जबलपुर।एमपी की संस्कारधानी जबलपुर में कश्मीर से आए हुए बुनकरों ने कला का अद्भुत नमूना पेश किया है. इसे जामा शॉल के रूप में जाना जाता है. जामा शॉल के बारे में बताते हुए कलाकारों ने बताया कि इसको बनाने में लगभग एक कलाकार को डेढ़ साल लगते हैं. इसलिए यह दुनिया के सबसे महंगे शालों में शुमार करता है. जबलपुर में इसकी कीमत 75000 बताई जा रही है. बुनकरों ने बताया कि अब इस कला को जिंदा रखने वाले लोग बहुत कम बचे हैं.
कश्मीर का जामा शॉल:जबलपुर के बाजार में कश्मीर से आए हुए व्यापारी एक अनोखा शॉल लेकर आए हैं. यह ठंड मिटाने के कपड़े से ज्यादा कलाकारी का अद्भुत नमूना है. कश्मीर से आए कलाकार इस्माइल का कहना है कि इस शॉल की कीमत 75000 है. इसकी इतनी अधिक कीमत के पीछे की वजह जब हमने इस्माइल से जानी तो इस्माइल ने बताया कि दरअसल पशमीना के कपड़े पर इस शॉल को बनाने में एक कलाकार को एक से डेढ़ साल लग जाता है. इसका एक-एक धागा बारीक सुई से बुना जाता है और इसकी कसीदाकारी इतनी बारीक होती है कि इसे लेंस वर्क भी कहा जाता है.
शॉल को बनाने वाले कलाकार होते हैं सम्मानित:स्माइल ने बताया कि किसी जमाने में कश्मीर में इसे बनाने वाले बहुत से कलाकार थे, लेकिन अब इस कला के माहिर चुनिंदा लोग ही रह गए हैं और इसमें भी ज्यादातर बुजुर्ग हैं, क्योंकि यह बहुत धैर्य से करने वाला काम है. इसमें हर कलाकार अपने मन से डिजाइन बनाते हैं. हर बूटी में अलग-अलग किस्म की कलाकारी देखने को मिलती है. आजकल के युवाओं में इतना धैर्य नहीं है कि वह इतनी बारीक कलाकारी सालों तक करें. इसलिए इस शॉल को बनाने वाले कलाकारों को सम्मानित किया जाता है. यह शॉल केवल ठंड मिटाने का नहीं बल्कि कलाकार के सम्मान में दी हुई राशि होती है. इस्माइल का कहना है की जो लोग इस कला को जानते हैं, वे इस शॉल को बिल्कुल उसी तरीके से सहेज कर रखते हैं. जैसे लोग सोने और चांदी को सहेजते हैं. कला के जानने वाले लोगों के लिए जामा शॉल एक अद्भुत कृति है.