नई दिल्ली:नीति आयोग के तीसरे नवाचार सूचकांक में 17 प्रमुख राज्यों की श्रेणी में कर्नाटक शीर्ष स्थान पर रहा जबकि तेलंगाना दूसरे और हरियाणा तीसरे स्थान पर है. आयोग के ‘भारत नवाचार सूचकांक, 2021’ में राज्यों के स्तर पर नवाचार क्षमताओं और परिवेश की पड़ताल की गई है. भारत नवाचार सूचकांक के तीसरे संस्करण को नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने मुख्य कार्यपालक अधिकारी परमेश्वरन अय्यर की उपस्थिति में जारी किया.
इस सूचकांक को वैश्विक नवाचार सूचकांक की तर्ज पर विकसित किया गया है. एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उनके प्रदर्शन की प्रभावी तुलना करने के लिए 17 प्रमुख राज्यों, 10 पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों तथा 9 केंद्र शासित प्रदेशों एवं शहर राज्यों की श्रेणी में वर्गीकृत किया गया था. प्रमुख राज्यों में कर्नाटक राज्य लगातार तीसरे वर्ष पहले स्थान पर रहा है. वहीं, सबसे निचले पायदान पर छत्तीसगढ़, ओडिशा और बिहार हैं.
केंद्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ़ पहले स्थान पर वहीं पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों की श्रेणी में मणिपुर शीर्ष पर है. सूचकांक के मुताबिक, ‘17 प्रमुख राज्यों में 18.01 अंक के साथ कर्नाटक का प्रदर्शन श्रेष्ठ पाया गया. इसके बाद क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर तेलंगाना और हरियाणा हैं. छत्तीसगढ़ को सबसे कम 10.97 अंक मिले। प्रमुख राज्यों की श्रेणी में औसत अंक 14.02 रहे.'
कुल मिलाकर सूचकांक अंक 14.56 थे. सूचकांक के मुताबिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने में शानदार प्रदर्शन और बड़ी संख्या में उद्यम पंजी सौदों के बूते कर्नाटक को सबसे अधिक अंक मिले. इसमें कहा गया कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा ने बड़ी संख्या में इंटरनेट उपभोक्ताओं के साथ ही निवेश के लिए सुरक्षित परिवेश और नवोन्मेषी कारेाबारी माहौल को बढ़ावा देने में उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की.
पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों की श्रेणी में औसत अंक 14.41 रहे, मणिपुर को 19.37 अंक मिले और यह इस श्रेणी में शीर्ष पर रहा। दूसरे स्थान पर उत्तराखंड रहा। 11 अंक के साथ नगालैंड सबसे निचले स्थान पर रहा. केंद्र शासित प्रदेशों एवं शहर-राज्यों की श्रेणी में औसत अंक 15.74 रहे जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है. नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी परमेश्वरन अय्यर ने कहा कि आयोग देश में राज्यों के नवाचार पर निगरानी रखने को प्रतिबद्ध है और यह काम भारत नवाचार सूचकांक के जरिए जारी रहेगा. उन्होंने कहा, ‘हम राज्यों और अन्य संबंधित पक्षों के साथ साझेदारी में देशभर में नवाचार परिवेश को बेहतर बनाना चाहते हैं.'
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नीति आयोग के सदस्य वी के सारस्वत ने कहा कि नवाचार टिकाऊ और समावेशी विकास की कुंजी है। उन्होंने कहा, ‘यह (नवाचार) हमारे दौर की सबसे बड़ी चुनौतियों से निपटने में हमें मदद देता है, लाखों लोगों को गरीबी से निकालता है, आजीविका के अवसर पैदा करता है और आत्मनिर्भर भारत के रास्ते पर आगे बढ़ाता है.' सूचकांक के पहले और दूसरे संस्करण को क्रमशः अक्टूबर, 2019 और जनवरी, 2021 में जारी किया गया था. एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि सूचकांक का तीसरा संस्करण देश में नवाचार विश्लेषण के दायरे को मजबूत करता है। पिछले संस्करणों में 36 संकेतकों के आधार पर विश्लेषण किया गया था लेकिन इस बार 66 संकेतकों का इस्तेमाल किया गया. बयान में कहा गया कि व्यापक ढांचे के माध्यम से यह सूचकांक भारत में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नवाचार प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है.