नई दिल्ली : कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के कारण एक बार फिर चिंता की लकीरें गहराने लगी हैं. ताजा घटनाक्रम में कोरोना के ब्रेकथ्रू को लेकर चिंता ज्यादा है. जब कोरोना लोग टीकाकरण के बाद फिर कोविड-19 वायरस से संक्रमित होते हैं, तो विशेषज्ञ और वैज्ञानिक इन मामलों को 'ब्रेकथ्रू' (breakthrough) संक्रमण के रूप में परिभाषित करते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि वायरस कोविड वैक्सीन से मिलने वाली सुरक्षा के बावजूद इंसान के शरीर में प्रवेश करता है.
ब्रेकथ्रू (breakthrough) संक्रमण पहले की अपेक्षा अधिक घातक माना जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि संभवतः डेल्टा संस्करण के बढ़ते मामलों के कारण संक्रमण बार-बार हो रहे हैं और लगातार बढ़ रहे हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक कोविड टीकाकरण वाले लोगों में ब्रेकथ्रू संक्रमण अभी भी बहुत दुर्लभ है और आमतौर पर इन लोगों में हल्के या कोई लक्षण नहीं होते हैं.
गौरतलब है कि ब्रेकथ्रू संक्रमण मुख्य रूप से निकट संपर्क से होते हैं, जैसे कार्यालयों में सहकर्मियों के संपर्क में आना, पार्टी, रेस्तरां या स्टेडियम जैसी जगहों पर.
इस तरह के संक्रमण की संभावना स्वास्थ्य कर्मियों में भी अधिक होती है जो संक्रमित रोगियों के लगातार संपर्क में रहते हैं.
इस संबंध में वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. सुनीला गर्ग ने कहा, डेल्टा वेरिएंट के कारण ब्रेकथ्रू संक्रमण ज्यादा हो रहा है. हालांकि, अगर लोगों को टीके की दो खुराक दी जाती है, तो यह सुनिश्चित है कि ऐसे मामले गंभीर नहीं लगते. डॉ सुनीला गर्ग इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (IAPSM) की अध्यक्ष हैं.
डॉ गर्ग ने इस बात पर जोर दिया कि अधिक से अधिक लोगों को कोविड टीके की दोनों खुराक मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'जहां तक भारतीय टीकों का सवाल है, दोनों टीके, वायरस के मौजूदा रूपों के खिलाफ लड़ने में सक्षम हैं.
एक अनुमान के अनुसार, अब तक कुल टीकाकृत लोगों में से लगभग 2.6 लाख लोगों ने कोविड -19 संक्रमण के लिए सकारात्मक परीक्षण किया है. उनमें से कई पहली खुराक मिलने के बाद संक्रमित हो गए.