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कर्नाटक हिजाब विवाद पर हाईकोर्ट में आज फिर होगी सुनवाई

हिजाब को लेकर विवाद के चलते कर्नाटक में शुरू हुआ प्रदर्शन पूरे राज्य में फैल गया (Karnataka Protests Over Hijab Row ). कॉलेज परिसरों में पथराव की घटनाओं के कारण पुलिस को बल प्रयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ा, जहां 'टकराव-जैसी' स्थिति देखने को मिली. इस बीच, सरकार और उच्च न्यायालय ने शांति बनाये रखने की अपील की. इस मामले पर आज फिर कोर्ट में सुनावई होनी है.

कर्नाटक हिजाब विवाद
कर्नाटक हिजाब विवाद

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Published : Feb 9, 2022, 7:27 AM IST

Updated : Feb 9, 2022, 7:43 AM IST

बेंगलुरु : कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में बढ़ते हिजाब विवाद (Karnataka Protests Over Hijab Row) के बीच मंगलवार को विद्यार्थियों और आम लोगों से शांति एवं सौहार्द बनाये रखने की अपील की. उच्च न्यायालय ने कहा है कि हिजाब विवाद को कुछ शरारती तत्व तूल देना चाहते हैं. आज फिर इस मामले पर सुनवाई होगी. वहीं, हिजाब पहनने के पक्ष और विरोध में देश भर से बयान आए.उडुपी जिले के मणिपाल स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल कॉलेज में मंगलवार को उस समय तनाव काफी बढ़ गया, जब भगवा शॉल ओढ़े विद्यार्थियों और हिजाब पहनी छात्राओं के दो समूहों ने एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी की.

बता दें कि, तटीय शहर उडुपी में सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी महिला कॉलेज (Government Pre University Women's College in Udupi) में पढ़ने वाली कुछ छात्राओं की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि इस पर अब बुधवार को आगे सुनवाई होगी. याचिकाकर्ताओं ने अदालत से यह घोषित करने का अनुरोध किया है कि कॉलेज परिसर में इस्लामिक प्रथा के तहत हिजाब पहनने सहित जरूरी धार्मिक प्रथाओं को अपनाना उनका मौलिक अधिकार है.

न्यायमूर्ति कृष्णा एस. दीक्षित की एकल पीठ ने कहा, ‘‘यह अदालत विद्यार्थियों और आम लोगों से शांति और सौहार्द बनाये रखने का अनुरोध करती है. इस अदालत को समग्र जनता की बुद्धिमता और सदाचार पर पूरा भरोसा है और उम्मीद करती है कि इसे व्यवहार में भी अपनाया जाएगा. न्यायमूर्ति दीक्षित ने लोगों को भारतीय संविधान में भरोसा रखने की सीख देते हुए कहा कि कुछ शरारती तत्व ही इस मामले को तूल दे रहे हैं. न्यायमूर्ति दीक्षित ने आगे कहा कि आंदोलन, नारेबाजी और विद्यार्थियों का एक दूसरे पर हमला करना अच्छी बात नहीं है.

इससे पहले, कर्नाटक सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवादगी ने अदालत से राज्य में विरोध प्रदर्शनों पर रोक लगाने के संबंध में अंतरिम आदेश जारी करने का अनुरोध किया. हिजाब की अनुमति देने की मांग कर रही याचिकाकर्ता-छात्राओं की ओर से पेश वकील देवदत्त कामत ने भी महाधिवक्ता नवादगी के अनुरोध से सहमति जताई. सुनवाई के दौरान कामत ने दावा किया कि कक्षाओं में यूनीफॉर्म पहनने और शांति एवं सौहार्द भंग करने वाले कपड़े पहनकर आने को लेकर पांच फरवरी को जारी आदेश संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों के खिलाफ हैं.

उन्होंने दावा किया कि हिजाब पहने कुछ छात्राओं को कक्षाओं में प्रवेश की अनुमति तो दी गयी थी, लेकिन उन्हें अलग बिठाया गया था, जो धार्मिक भेदभाव है. इस पर नवादगी ने यह कहते हुए विरोध किया कि इस तरह के बयान के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं. इससे पहले मंगलवार को कर्नाटक के विभिन्न हिस्सों में स्थित महाविद्यालयों में हिजाब के खिलाफ और समर्थन में प्रदर्शन किये जाने के बीच गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने लोगों से शांति की अपील की. उन्होंने कहा कि किसी की ओर से भी पुलिस बल के इस्तेमाल का अवसर नहीं दिया जाना चाहिए.

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इस मुद्दे के एक बड़े विवाद का रूप धारण कर लेने के बाद, राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश में शैक्षणिक संस्थानों में तीन दिनों के अवकाश की घोषणा की. वहीं, हिजाब पहनने के पक्ष और विरोध में देश भर से बयान आए.उडुपी जिले के मणिपाल स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल कॉलेज में मंगलवार को उस समय तनाव काफी बढ़ गया, जब भगवा शॉल ओढ़े विद्यार्थियों और हिजाब पहनी छात्राओं के दो समूहों ने एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी की. सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में मांडया में लड़कों का एक समूह हिजाब पहनी लड़कियों से बदसलूकी करते नजर आ रहा है. हालांकि, सोशल मीडिया पर इन लड़कियों के पक्ष में समर्थन उमड़ पड़ा. हिजाब पहनने के अधिकार की मांग को लेकर प्रदर्शन जारी रखने पर जोर देने वाली लड़की ने कहा कि उसे शिक्षकों का समर्थन प्राप्त है और भगवा शॉल ओढ़े उसे रोकने वाले लड़के बाहरी थे.

Last Updated : Feb 9, 2022, 7:43 AM IST

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