जम्मू :द कश्मीर फाइल्स में दिखाई गई घटनाओं को लेकर विवाद बढ़ता दिख रहा है. एक ओर जहां पीएम मोदी इस फिल्म की प्रशंसा कर चुके हैं, तो दूसरी ओर क्रिटिक्स का कहना है कि फिल्म में जो सीन पेश किए गए हैं वह हकीकत से परे हैं. फिल्म को लेकर हो रही टीका-टिप्पणी के बीच ईटीवी भारत ने 'द कश्मीर फाइल्स' पर जम्मू-कश्मीर में रह रहे कश्मीरी पंडितों से राय मांगी.
कश्मीरी पंडितों के पलायन पर आधारित फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' लोकप्रियता हासिल कर रही है. द कश्मीर फाइल्स फिल्म का निर्देशन विवेक अग्निहोत्री ने किया है और निर्माण जी स्टूडियो ने किया है. यह फिल्म पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा कश्मीरी हिंदू समुदाय के लोगों की लक्षित हत्या के बाद समुदाय के लोगों के घाटी से पलायन पर आधारित है. इस फिल्म में अनुपम खेर, दर्शन कुमार, मिथुन चक्रवर्ती और पल्लवी जोशी जैसे कई कलाकारों ने भूमिका निभाई है.
जम्मू-कश्मीर में रह रहे कश्मीरी पंडित इस पूरे मामले को राजनीतिक रंग देने के पक्ष में नहीं हैं. जम्मू-कश्मीर में फिल्म पर राजनीतिक टिप्पणी भी हो रही है. कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने कहा कि फिल्म दो समुदायों के बीच दरार पैदा करेगी और हमारे बीच नफरत पैदा कर सकती है.
पूरे प्रकरण पर ईटीवी भारत से बात करते हुए कुलगाम जिले की एक महिला सुनीता ने कहा, यह सच है कि कश्मीरी पंडितों को 1990 में कश्मीर छोड़ना पड़ा था. कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़नी पड़ी, लेकिन अब जब बीजेपी सत्ता में है तो सरकार कश्मीरी पंडितों को वापस लाने के लिए कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठा रही है ? उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सिर्फ कश्मीरी पंडितों के नाम पर राजनीति कर रही है.
बारामूला में रहने वाली एक अन्य कश्मीरी पंडित महिला उर्मिला भी फिल्म के कंटेंट से असहज दिखीं. ईटीवी भारत से उन्होंने कहा कि 30-32 साल से जो जख्म धीरे-धीरे भर रहे थे. उन पर एक प्रकार का नमक छिड़का गया है. उन्होंने कहा कि कश्मीर में रहने वाले मुसलमान आज भी उनके साथ मेलजोल रखते हैं. उन्होंने कहा कि लोगों का आपसी सौहार्द बरकरार है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए एक अन्य कश्मीरी पंडित महिला डेजी बजाज ने कहा कि हमारे दिमाग में सबसे बड़ी बात यह है कि कश्मीरी पंडितों की समस्या का हल निकले. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों की ओर से कश्मीरी पंडितों की समस्या का हल निकालने के बजाय समस्या को जिंदा रखने की कोशिश की जा रही है.