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Katyalya Economic Conclave 2023: वित्तीय समावेशन का सबसे बड़ा साधन बनकर उभरी जन-धन योजना- सीतारमण

'कटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2023' के उद्घाटन के मौके पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 2014 में शुरू की गई प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY) देश में वित्तीय समावेशन लाने का सबसे बड़ा साधन बनकर उभरी है. 50 से अधिक सरकारी योजनाओं के तहत लाभ की राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जा रही है. (RBI Governor Shaktikanta Das, Global economy facing tirade of challenges, Katyalya Economic Conclave 2023, Finance Minister Nirmala Sitharaman)

Finance Minister Nirmala Sitharaman
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

By ANI

Published : Oct 20, 2023, 1:34 PM IST

Updated : Oct 20, 2023, 1:42 PM IST

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं की सभा 'कटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2023' का आज उद्घाटन किया गया. इस कॉन्क्लेव में निर्मला सीतारमण और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास शामिल हुए. इस दौरान वित्त मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि 2014 में शुरू की गई प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY) देश में वित्तीय समावेशन लाने का सबसे बड़ा साधन बनकर उभरी है. 50 से अधिक सरकारी योजनाओं के तहत लाभ की राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जा रही है. प्रधानमंत्री जन-धन योजना ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

कटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2023 के उद्घाटन के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कहा कि जब योजना शुरू की गई थी तब लोगों के एक वर्ग ने टिप्पणियां करते हुए कहा था कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक दबाव में होंगे क्योंकि ये 'ZERO BALANCE’ खाते हैं. हालांकि, इन खातों में अभी 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक राशि है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस दौरान जलवायु वित्तपोषण और उससे जुड़ी चुनौतियों पर भी विस्तार से बात की है.

वहीं, इस दौरान गवर्नर शक्तिकांत दास अपने संबोधन में कहा कि आज वैश्विक अर्थव्यवस्था चुनौतियों का सामना कर रही है. उन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने आने वाली बहुमुखी चुनौतियों पर चर्चा की और इन कठिनाईयों के बीच नीति निर्माण में आवश्यक जटिल संतुलन पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि आज वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने चुनौतियों का अंबार है पहला, मुद्रास्फीति में धीमी गति से कमी और दूसरा, धीमी गति से विकास और तीसरा, वित्तीय स्थिरता के छिपे जोखिम.

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मौद्रिक नीति को सक्रिय रूप से मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने वाली होना चाहिए. सब्जियों और ईधन की कीमतों में नरमी के कारण सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति (inflation) घटकर तीन महीने के निचले स्तर 5.02 फीसदी सालाना पर आ गई. वहीं, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में 6.83 फीसदी और सितंबर 2022 में 7.41 फीसदी थी. जुलाई में मुद्रास्फीति 7.44 फीसदी पर पहुंच गई थी.

दास ने कहा कि मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक ने मई 2022 से प्रमुख नीतिगत दर (रेपो) में 250 आधार अंकों की बढ़ोतरी की थी.आगे शक्तिकांत दास ने कहा कि मूल्य स्थिरता को अपने प्राथमिक उद्देश्य के रूप में रखने वाले केंद्रीय बैंकों ने नीतिगत दरों को आक्रामक रूप से बढ़ाया है, जबकि दरों को लंबे समय तक ऊंचा रखने का संकेत दिया है. कुछ केंद्रीय बैंकों ने दरों में बढ़ोतरी पर रोक लगा दी गई है.

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