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करतारपुर कॉरिडोर : विभाजन के समय बिछड़े दोस्त 74 साल बाद मिले, अदा किया सरकारों का शुक्रिया

1947 में बंटवारे के दौरान अलग हुए दोस्तों ने कभी सोचा नहीं था कि वह फिर मिल सकेंगे. 74 साल बाद दो दोस्तों के मिलने की कहानी (story of two friends meeting) विस्तार से पढ़िए.

गुरुद्वारा दरबार साहिब
गुरुद्वारा दरबार साहिब

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Published : Nov 23, 2021, 4:22 PM IST

Updated : Nov 23, 2021, 5:01 PM IST

नई दिल्ली : 1947 में देश के बंटवारे के समय अलग हुए गोपाल सिंह ने कभी सोचा नहीं था कि वह अपने बिछड़े साथी बशीर से फिर कभी मिल पाएंगे. करतारपुर के गुरुद्वारा दरबार साहिब (Gurdwara Darbar Sahib of Kartarpur) जाने पर उनकी मुलाकात अपने दोस्त से हो गई तो पुराने दिन याद आ गए.

भारत के 94 वर्ष के सरदार गोपाल सिंह (Sardar Gopal Singh) जब दरबार साहिब पहुंचे तो उनकी मुलाकात अपने खोए मित्र मुहम्मद बशीर से हो गई. 91 साल के बशीर पाकिस्तान के नरोवाल शहर (Narowal City) से हैं.

गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दो पुराने दोस्त मिले तो अपने बचपन के दिन याद किए जब भारत-पाकिस्तान एक ही थे. कैसे दोनों दोस्त बाबा गुरु नानक के गुरुद्वारे जाते थे और साथ बैठकर खाना खाते थे. गोपाल और बशीर ने करतारपुर कॉरिडोर परियोजना पर खुशी व्यक्त की तथा इसके लिए भारत-पाकिस्तान सरकार का शुक्रिया अदा किया.

दोनों दोस्तों की मुलाकात सोशल मीडिया पर वायरल है. इस अनोखे मिलन को लेकर लोग खुशी व्यक्त कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे दिल को छू लेनी वाली कहानी बताया है. कई लोगों ने लिखा कि हमारी पीढ़ी उस दर्द को नहीं समझ सकती जो गोपाल और बशीर ने झेला है.

मार्च 2020 में बंद हुआ था करतारपुर कॉरिडोर
गौरतलब है कि गुरु नानक देव की जयंती गुरुपर्व से ठीक दो दिन पहले करतारपुर कॉरिडोर फिर से खुल गया है. पंजाब के गुरदासपुर में डेरा बाबा नानक साहिब से पाकिस्तान में दरबार सिंह साहिब गुरुद्वारा को जोड़ने वाला सिख तीर्थ गलियारा मार्च 2020 से कोरोना संक्रमण महामारी की वजह से बंद किया गया था.

पढ़ें- गुरु नानक देव की 552वीं जयंती, 242 श्रद्धालुओं ने दरबार साहिब में मत्था टेका

Last Updated : Nov 23, 2021, 5:01 PM IST

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