से गुजरी होगी, जो कश्मीर से कन्याकुमारी को जोड़ता है और इसी हाइवे पर सागर का ऐतिहासिक और प्राचीन किला स्थित है.
फोटो तो अपलोड किए, लेकिन जगह का नाम नहीं दिया: फैशन माॅडल रेशमी आर नैयर ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर फोटो अपलोड किए हैं, लेकिन जगह का नाम नहीं दिया है. सागर के गढ़पहरा में शूट किए सेमीन्यूड और सामान्य फोटोज के साथ उन्होने कैप्शन में 'समव्हेयर इन मध्यप्रदेश' लिखा है, लेकिन जो लोग बुंदेलखंड के हैं और एनएच-44 से गुजरते हैं, उन लोगों को गढ़पहरा के शीशमहल की जानकारी है, जहां ये फोटोशूट किया गया है.
क्या है गढ़पहरा का इतिहास:गढ़पहरा के किले में स्थित शीशमहल में जहां ये फोटोशूट किया गया है. ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार ये किला गौड़ राजा संग्रामसिंह के अधिपत्य में था और गौड़ राजाओं के 52 गढ़ों में गढ़पहरा का अहम स्थान था, जिसके अधिपत्य में 360 मौंजे थे. फिर इस किले पर दांगी राजाओं का कब्जा हो गया. इतिहासकार डॉ भरत शुक्ला बताते हैं कि यहां पर 1620 ईस्वी के आसपास वहां पर किला शीशमहल और हनुमान जी के मंदिर का निर्माण कराया था, जो करीब 4 सौ साल पुराना है. 1689 में ये किला मुगलशासन के कब्जे में आ गया और फिर मराठाओं ने किले पर कब्जा कर लिया. 857 की क्रांति में गढ़पहरा किले के तत्कालीन राजा मर्दन सिंह थे, उन्होंने इस किले से विद्रोह का संचालन किया था. उन्होनें शाहगढ़ के राजा बखतबली शाह के साथ मिलकर झांसी के रानी की भरपूर मदद की थी और अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया था. हालांकि ब्रिटिश सेना के सामने ये दोनों राजा राह गए थे और समर्पण करना पड़ा था, लेकिन दोनों राजाओं ने अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया था.