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वाराणसीः 13 सर्जरी और 100 हड्डियों में फैक्चर होने के बावजूद कमाल कर रही काशी की ये बिटिया

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Published : May 5, 2022, 7:17 PM IST

काशी की बेटी आस्था 34 सालों से बिस्तर पर पड़ी रहने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और दूसरों के लिए मिसाल है. आस्था के शरीर की करीब 100 से ज्यादा हड्डियां टूट चुकी हैं और 13 से ज्यादा सर्जरी हो चुकी हैं. इसके बावजूद वह दुनिया को हैरान कर देने वाले कारनामे कर रही हैं.

आस्था ने ईटीवी भारत से की बातचीत.
आस्था ने ईटीवी भारत से की बातचीत.

वाराणसी: हौसला हो तो दुनिया की हर जंग जीत सकते हैं. काशी की बेटी आस्था भी इसी का उदाहरण है. आस्था 34 सालों से बिस्तर पर पड़ी रहने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी. आस्था के शरीर की करीब 100 से ज्यादा हड्डियां टूट चुकी हैं और 13 से ज्यादा सर्जरी हो चुकी हैं. इसके बावजूद वह दूसरों के लिए मिसाल है और आस्था बिस्तर पर लेटे-लेटे ही इंटीरियर डिजाइनिंग के साथ पशुओं की भी देखभाल करती हैं.

आस्था ने ईटीवी भारत से की बातचीत.
100 से ज्यादा टूटी हड्डियां, 13 से ज्यादा सर्जरी: तस्वीरों में आप देख रहे होंगे कि बिस्तर पर एक लड़की लेटी हुई है, जिसके हाथों में माउस है और कंप्यूटर सिस्टम पर कुछ काम कर रही है. बिस्तर पर लेटकर आस्था इंटीरियर डिजाइनिंग का काम करती हैं. वाराणसी की 34 वर्षीय यह दिव्यांग लड़की आस्था एक ऐसी बीमारी से ग्रसित है, जो शायद लाखों-करोड़ों में से एक को होती है. आस्था के शरीर की हड्डियां 100 से ज्यादा जगहों से टूटी है, इनके शरीर में 13 से ज्यादा ऑपरेशन हो चुके हैं. साल 2002 में किसी तरह से व्हीलचेयर पर इंटर पास करने के बाद वह बेड से उठ नहीं पाई. आस्था इतनी कमजोर हैं कि उनके बैठने से ही उनकी हड्डी टूट जाती है. लेकिन आज वह ग्राफिक डिजाइनर के रूप में महारत हासिल कर चुकी हैं. इसके साथ ही आस्था सड़क पर घूम रहे आवारा पशुओं के भोजन की व्यवस्था करती हैं, उनके लिए एक एनजीओ का संचालन करती हैं.

आस्था की हिम्मत के पीछे है मां की प्रेरणा: आस्था बताती हैं कि बचपन से उन्हें लोगों के तिरस्कार और नफरत का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी मां ने उन्हें संभाला है. आज वह जो कुछ हैं अपनी मां की ताकत के बदौलत हैं. वो चाहती हैं कि वो लोगों के लिए एक मिसाल बनें. उन्होंने बताया कि वो इंटीरियर डिजाइनिंग करती हैं. वो ऐसे दिव्यांगजनों के लिए भी डिजाइनिंग करती हैं, जो कमरे की चार दिवारी में बंद कर अपना जीवन गुजारते हैं. उनका मकसद है कि दिव्यांगजनों के लिए घर की चारदीवारी में ही बेहतर और हर तरीके की व्यवस्थाएं मुहैया कराना. उन्होंने बताया कि वह आवारा पशुओं के भोजन की भी व्यवस्था करती हैं.

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डॉक्टरों के जवाब देने के बावजूद जीती जिंदगी की जंग: आस्था की मां ने बताया कि आस्था के हौसले से उन्हें हिम्मत मिलती है. वह चाहती हैं कि उनकी बेटी ऐसे ही आगे बढ़ती रहें. उन्हें चिंता थी कि उनकी बेटी का क्या होगा, लेकिन उनकी बेटी आज लोगों के लिए मिसाल बनी हुई है, जो उनके लिए किसी स्वप्न के समान है. डॉक्टरों ने पूरी तरह से जवाब दे दिया था, इसके बावजूद आस्था ने हिम्मत नहीं हारी और वो डटकर जीवन का सामना कर रही है.

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