वाराणसी :पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सोमवार को काशी विश्वनाथ मंदिर का कॉरिडोर का उद्घाटन (Kashi Vishwanath Dham Corridor Inauguration) किया. यह भाजपा सरकार की देश के किसी भी धार्मिक स्थल की सबसे बड़ी पुनरुद्धार योजना है. चलिए जानते हैं दिव्य काशी को भव्य बनाने वाला यह प्रोजेक्ट आखिर है क्या, इसका बजट कितना है और इसकी क्या खासियतें हैं.
इस तरह हुई शुरुआत
काशी विश्वनाथ मंदिर के क्षेत्र समेत कुल 39 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में कॉरिडोर का निर्माण हुआ है. यह कॉरिडोर गंगा के ललिता घाट से काशी विश्वनाथ मंदिर से सीधे जुड़ा है. मंदिर परिसर का दायरा 5 लाख 27 हजार 730 वर्ग फीट तक बढ़ाया गया है.
संकरी गलियों से होकर बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए पहुंचने वाले भक्तों को इस कॉरिडोर से चंद मिनटों में बाबा के दर्शन की सुविधा मिलेगी. गंगा स्नान करने के बाद भक्त ललिता घाट से सीधे काशी विश्वनाथ के श्रीचरणों को नमन करने पहुंच जाएंगे.
खास बातें
- काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में 60 प्राचीन मंदिर संरक्षित रखे गए हैं.
- इसके निर्माण के लिए 360 भवन हटाए गए हैं.
- 1400 लोगों को पुनर्वासित करना पड़ा
- इसमें मंदिर के चारों तरफ एक परिक्रमा मार्ग, गंगा घाट से मंदिर में प्रवेश करने पर बड़ा गेट, मंदिर चौक, 24 बिल्डिंग जिनमें गेस्ट हाउस, 3 यात्री सुविधा केंद्र, पर्यटक सुविधा केंद्र, स्टॉल, पुजारियों के रहने के लिए आवास, आश्रम, वैदिक केन्द्र, सिटी म्यूज़ियम, वाराणसी गैलरी, मुमुक्ष भवन आदि शामिल हैं.
- इस कॉरिडोर का निर्माण लाल पत्थर से हो रहा है.
- कॉरिडोर से सीधे मणिकर्णिका घाट, ललिता घाट और जलासेन घाट से काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंच सकेंगे.
- दिव्यांगों, वृद्धों के लिए रैंप और एस्केलेटर की सुविधा भी दी गई है.
तीसरी बार संवर रहा बाबा विश्वनाथ का दरबार
अगर इतिहास की बात की जाए तो बाबा विश्वनाथ के मंदिर का तीसरी बार पुनरुद्धार हो रहा है. सन् 1780 में मंदिर का जीर्णोद्धार महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने कराया था. इसके बाद सन् 1853 में महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर के शिखर समेत अन्य स्थानों पर स्वर्ण जड़वाया था. वर्ष 2019 में पीएम मोदी के प्रयास से इस मंदिर के लिए भव्य कॉरीडोर का निर्माण कराया गया. इस लिहाज से 241 वर्षों में तीसरी बार मंदिर का पुनरुद्धार हो रहा है.
कॉरीडोर की विशेषताएं
काशी विश्वनाथ कॉरीडोर को दो भागों में बांटा गया है. मंदिर के मुख्य परिसर को लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है. इनमें चार बड़े भव्य गेट बनाए गए हैं. इसके चारों तरफ एक प्रदक्षिणा पथ बना है. इस प्रदक्षिणा पथ पर 22 संगमरमर के शिलालेख लगाए गए हैं, इनमें आद्य शंकराचार्य की स्तुतियां, अन्नपूर्णा स्त्रोत, काशी विश्वानाथ की स्तुतियां और भगवान शंकर से जुड़ी महत्वपूर्ण धार्मिक जानकारियों का उल्लेख किया गया है.