नई दिल्ली : दिल्ली सरकार के विशेष लोक अभियोजकों को नियुक्त न करने इस कदम से केंद्र और उपराज्यपाल के साथ दिल्ली सरकार का टकराव बढ़ सकता है. सरकार द्वारा जारी बयान के अनुसार 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा और पिछले साल उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े मामलों में पुलिस के वकीलों की नियुक्ति करने संबंधी उपराज्यपाल अनिल बैजल की सिफारिश पर मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को विचार किया और उसे खारिज कर दिया.
दिल्ली मंत्रिमंडल के फैसले पर उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. हालांकि सूत्रों ने कहा कि उपराज्यपाल अनिल बैजल संविधान द्वारा उन्हें प्रदत्त विशेष शक्तियों का इस्तेमाल कर सकते हैं और दिल्ली पुलिस द्वारा चुने गए वकीलों के पैनल को मंजूरी देंगे. उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि वकीलों की नियुक्ति दिल्ली सरकार के दायरे में आती है.
उपराज्यपाल केवल दुर्लभतम मामलों में दिल्ली सरकार के फैसले पर अपनी राय दे सकते हैं. उन्होंने डिजिटल संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि उच्चतम न्यायालय ने उपराज्यपाल द्वारा इस वीटो अधिकार के उपयोग को परिभाषित किया है.
राशन को घर-घर तक पहुंचाना और किसानों के विरोध से संबंधित अदालती मामले दुर्लभ से दुर्लभतम मामले नहीं हैं. इस अधिकार का इस्तेमाल हर किसी मामले में नहीं किया जा सकता है. यह लोकतंत्र की हत्या है. दिल्ली सरकार द्वारा जारी बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मंत्रिमंडल ने आज एक बड़ा फैसला लेते हुए उत्तरी-पूर्वी दिल्ली दंगा मामलों में केन्द्र के वकीलों को अदालत में पेश होने की अनुमति देने से इंकार कर दिया.