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The Kashmir Files : कश्मीरी पंडितों ने फिल्म को सियासी रंग देने के आरोप लगाए

कश्मीरी पंडितों के पलायन और 1990 में जम्मू-कश्मीर हुई हिंसा पर आधारित फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' रिलीज के बाद से सुर्खियों के अलावा विवादों में भी है. जम्मू-कश्मीर में रहने वाले कुछ कश्मीरी पंडितों ने फिल्म को एकतरफा बताया है. उन्होंने कहा है कि ऐसी कृतियों से समाज में खाई चौड़ी होने की आशंका है. इनका आरोप है कि राजनीतिक दलों की ओर से द कश्मीर फाइल्स फिल्म का 'इस्तेमाल' किया जा रहा है.

The Kashmir Files
द कश्मीर फाइल्स

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Published : Mar 18, 2022, 2:39 PM IST

Updated : Mar 18, 2022, 3:53 PM IST

जम्मू :द कश्मीर फाइल्स में दिखाई गई घटनाओं को लेकर विवाद बढ़ता दिख रहा है. एक ओर जहां पीएम मोदी इस फिल्म की प्रशंसा कर चुके हैं, तो दूसरी ओर क्रिटिक्स का कहना है कि फिल्म में जो सीन पेश किए गए हैं वह हकीकत से परे हैं. फिल्म को लेकर हो रही टीका-टिप्पणी के बीच ईटीवी भारत ने 'द कश्मीर फाइल्स' पर जम्मू-कश्मीर में रह रहे कश्मीरी पंडितों से राय मांगी.

कश्मीरी पंडितों के पलायन पर आधारित फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' लोकप्रियता हासिल कर रही है. द कश्मीर फाइल्स फिल्म का निर्देशन विवेक अग्निहोत्री ने किया है और निर्माण जी स्टूडियो ने किया है. यह फिल्म पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा कश्मीरी हिंदू समुदाय के लोगों की लक्षित हत्या के बाद समुदाय के लोगों के घाटी से पलायन पर आधारित है. इस फिल्म में अनुपम खेर, दर्शन कुमार, मिथुन चक्रवर्ती और पल्लवी जोशी जैसे कई कलाकारों ने भूमिका निभाई है.

जम्मू-कश्मीर में रह रहे कश्मीरी पंडित इस पूरे मामले को राजनीतिक रंग देने के पक्ष में नहीं हैं. जम्मू-कश्मीर में फिल्म पर राजनीतिक टिप्पणी भी हो रही है. कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने कहा कि फिल्म दो समुदायों के बीच दरार पैदा करेगी और हमारे बीच नफरत पैदा कर सकती है.

पूरे प्रकरण पर ईटीवी भारत से बात करते हुए कुलगाम जिले की एक महिला सुनीता ने कहा, यह सच है कि कश्मीरी पंडितों को 1990 में कश्मीर छोड़ना पड़ा था. कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़नी पड़ी, लेकिन अब जब बीजेपी सत्ता में है तो सरकार कश्मीरी पंडितों को वापस लाने के लिए कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठा रही है ? उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सिर्फ कश्मीरी पंडितों के नाम पर राजनीति कर रही है.

द कश्मीर फाइल्स फिल्म पर प्रतिक्रिया

बारामूला में रहने वाली एक अन्य कश्मीरी पंडित महिला उर्मिला भी फिल्म के कंटेंट से असहज दिखीं. ईटीवी भारत से उन्होंने कहा कि 30-32 साल से जो जख्म धीरे-धीरे भर रहे थे. उन पर एक प्रकार का नमक छिड़का गया है. उन्होंने कहा कि कश्मीर में रहने वाले मुसलमान आज भी उनके साथ मेलजोल रखते हैं. उन्होंने कहा कि लोगों का आपसी सौहार्द बरकरार है.

द कश्मीर फाइल्स में दिखाई गई घटनाओं, तत्कालीन और वर्तमान हालात पर स्थानीय महिला का बयान

ईटीवी भारत से बात करते हुए एक अन्य कश्मीरी पंडित महिला डेजी बजाज ने कहा कि हमारे दिमाग में सबसे बड़ी बात यह है कि कश्मीरी पंडितों की समस्या का हल निकले. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों की ओर से कश्मीरी पंडितों की समस्या का हल निकालने के बजाय समस्या को जिंदा रखने की कोशिश की जा रही है.

द कश्मीर फाइल्स में दिखाई गई घटनाओं, तत्कालीन और वर्तमान हालात पर स्थानीय महिला का बयान

कुछ लोग इस बात से नाखुश हैं कि राजनीतिक दल अपनी रोटियां सेकने के लिए द कश्मीर फाइल्स फिल्म का इस्तेमाल कर रहे हैं. पंडित समुदाय के कार्यकर्ताओं के मुताबिक कश्मीरी पंडितों का पूरा मामला राजनीतिक नहीं, मानवीय है. उन्होंने घाटी से पंडित समुदाय के निष्कासन के वास्तविक कारणों के बारे में जानकारी फैलाने के लिए कुछ राजनीतिक नेताओं के प्रयासों पर कड़ी आपत्ति जताई.

बता दें कि द कश्मीर फाइल्स फिल्म को लेकर टीएमसी नेता यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा कि द कश्मीर फाइल्स को लेकर सरकार कुछ ज्यादा ही संवेदनशील हो गई है. उन्होंने तंज कसा है कि बेहतर होगा यदि सरकार संसद में बिल पारित करवाकर फिल्म देखने को अनिवार्य बना दे और जो कोई फिल्म नहीं देखेगा, उसे दो साल जेल की सजा का का प्रावधान रखे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक द कश्मीर फाइल्स भारत में रिलीज (11 मार्च) के बाद सिर्फ सात दिनों में 80 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई कर चुकी है.

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गौरतलब है कि भाजपा की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी भी द कश्मीर फाइल्स का जिक्र कर चुके हैं. खबरों के मुताबिक 15 मार्च को भाजपा संसदीय दल की बैठक में पीएम मोदी (PM Modi BJP parliamentary committee Meet) ने इतिहास प्रस्तुत करने में फिल्म उद्योग की भूमिका पर बयान दिया था.

यह भी पढ़ें-'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म में जो दिखाया गया, उस सत्य को दबाने की कोशिश की गई थी : PM Modi

उन्होंने द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files) का उल्लेख किया और कहा कि जो लोग हमेशा अभिव्यक्ति की आजादी का झंडा फहराते हैं, वे बेचैन हैं. तथ्यों की समीक्षा करने के बजाय, इसे बदनाम करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है.

Last Updated : Mar 18, 2022, 3:53 PM IST

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