कोलकाता : फर्जी वैक्सीनेशन (Fake vaciination) के मुख्य आरोपी देबंजन देब (Debanjan Deb) से पूछताछ और लैपटॉप और अन्य गैजेट्स की बरामदगी से अधिकारियों को पता चला है कि नकली-आईएएस अधिकारी (fake-IAS officer) व्हाइट कॉलर क्राइम (white-collar crimes) के विभिन्न तरीकों और पैटर्न का रात भर अध्ययन करता था.
जैसे-जैसे जांच अधिकारी (probe officials) देब से गहराई से पूछताछ कर रहे हैं, नए और आश्चर्यजनक खुलासे सामने आ रहे हैं. कट्टर अपराधी प्रवृत्ति (hardcore criminal) के होने के साथ-साथ उसके मन में कुछ विचित्र मनोवैज्ञानिक समस्याएं (psychological issue) भी थीं.
वह हमेशा सुर्खियों में रहना चाहते थे और खुद को दूसरों से बहतर पेश करना चाहते थे. एक भारतीय प्रशासनिक सेवा ( Indian Administrative Service) अधिकारी के रूप में उनका फर्जीवाड़ा शायद इसी मनोविज्ञान के कारण था, जिसने उन्हें किसी भी कीमत पर सुर्खियों में रहने के लिए मजबूर कर दिया.
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि जहां एक और खुद को औसत से ऊपर पेश करने का प्रयास कड़ी मेहनत (hard work) और समर्पण के माध्यम से उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरित कर सकता है, वहीं देबंजन जैसे कुछ लोगों के लिए वही मनोविज्ञान उन्हें अनैतिक, अनुचित और अवैध तरीके अपनाने के लिए प्रेरित करता है.
जैसा कि ईटीवी भारत ने पहले बताया था कि अपने सनकी स्वभाव (whimsical nature ) के कारण देब ने अच्छा छात्र होने के बावजूद अपने अकादमिक करियर (academic career ) में बहुत कुछ हासिल नहीं किया. हालांकि, उसके द्वारा पुलिस को दिए गए कबूलनामे के मुताबिक, वह इंटरनेट पर बिना सोए पढ़ाई करता था.
इसके अलावा उसके मनोविज्ञान का एक और विचित्र पक्ष यह है कि उसके ऑनलाइन अध्ययन (online studies) का विषय अपराधों के विभिन्न पैटर्न थे जैसे कि जाली दस्तावेज और नकली रबर-स्टैम्प (न) कैसे तैयार किए जाते हैं. साथ ही उसने कुछ ऐसे ही आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों से भी जानकारी हासिल करने के लिए संपर्क किया. वह इंटरनेट पर भी प्रतिष्ठित धोखेबाजों के केस-स्टडी और उनके संचालन की शैली का अध्ययन किया करता था.
उसी समय उसके दिमाग में एक फर्जी आईएएस अधिकारी (Fake IAS officer) बनने का विचार आया, तो उन्होंने सबसे पहले देश के प्रतिष्ठित नौकरशाहों के जीवन, लोगों और राजनीतिक नेताओं के साथ उनकी बातचीत के तरीके का अध्ययन किया.