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कर्नाटक SSLC परीक्षा: केंद्रों के अंदर हिजाब का उल्लंघन करने वाले भुगतेंगे गंभीर परिणाम - CM Bommai appeals students to appear exam

कर्नाटक में हिजाब विवाद पर हाईकोर्ट का स्पष्ट फैसला आ गया है, मुस्लिम छात्र नें इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की है. इसी बीच आज से SSLC की परीक्षा शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री समेत कई नेताओं ने छात्राओं से अपील की है कि वे अपने बेहतर भविष्य के लिए परीक्षा में जरूर शामिल हों.

कर्नाटक SSLC परीक्षा
कर्नाटक SSLC परीक्षा

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Published : Mar 28, 2022, 12:54 PM IST

बेंगलुरू: कर्नाटक के मंत्रियों ने सोमवार को दसवीं कक्षा की परीक्षाएं शुरू होने के साथ ही कहा कि हिजाब पर उच्च न्यायालय के फैसले का उल्लंघन करने वाले को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं देंगे. गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र के अनुसार, नियमों का उल्लंघन करने वालों को कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बी सी नागेश ने भी कहा कि सरकारी नियमों का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ पुलिस स्वाभाविक रूप से कार्रवाई करेगी. साथ ही उम्मीद जतायी है कि कोई भी बच्चा ऐसी चीजों का मौका नहीं देगा.

उन्होंने छात्रों से बिना किसी डर के आत्मविश्वास से परीक्षा देने को कहा है. राज्य भर के 3,440 केंद्रों में 48,000 से अधिक हॉल में परीक्षा में बैठने के लिए 8.74 लाख से अधिक छात्रों ने नामांकन किया है. अंतिम परीक्षा 11 अप्रैल को है. हालांकि, कुछ मुस्लिम लड़कियों ने परीक्षा केंद्र के अंदर हिजाब, इस्लामिक हेडस्कार्फ़ पर प्रतिबंध के विरोध में परीक्षा का "बहिष्कार" करने की धमकी दी थी. कर्नाटक उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ ने फैसला सुनाया था कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है और सभी को स्कूल ड्रेस पहनने के नियम का पालन करना चाहिए. राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने भी कहा कि सभी को दसवीं की परीक्षा लिखकर पास करनी चाहिए. साथ ही सभी परिक्षार्थी को उन्होंने शुभकामनाएं भी दी है. यह एक महत्वपूर्ण परीक्षा है.

मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा कि COVID-19 को देखते हुए, हमने इस वर्ष परीक्षा के सुचारू संचालन के लिए सभी व्यवस्थाएं की हैं. हमारी इच्छा है कि सभी परीक्षा के लिए उपस्थित हों. और इसे पास करें और उनके उज्ज्वल भविष्य को आकार दें. पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने भी कहा कि सभी को परीक्षा देनी चाहिए. जद (एस) नेता ने कहा, "सभी धर्मों के छात्रों को अपनी भावनाओं को अलग रखकर परीक्षा देनी चाहिए. किसी भी कारण से परीक्षा न छोड़ने की अपील भी की है.

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