लखनऊ : पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 'नदी जोड़ो परियोजना' की संकल्पना साकार होने जा रही है. राष्ट्रीय महत्व की इस योजना की शुरुआत उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की केन-बेतवा नदियों को जोड़ने के साथ हो रहा है.
विश्व जल दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने करार पत्र पर हस्ताक्षर कर परियोजना को औपचारिक स्वीकृति दी.
क्या है नदी जोड़ो परियोजना
यह एक बड़े पैमाने पर प्रस्तावित सिविल इंजीनियरिंग परियोजना है, जिसका उद्देश्य भारतीय नदियों को जलाशयों और नहरों के माध्यम से आपस में जोड़ना है, जिससे भारत के कुछ हिस्सों में लगातार बाढ़ या पानी की कमी की समस्या को दूर किया जा सकता है.
क्या है केन-बेतवा लिंक परियोजना
राष्ट्रीय नदी विकास एजेंसी द्वारा देश में प्रस्तावित 30 नदी जोड़ो परियोजनाओं में से एक केन-बेतवा लिंक परियोजना भी है. इसकी अनुमानित लागत लगभग 45,000 करोड़ रुपये है, जिसका 90 फीसदी केंद्र सरकार वहन करेगी. इस परियोजना में केन नदी से बेतवा नदी में पानी पहुंचाया जाएगा. इसके लिए दाऊधन डैम बनाया जाएगा और एक नहर के जरिए दोनों नदियों को जोड़ा जाएगा.
पीएम मोदी ने बताया ऐतिहासिकपीएम मोदी ने इसे 'ऐतिहासिक' करार देते हुए कहा कि समझौता पत्र पर हस्ताक्षर, महज एक कागज पर दस्तखत भर नहीं है, बल्कि यह समूचे बुंदेलखंड के सुनहरे भविष्य की भाग्य रेखा है. जल प्रबंधन के इस प्रयास से बुंदेलखंड की प्यास भी बुझेगी और प्रगति भी होगी. प्रधानमंत्री ने कहा कि केन-बेतवा लिंक परियोजना से शुरू हो रहा नदी जोड़ो अभियान देश में नदी जल प्रबंधन की दिशा में एक क्रांति है, इसका लाभ पीढ़ियों तक मिलता रहेगा.
योगी ने कहा अटल के सपने हो रहे साकार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस समझौते से यूपी में बुंदेलखंड क्षेत्र के जनपद बांदा, झांसी, महोबा, ललितपुर एवं हमीरपुर में कुल 2.51 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई व्यवस्था उपलब्ध एवं सुदृढ़ होगी, साथ ही यूपी के जनपद पेयजल के लिए 21 लाख जनसंख्या को 67 मिलियन क्यूबिक मीटर जल उपलब्ध कराया जा सकेगा.
इस परियोजना के तहत मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में केन नदी पर दौधन बांध बनाया जाएगा. इससे 221 किलोमीटर लंबी लिंक चैनल निकाली जाएगी, जो कि झांसी के पास बरुआ में बेतवा नदी को जल उपलब्ध कराएगी. केन-बेतवा लिंक नहर पर उत्तर प्रदेश की जरूरत के अनुसार आउटलेट प्रदान करते हुए महोबा, हमीरपुर एवं झांसी जिलों में वर्षाकाल में जल उपलब्ध कराते हुए इन जिलों में पूर्व में बने बांध, जो विगत कई वर्षों से भरे नही जा सके हैं, उन्हें भी जल उपलब्ध कराया जाएगा.
केन-बेतवा लिंक परियोजना की खास बातें
- बुंदेलखंड क्षेत्र में उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश को सिंचाई एवं पेयजल की सुविधा के लिए अगस्त -2005 में केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार एवं मध्य प्रदेश सरकार के मध्य केन-बेतवा नदी बेसिन के जल बंटवारे को लेकर समझौता हुआ था, लेकिन बाद की सरकारों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई.
- परियोजना से उत्तर प्रदेश के महोबा, ललितपुर, हमीरपुर, झांसी एवं बांदा में कुल 2.51 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में सिंचाई व्यवस्था उपलब्ध एवं सुदृढ़ की जाएगी.
- जनपद-झांसी, ललितपुर एवं महोबा के क्षेत्रों में लगभग 21 लाख जनसंख्या को पेयजल की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी.
- हमीरपुर में मौदहा बांध को भरने की सुनिश्चित व्यवस्था करते हुए हमीरपुर में 26,900 हेक्टेयर की सिंचाई व्यवस्था एवं तहसील राठ में पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा.
- महोबा में लगभग 37,564 हेक्टेयर, ललितपुर में लगभग 3,533 हेक्टेयर, झांसी में लगभग 17,488 हेक्टेयर, हमीरपुर में 26,900 हेक्टेयर एवं बांदा में लगभग 1,92,479 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा का लाभ प्राप्त होगा.
- झांसी में लगभग 14.66 मिलियन क्यूबिक मीटर, ललितपुर में लगभग 31.98 मिलियन क्यूबिक मीटर, हमीरपुर में 2.79 मिलियन क्यूबिक मीटर एवं महोबा में लगभग 20.13 मिलियन क्यूबिक मीटर जल पेयजल हेतु उपलब्ध कराया जा सकेगा.
- परियोजना के अन्तर्गत बरियारपुर पिकप बीयर के डाउनस्ट्रीम में दो नए बैराजों का निर्माण कर, लगभग-188 मिलियन क्यूबिक मीटर जल भंडारण किया जा सकेगा.
- बरियारपुर पिकप वीयर, परीछा वीयर, बरुआ सागर बांध आदि संरचनाओं के निर्माण पुनरोद्धार एवं पुनर्स्थापना का कार्य होगा.
- महोबा में पानी के टैंकों एवं उनके जलवहन प्रणाली का कार्य प्रस्तावित है, जिसके माध्यम से मानसून अवधि में जल संग्रह कर, नॉन मानसून अवधि में उस जल का उपयोग किया जा सकेगा तथा जनपद बांदा एवं झाँसी को प्रेशराइज्ड पाइप सिस्टम एवं माइकोइरीगेशन सिस्टम से लाभांवित किया जाएगा.
- जनपद हमीरपुर में स्थित मौदहा बांध को बेतवा लिंक नहर से जोड़कर बांध को भरने की सुनिश्चित व्यवस्था की जाएगी.