बेंगलुरु : शहर में कोविड से एक दिन में मरने वालों की संख्या बढ़कर 90 हो गई है. आईसीयू बेड, वेंटीलेटर, ऑक्सीजन और विलंबित उपचार की वजह से यह मौतें हुई हैं. बीबीएमपी के मुख्य आयुक्त गौरव गुप्ता ने ऑक्सीजन की कमी के बारे में बात की और कहा कि ऑक्सीजन प्रबंधन पर एक सरकार व्यापी समिति का गठन किया गया है.
इसके साथ ही सीएम, स्वास्थ्य मंत्री व उद्योग मंत्री के साथ बैठक भी कर रहे हैं. उद्योगों से थोक वितरण किया जाएगा. वर्तमान में 300 टन की आवश्यकता है और इसकी उपलब्धता भी है. उन्होंने कहा कि सरकार जहां भी समस्या है उसका समाधान करने का प्रयास कर रही है.
ऑक्सीजन की आपूर्ति अब पहले की तुलना में पांच गुना अधिक है. सामान्य दिनों में चार दिनों में एक बार टैंक से ऑक्सीजन भरे जाते थे. लेकिन अब इसे दिन में चार से पांच बार भरा जा रहा है. ऑक्सीजन की खपत के लिए दिशानिर्देश प्रकाशित किए गए हैं कि जहां जरूरत हो वहां ऑक्सीजन का इस्तेमाल किया जाए. समिति ने ऑक्सीजन आपूर्ति और वितरण पर भी चर्चा की है.
उद्योग मंत्री जगदीश शेट्टार ने कहा कि किसी भी स्तर पर ऑक्सीजन की कमी न हो इसके लिए प्रमुख विभागों के साथ बैठक की गई. जिंदल कंपनी को बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन का उत्पादन और वितरण करने की सलाह दी गई है. सिलिंडर आपूर्ति कंपनियों के साथ बैठक की गई है. सरकार ने उद्योग के लिए चिकित्सा प्रयोजनों के लिए अधिक ऑक्सीजन की खपत का भी आदेश दिया है. उन्होंने बताया कि जिंदल और कुनिगल से बेंगलुरु को 3500 ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति की व्यवस्था है.
250 टन प्रति दिन की मांग
एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग होम्स (एफएएनए) का कहना है कि प्रतिदिन केवल 100 टन मेडिकल ऑक्सीजन उपलब्ध है. सामान्य दिनों में 50 टन मेडिकल ऑक्सीजन पर्याप्त था. लेकिन अब मांग पांच गुना (250 टन) बढ़ गई है. राज्य सरकार ने मंगलवार को कहा कि जेएसडब्ल्यू प्रति दिन 400 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति करेगा. केंद्र सरकार की नई नीति के अनुसार दक्षिण भारत के सभी राज्यों में ऑक्सीजन की आपूर्ति करने का निर्देश दिया गया है. राज्य सरकार ने भी केंद्र को पत्र लिखकर इस बारे में अनुरोध किया है.
हुबली में ऑक्सीजन की वास्तविकता
KIMS राज्य का एकमात्र अस्पताल है जिसमें ऑक्सीजन की उच्चतम क्षमता है. यह 1200 बेड तक ऑक्सीजन की आपूर्ति करने में सक्षम है. KIMS अस्पताल हुबली में ऑक्सीजन की कोई समस्या नहीं है. यहां लगभग 40 किलो लीटर ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा रहा है. धारवाड़ जिले और विभिन्न निजी अस्पतालों में लगभग 20 किलो लीटर ऑक्सीजन है. वर्तमान में हुबली और धारवाड़ में ऑक्सीजन की कमी नहीं है. प्रतिदिन लगभग 250 से 280 नए मामले पाए जाते हैं. लेकिन हर दिन करीब 200 लोग छुट्टी पा रहे हैं. किम्स के निदेशक डॉ. रामलिंगप्पा कहते हैं कि केवल 30 प्रतिशत रोगियों को अस्पताल में भर्ती किया जाता है और उन्हें वेंटिलेटर और ऑक्सीजन प्रदान किया जाता है.