बेंगलुरु : तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने दावा किया है कि तिरुमला पहाड़ियों पर भगवान हनुमान का निवास स्थान है और वे इस बारे में एक 'साक्ष्य' आधारित पुस्तक जारी करेंगे, जिस पर धार्मिक तथा पुरातात्विक हलकों में विवाद शुरू हो गया है, क्योंकि कर्नाटक के लोग बेल्लारी के पास हंपी को सदियों से 'किष्किंधा क्षेत्र' या वानरों का प्रदेश मानते आये हैं.
टीटीडी ने शनिवार को घोषणा की थी कि भगवान हनुमान का जन्म तिरुमला की सात पवित्र पहाड़ियों में से एक में हुआ था और इसे साबित करने के लिए एक पुस्तक का विमोचन 13 अप्रैल को हिंदू नववर्ष, उगाडी पर किया जाएगा. तिरुमला पहाड़ियों पर श्री वेंकटेश्वर मंदिर है.
कुछ पुरातत्वविदों और इतिहासकारों ने टीटीडी के दावे को खारिज कर दिया है, वहीं विश्व हिंदू परिषद की कर्नाटक इकाई ने कहा कि टीटीडी को कुछ समय और लेना चाहिए तथा किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले विद्वानों और धर्म प्रमुखों से विचार-विमर्श करना चाहिए.
कुछ इतिहासकारों की एकमत से राय है कि हंपी या विजयनगर राजवंश की पूर्ववर्ती राजधानी के आसपास का क्षेत्र किष्किंधा क्षेत्र है. उनका दावा है कि हंपी में पुरा-ऐतिहासिक काल की अनेक शिला कलाकृतियों में पूंछ वाले लोगों को चित्रित किया गया है. उन्होंने कहा, संगमकल्लू, बेलाकल्लू के पास अनेक गुफा कृतियों में मनुष्य के साथ पूंछ जैसी आकृति देखी जा सकती है. इतिहासकारों के अनुसार, इसलिए यह दलील दी जा रही है कि वानर मनुष्य जाति की ही एक प्रजाति है, जिसकी पूंछ होती है.