बेंगलुरु : फिंगरप्रिंट सबूत ने हाल के वर्षों में आपराधिक मामलों को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. फिंगर प्रिंटिंग मुख्य रूप से हत्या, चोरी और जबरन वसूली सहित अपराध के मामलों का पता लगाने में बहुत उपयोगी है. जैसे-जैसे दिन पर दिन अपराध बढ़ते जा रहे हैं, फिंगरप्रिंट डिटेक्शन अधिकारियों पर दबाव बढ़ता जा रहा है. पहले फिंगरप्रिंट की पहचान न होने से अपराधी बच निकलते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. समय के साथ पुलिस हाईटेक हो गई है. मोबाइल क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम एप (एमसीसीटीएन) का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. कर्नाटक में 1024 पुलिस स्टेशन में ये एप इस्तेमाल किया जा रहा है.
एफएसएल और अन्य फिंगरप्रिंट विशेषज्ञ इस एप में स्टोर की गई इमेज का मिलान आसान से आरोपी की उंगलियों से कर सकते थे. ऐसे में रिपोर्ट मिलने में देरी का सवाल ही नहीं. आईटी विभाग ने राज्य के सभी पुलिस निरीक्षकों को एमसीसीटीएन स्थापित करने का निर्देश दिया है.
सबसे ज्यादा डेटाबेस पंजाब के पास
एमसीसीटीएन एप डाउनलोड करना जांच करने वालों के लिए फायदेमंद है. एप के जरिए गंभीर मामलों में शामिल अन्य आरोपियों से फिंगर प्रिंट का मिलान किया जा सकेगा. इस एप के जरिए ये पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति की आपराधिक पृष्ठभूमि है या नहीं. फिंगरप्रिंट ब्यूरो में फिलहाल 28,691 अपराधियों के 10 उंगलियों के निशान हैं. अन्य राज्यों की तुलना में कर्नाटक फिंगरप्रिंट डेटा बेस स्टोरेज श्रेणी में 15वें स्थान पर है. पंजाब अपराध डेटाबेस में 3.8 लाख 10 उंगलियों के निशान के साथ सूची में सबसे ऊपर है. बड़ी बात ये भी है कि