नई दिल्ली :आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता एवं विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा और राशन माफियाओं के बीच साठगांठ के कारण केंद्र सरकार ने राशन की डोरस्टेप डिलीवरी (Ration Doorstep Delivery) पर रोक लगाई है. राशन डीलरों ने एलजी को पत्र लिखकर डोरस्टेप डिलीवरी योजना को नामंजूर करने की अपील की थी, जिसकी प्रति केंद्र सरकार को भी भेजी गई थी.
राशन की डोर स्टेप डिलीवरी योजना पर रोक लगने के बाद सौरभ भारद्वाज ने कहा कि केंद्र सरकार ने जिस NFSA एक्ट को आधार बनाया है, उसे दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था और यह हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना का मामला भी बनता है. उन्होंने कहा कि पिछले दिनों हाईकोर्ट से राशन की डोरस्टेप डिलीवरी की इजाजत मिलने के बाद केजरीवाल सरकार ने योजना लागू करने के लिए एलजी से इजाजत मांगी थी. केंद्र सरकार और भाजपा नहीं चाहती कि दिल्ली से राशन माफिया का नेटवर्क खत्म हो.
जिस नेशनल फूड सिक्युरिटी एक्ट (एनएफएसए) को लेकर दिल्ली के राशन डीलरों का एसोसिएशन ने कोर्ट में दलील दी थी कि NFSA के तहत राशन की डोरस्टेप डिलीवरी संभव नहीं है, तब कोर्ट ने उस दलील को खारिज कर दिया था और कोर्ट का कहना था कि एनएफएसए ऐसी कोई बाधा खड़ी नहीं करता है कि डोरस्टेप डिलीवरी नहीं होनी चाहिए. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अब जब केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को योजना को लागू करने से दोबारा मना किया है, तो केंद्र ने उसी एनएफएसए एक्ट की आड़ ली है कि एनएफएसए एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि राशन की डोर स्टेप डिलीवरी की इजाजत दी जाए. अब सवाल यह है कि कोर्ट ने तो एनएफएसए के प्रावधान को खारिज किया है और कहा है कि योजना को लागू करने में कोई दिक्कत नहीं है.
वहीं, केंद्र सरकार उसी एनएफएसए एक्ट की आड़ लेकर दिल्ली सरकार को योजना को लागू करने से रोक रही है. एक तरह से केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट के आदेश की अवमानना भी किया जा रहा है. केंद्रीय खाद्य, उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की तरफ से दिल्ली सरकार के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग को भेजे पत्र में कहा गया है कि दिल्ली सरकार को टीपीडीएस के तहत पात्र एनएफएसए लाभार्थियों को खाद्यान्न वितरित करते समय एनएफएसए एक्ट 2013 के मानदंडों और प्रावधानों का सही तरीके से पालन करना चाहिए. यह भी कहा गया है कि यदि राज्य सरकार द्वारा एनएफएसए खाद्यान्न के तत्वों को मिलाए बिना अलग से योजना बनाई जाती है, तो इस विभाग को कोई आपत्ति नहीं होगी. इसलिए यह सूचित किया गया है कि एनएफएसए एक्ट 2013 के सभी सांविधिक प्रावधान अनिवार्य हैं और एनएफएसए के अंतर्गत निर्धारित तरीके से टीपीडीएस का संचालन किया जाएगा, ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित किया जा सके. होम डिलीवरी के लिए दिल्ली सरकार के साथ विचाराधीन प्रस्ताव एनएफएसए के मानदंडों को पूरा नहीं करता है और इसलिए भारत सरकार इसकी अनुमति नहीं देता है, जबकि हाईकोर्ट ने इन दलीलों को मानने से इंकार कर दिया था.
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